नई दिल्ली:
1,000 और 500 रुपये के नोट बंद कर दिए जाने और परिवार वालों द्वारा छोटी रकम के नोटों का बंदोबस्त नहीं कर पाने के चलते उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद में एक अस्पताल में कथित रूप से मरीज का इलाज बंद कर दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद मरीज़ के परिजनों द्वारा हंगामा किए जाने पर मेडिकल कॉलेज कर्मियों से उनकी हाथापाई भी हुई.
स्थानीय पत्रकार जितेंद्र के मुताबिक, बुधवार रात को आगरा हाईवे स्थित एफएच मेडिकल कॉलेज में भूत नगरिया गांव के निवासी रामवीर को दाखिल करवाया गया था. उसकी हालत देखते हुए उसे आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया. अस्पताल के स्टाफ ने रामवीर के परिवार से 10,000 रुपये जमा करवाने के लिए कहा था, जिसने बताया कि एटीएम बंद होने की वजह से उनके पास कुल 4,000 रुपये होने की बात उन्होंने अस्पताल को बताई, और यह भी कहा कि शेष धनराशि अगले दिन जमा करवा देंगे.
रामवीर के परिवार का दावा है कि उनके पास 500 और 1,000 रुपये के नोट थे, जिन्हें लेने से अस्पताल ने इंकार कर दिया था. रामवीर के परिवार वालों का आरोप है कि उनके बार-बार अनुरोध करने पर भी अस्पताल वालों ने उनकी नहीं सुनी, और वेंटिलेटर हटा लिया गया, जिससे रामवीर की मौत हो गई. इस पर जब रामवीर के परिजनों ने हंगामा किया, तो अस्पताल के स्टाफ से उनकी हाथापाई हुई. वैसे, पीड़ित पक्ष द्वारा थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, जबकि पुलिस चौकी अस्पताल परिसर में ही मौजूद है.
उधर, टूंडला एफएच मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ रिहान फारुख का दावा है कि ग्रामीणों के आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा कि मरीज को लेकर कुछ लोग अस्पताल आए थे, जो नशे में थे, और मरीज़ की मौत उपचार के दौरान हुई. इसके बाद मरीज के साथ आए लोगों ने डॉक्टरों से मारपीट कर दी, जिसकी वजह से उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया.
अस्पताल कर्मियों का भी दावा है कि रुपये या भुगतान की वजह से वेंटिलेटर नहीं हटाया गया था, बल्कि रोगी की मौत की बाद उसे हटाया गया. अस्पताल कर्मियों के मुताबिक, रोगी के परिजन उसके शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही ले गए थे, और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है.
स्थानीय पत्रकार जितेंद्र के मुताबिक, बुधवार रात को आगरा हाईवे स्थित एफएच मेडिकल कॉलेज में भूत नगरिया गांव के निवासी रामवीर को दाखिल करवाया गया था. उसकी हालत देखते हुए उसे आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया. अस्पताल के स्टाफ ने रामवीर के परिवार से 10,000 रुपये जमा करवाने के लिए कहा था, जिसने बताया कि एटीएम बंद होने की वजह से उनके पास कुल 4,000 रुपये होने की बात उन्होंने अस्पताल को बताई, और यह भी कहा कि शेष धनराशि अगले दिन जमा करवा देंगे.
रामवीर के परिवार का दावा है कि उनके पास 500 और 1,000 रुपये के नोट थे, जिन्हें लेने से अस्पताल ने इंकार कर दिया था. रामवीर के परिवार वालों का आरोप है कि उनके बार-बार अनुरोध करने पर भी अस्पताल वालों ने उनकी नहीं सुनी, और वेंटिलेटर हटा लिया गया, जिससे रामवीर की मौत हो गई. इस पर जब रामवीर के परिजनों ने हंगामा किया, तो अस्पताल के स्टाफ से उनकी हाथापाई हुई. वैसे, पीड़ित पक्ष द्वारा थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, जबकि पुलिस चौकी अस्पताल परिसर में ही मौजूद है.
उधर, टूंडला एफएच मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ रिहान फारुख का दावा है कि ग्रामीणों के आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा कि मरीज को लेकर कुछ लोग अस्पताल आए थे, जो नशे में थे, और मरीज़ की मौत उपचार के दौरान हुई. इसके बाद मरीज के साथ आए लोगों ने डॉक्टरों से मारपीट कर दी, जिसकी वजह से उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया.
अस्पताल कर्मियों का भी दावा है कि रुपये या भुगतान की वजह से वेंटिलेटर नहीं हटाया गया था, बल्कि रोगी की मौत की बाद उसे हटाया गया. अस्पताल कर्मियों के मुताबिक, रोगी के परिजन उसके शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही ले गए थे, और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है.
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