मुंबई में गौ भक्त आंदोलनकारियों की खींचतान से गाय परेशान हो गई.
मुंबई:
देशभर में गाय पर चल रही राजनीति के बीच क्या आपने कभी यह सोचा कि इस पर गाय खुद क्या महसूस कर रही होगी? मुंबई में बुधवार को हुए आंदोलन से यह सवाल सामने आया है. हुआ यूं कि स्थानीय बजरंग दल की इकाई ने केरल में बीफ फेस्टिवल के आयोजन का विरोध करने की ठान ली. इसके लिए स्थान निश्चित हुआ महाराष्ट्र कांग्रेस का मुख्यालय तिलक भवन. यह मुख्यालय शहर के मध्यवर्ती इलाके दादर में है. बजरंगियों ने मीडिया में आंदोलन की सूचना दी और तय समय पर कांग्रेस दफ्तर के पास जमा भी हुए.
लेकिन पुलिस हस्तक्षेप के चलते आंदोलन वैसा न हो सका जैसा तय हुआ था. अवांछित स्थिति रोकने के लिए पुलिस ने आंदोलनकारी बजरंगियों को 200 मीटर दूर ही रोक दिया. वहां जोरदार नारेबाज़ी करने के बाद बजरंगियों का मीडिया से साक्षात्कार सम्पन्न हुआ. इसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों को वैन में भरकर खानापूर्ति कर दी.
यह पूरा हो हल्ला आंदोलन में लाई गई गौमाता अपने बछड़े के साथ देख रही थी. पुलिस ने जब आंदोलनकारियों को वैन में भरा तब सवाल आया कि गाय का क्या करें? आंदोलनकारियों की तरह गाय को पुलिस वैन के पीछे ले जाने की कोशिश हुई. एक दो चक्कर काटने के बाद गाय सहम गई. इस गहमागहमी में उसका बछड़ा उससे बिछड़ गया था और लोग उसे आगे से खींच रहे थे, पीछे से धकेल रहे थे.
आंदोलन में लाई गई गाय पुलिस के लिए भी चुनौती थी. पुलिस भी गाय को मौके से दूर कर देना चाहती थी. इस बीच खुद के साथ होती ज्यादतियों के चलते गाय ने असहयोग करना शुरू किया. वह भारी शोर की वजह से सहम गई और एक जगह रुक गई. वह वहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रही थी.
इस चुनौती को समझकर ग्वाले ने गाय को थाम लिया और उसे सहलाने लगा. गौमाता पहचान की आवाज़ और स्पर्श को भांप गई और शांतिपूर्वक अपने पालनहार के पीछे चल दी. इसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली. हालांकि तब तक यह पूरा वाकया कैमरे में कैद हो गया.
लेकिन पुलिस हस्तक्षेप के चलते आंदोलन वैसा न हो सका जैसा तय हुआ था. अवांछित स्थिति रोकने के लिए पुलिस ने आंदोलनकारी बजरंगियों को 200 मीटर दूर ही रोक दिया. वहां जोरदार नारेबाज़ी करने के बाद बजरंगियों का मीडिया से साक्षात्कार सम्पन्न हुआ. इसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों को वैन में भरकर खानापूर्ति कर दी.
यह पूरा हो हल्ला आंदोलन में लाई गई गौमाता अपने बछड़े के साथ देख रही थी. पुलिस ने जब आंदोलनकारियों को वैन में भरा तब सवाल आया कि गाय का क्या करें? आंदोलनकारियों की तरह गाय को पुलिस वैन के पीछे ले जाने की कोशिश हुई. एक दो चक्कर काटने के बाद गाय सहम गई. इस गहमागहमी में उसका बछड़ा उससे बिछड़ गया था और लोग उसे आगे से खींच रहे थे, पीछे से धकेल रहे थे.
आंदोलन में लाई गई गाय पुलिस के लिए भी चुनौती थी. पुलिस भी गाय को मौके से दूर कर देना चाहती थी. इस बीच खुद के साथ होती ज्यादतियों के चलते गाय ने असहयोग करना शुरू किया. वह भारी शोर की वजह से सहम गई और एक जगह रुक गई. वह वहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रही थी.
इस चुनौती को समझकर ग्वाले ने गाय को थाम लिया और उसे सहलाने लगा. गौमाता पहचान की आवाज़ और स्पर्श को भांप गई और शांतिपूर्वक अपने पालनहार के पीछे चल दी. इसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली. हालांकि तब तक यह पूरा वाकया कैमरे में कैद हो गया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं