प्रतीकात्मक तस्वीर
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                मुंबई: 
                                        मुंबई के उपनगर कुर्ला में एक स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका ने यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया कि उनकी नव नियुक्त वरिष्ठ के निर्देशों के कारण उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ ‘समझौता’ किया जा रहा है.
शबीना खान नाज़नीन (25) ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने वरिष्ठ पर आरोप लगाया कि वह कक्षा में पढ़ाने के दौरान बुर्का और हिजाब उतारने को लेकर मजबूर रहे थे. बहरहाल, स्कूल प्रबंधन ने उनका त्यागपत्र अबतब स्वीकार नहीं किया है और कहा है अगले हफ्ते तक फैसला लिया जाएगा.
नाज़नीन ने कहा, ‘मैंने बार बार स्कूल संचालिका से गुजारिश की और प्रधानाचार्य को अपनी वेदना भी बताई कि कैसे मुझे नियमित तौर पर बुर्का और हिजाब उतारने के लिए मजबूर किया जा रहा है. लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और आखिरकार मैंने छह दिसंबर को अपना इस्तीफा प्रधानाचार्य को भेज दिया.’
नाज़नीन छात्रों को सूचना संचार प्रौद्योगिकी पढ़ाती हैं और उन्होंने माना है कि कक्षा लेने के दौरान अन्य मुस्लिम शिक्षिकाएं बुर्का और हिजाब उतारती हैं लेकिन वह किसी भी कीमत पर समझौता करने को तैयार नहीं है. तीन साल पहले शिक्षिका के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई थी.
स्कूल के प्रधानाचार्य विक्रम पिल्लई से जब संपर्क किया गया था तो उन्होंने कहा, ‘उनका इस्तीफा और सभी संबंधित कागजात को ट्रस्ट और स्कूल के प्रबंधन को भेज दिया गया है और अगले हफ्ते तक ही कोई फैसला होगा. इस बीच नाज़नीन ने जय हो फाउंडेशन नाम के एक गैर सरकारी संगठन से भी संपर्क किया. फाउंडेशन ने शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े को एक पत्र लिखा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                शबीना खान नाज़नीन (25) ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने वरिष्ठ पर आरोप लगाया कि वह कक्षा में पढ़ाने के दौरान बुर्का और हिजाब उतारने को लेकर मजबूर रहे थे. बहरहाल, स्कूल प्रबंधन ने उनका त्यागपत्र अबतब स्वीकार नहीं किया है और कहा है अगले हफ्ते तक फैसला लिया जाएगा.
नाज़नीन ने कहा, ‘मैंने बार बार स्कूल संचालिका से गुजारिश की और प्रधानाचार्य को अपनी वेदना भी बताई कि कैसे मुझे नियमित तौर पर बुर्का और हिजाब उतारने के लिए मजबूर किया जा रहा है. लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और आखिरकार मैंने छह दिसंबर को अपना इस्तीफा प्रधानाचार्य को भेज दिया.’
नाज़नीन छात्रों को सूचना संचार प्रौद्योगिकी पढ़ाती हैं और उन्होंने माना है कि कक्षा लेने के दौरान अन्य मुस्लिम शिक्षिकाएं बुर्का और हिजाब उतारती हैं लेकिन वह किसी भी कीमत पर समझौता करने को तैयार नहीं है. तीन साल पहले शिक्षिका के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई थी.
स्कूल के प्रधानाचार्य विक्रम पिल्लई से जब संपर्क किया गया था तो उन्होंने कहा, ‘उनका इस्तीफा और सभी संबंधित कागजात को ट्रस्ट और स्कूल के प्रबंधन को भेज दिया गया है और अगले हफ्ते तक ही कोई फैसला होगा. इस बीच नाज़नीन ने जय हो फाउंडेशन नाम के एक गैर सरकारी संगठन से भी संपर्क किया. फाउंडेशन ने शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े को एक पत्र लिखा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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                                        बुर्का उतारने को मजबूर, धार्मिक भावनाएं, शबाना खान नाज़नीन, एनजीओ जय हो फाउंडेशन, Burqa Ban, Religious Discimination, Shabina Khan Nazneen, NGO Jai Ho Foundation