प्रतीकात्मक फोटो
- डेंगू के बाद अब लेप्टो बीमारियों की चपेट में आ रहे लोग
- लेप्टोस्पॉरसिस से सात मरीजों की मौत हुई
- कोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका से लेप्टो को महामारी घोषित करने के लिए कहा
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मुंबई:
मुंबई में मॉनसून जनित बीमारियों का कहर जारी है. पहले डेंगू तो अब लेप्टो बीमारियों से जूझने में प्रशासन की नाकामी को अब कोर्ट तक खींच लिया गया है.
पिछले महीने बुखार और सिरदर्द की वजह से 24 साल के रिजवान हफ्तों अस्पताल में भर्ती रहे, अब लेप्टोस्पॉरसिस की वजह से उन्हें दुबारा अस्पताल आना पड़ा है. मानव शरीर के खुले घावों के चूहे के यूरिन के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है. रिजवान के भाई फुरकान ने बताया " रविवार रात में उसे अचानक सांस लेने में दिक्कत आई. उसे आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा. वह वापस आया फिर हफ्ते भर बाद ही उसे वापस तकलीफ होने लगी. हमने उसे वापस भर्ती कराया है अब उसकी हालत में सुधार है."
मॉनसून इस बार मुंबई में तय वक्त से ज्यादा रुक गया है, जिसकी वजह से डेंगू, मलेरिया, लेप्टो के मरीजों की तादाद बढ़ रही है. भाटिया अस्पताल के सीईओ डॉ राजीव बदानकर ने भी माना "सितंबर में हमारे पास सात मरीज आए हैं. पिछले साल से यह तादाद ज्यादा है."
पिछले पांच सालों से मुंबई में डेंगू से 476 लोगों की मौत हुई है, जबकि लेप्टो से 71 की. इन मौतों को रोकने में नाकाम प्रशासन के पास सिवाय नसीहत के फिलहाल कुछ ठोस नहीं दिख रहा. बीएमसी की मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पद्मजा केसकर के मुताबिक "लेप्टो से सात मरीजों की मौत हुई है, लेकिन अगर मरीज वक्त से अस्पताल पहुंच जाए तो इलाज हो सकता है."
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट मुंबई महानगरपालिका से लेप्टो को महामारी के तौर पर घोषित करने की तरफ सोचने की बात कह चुका है, ताकि इसकी रोकथाम के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाए जा सकें. फिलहाल तो मॉनसून के लंबे ठहराव ने ऐसी बीमारियों के डंक को और पैना कर दिया है.
(साथ में केतकी)
पिछले महीने बुखार और सिरदर्द की वजह से 24 साल के रिजवान हफ्तों अस्पताल में भर्ती रहे, अब लेप्टोस्पॉरसिस की वजह से उन्हें दुबारा अस्पताल आना पड़ा है. मानव शरीर के खुले घावों के चूहे के यूरिन के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है. रिजवान के भाई फुरकान ने बताया " रविवार रात में उसे अचानक सांस लेने में दिक्कत आई. उसे आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा. वह वापस आया फिर हफ्ते भर बाद ही उसे वापस तकलीफ होने लगी. हमने उसे वापस भर्ती कराया है अब उसकी हालत में सुधार है."
मॉनसून इस बार मुंबई में तय वक्त से ज्यादा रुक गया है, जिसकी वजह से डेंगू, मलेरिया, लेप्टो के मरीजों की तादाद बढ़ रही है. भाटिया अस्पताल के सीईओ डॉ राजीव बदानकर ने भी माना "सितंबर में हमारे पास सात मरीज आए हैं. पिछले साल से यह तादाद ज्यादा है."
पिछले पांच सालों से मुंबई में डेंगू से 476 लोगों की मौत हुई है, जबकि लेप्टो से 71 की. इन मौतों को रोकने में नाकाम प्रशासन के पास सिवाय नसीहत के फिलहाल कुछ ठोस नहीं दिख रहा. बीएमसी की मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पद्मजा केसकर के मुताबिक "लेप्टो से सात मरीजों की मौत हुई है, लेकिन अगर मरीज वक्त से अस्पताल पहुंच जाए तो इलाज हो सकता है."
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट मुंबई महानगरपालिका से लेप्टो को महामारी के तौर पर घोषित करने की तरफ सोचने की बात कह चुका है, ताकि इसकी रोकथाम के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाए जा सकें. फिलहाल तो मॉनसून के लंबे ठहराव ने ऐसी बीमारियों के डंक को और पैना कर दिया है.
(साथ में केतकी)
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