प्रतीकात्मक फोटो
- प्रायोजकों ने हाथ पीछे खींच लिए
- आयोजकों ने कई आयोजन रद्द किए
- त्योहार में फायदे का व्यापार नहीं
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मुंबई:
मुंबई में इस साल नवरात्र में गरबा फीका है. कई आयोजकों ने आयोजन रद्द कर दिए हैं तो कई इसे छोटे स्तर पर मना रहे हैं.
डांडिया क्वीन फाल्गुनी पाठक के गीतों पर थिरकन जारी है. पश्चिमी उपनगर बोरिविली में रोज इस जगह डांडिया खेलने लगभग 25,000 लोग आते हैं. लेकिन इस बार आयोजन आसान नहीं था. श्रिया इवेंट के पार्टनर शेखर रामचंद्रन का कहना है " बाजार बहुत धीमा है. प्रायोजकों ने हाथ पीछे खींच लिए. हमने जो भी किया है अपनी जेब से ताकि लोग पर्व का मजा ले सकें."
लेकिन सारे आयोजक जेब से पैसे लगाने में समर्थ नहीं हैं. पिछले साल मुंबई में करीब 10 बड़े गरबा आयोजक थे, इस साल बमुश्किल सात हैं. गुजराती बहुल घाटकोपर में 18 साल से डांडिया का आयोजन करने वालों ने इस साल इसे रद्द कर दिया. घाटकोपर गुजराती समाज के सचिव जिग्नेश खिलनानी ने कहा "हम पूरी तरह प्रायोजकों पर निर्भर हैं. अगर हम 500-1000 रुपये का टिकट रखेंगे तो पास के लिए 3000 रुपये लेने वालों का मुकाबला कैसे करेंगे? हमारे नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
आयोजकों की दलील बेमौसम बरसात, दस बजे स्पीकर बजाने की डेडलाइन है, लेकिन असली बात है बाज़ार ...जिसे शायद इस बार त्योहार में फायदे का व्यापार नहीं दिख रहा.
(साथ में अंकिता सिन्हा)
डांडिया क्वीन फाल्गुनी पाठक के गीतों पर थिरकन जारी है. पश्चिमी उपनगर बोरिविली में रोज इस जगह डांडिया खेलने लगभग 25,000 लोग आते हैं. लेकिन इस बार आयोजन आसान नहीं था. श्रिया इवेंट के पार्टनर शेखर रामचंद्रन का कहना है " बाजार बहुत धीमा है. प्रायोजकों ने हाथ पीछे खींच लिए. हमने जो भी किया है अपनी जेब से ताकि लोग पर्व का मजा ले सकें."
लेकिन सारे आयोजक जेब से पैसे लगाने में समर्थ नहीं हैं. पिछले साल मुंबई में करीब 10 बड़े गरबा आयोजक थे, इस साल बमुश्किल सात हैं. गुजराती बहुल घाटकोपर में 18 साल से डांडिया का आयोजन करने वालों ने इस साल इसे रद्द कर दिया. घाटकोपर गुजराती समाज के सचिव जिग्नेश खिलनानी ने कहा "हम पूरी तरह प्रायोजकों पर निर्भर हैं. अगर हम 500-1000 रुपये का टिकट रखेंगे तो पास के लिए 3000 रुपये लेने वालों का मुकाबला कैसे करेंगे? हमारे नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
आयोजकों की दलील बेमौसम बरसात, दस बजे स्पीकर बजाने की डेडलाइन है, लेकिन असली बात है बाज़ार ...जिसे शायद इस बार त्योहार में फायदे का व्यापार नहीं दिख रहा.
(साथ में अंकिता सिन्हा)
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