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मुंबई की जर्जर इमारतें, MHADA और BMC ने चस्पा किए नोटिस, क्यों घर खाली नहीं करना चाहते लोग?

दक्षिण और मध्य मुंबई के कई हिस्सों में पगड़ी किराए के फ्लैट हैं, यहां का किरायेदार, प्रोपर्टी का सह-मालिक भी होता है और मार्केट में सामान्य दरों 30,000 से 50,000 की तुलना में बेहद मामूली किराए 500-1000 का भुगतान करता है.

मुंबई की जर्जर इमारतें, MHADA और BMC ने चस्पा किए नोटिस, क्यों घर खाली नहीं करना चाहते लोग?
मुंबई:

मुंबई शहर की महंगाई में लोग अपनी जान की फ़िक्र भी भूल जाते हैं. 80-90 साल पुरानी जर्जर इमारतों में भी रहने को मजबूर होते हैं. बारिश में ढहने के खतरे को देखते हुए MHADA ने 96 और BMC ने 134 बिल्डिंग को खतरनाक घोषित किया है, लेकिन कई परिवार घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

अपने आशियाने को मलबे में सना देख मुंबई में रहने वाली निर्मला आज एक छत के लिए तरस रहीं है. इसकी जर्जर बिल्डिंग गिराई गई, कई बेघर हुए, बेसहारा निर्मला भी सड़क पर आ गई. उसने कहा कि पान की छोटी दुकान चलाती हूं, जिनके पास पैसे थे वो किराए पर निकल गए. मैं कहां जाऊं, ट्रांजिट कैम्प में मेरे लिए जगह नहीं है. यहां कुछ लोग पैसे से मदद भी कर देते हैं. मैं और मेरे पति यहीं ऐसे सड़क पर या दुकान के सामने गुज़र बसर कर रहे हैं. 

करीब 70 साल पुरानी घाटकोपर की नारायण नगर बिल्डिंग का अब दूसरा हिस्सा भी गिराया जा रहा है. बीएमसी ने खाली करने का नोटिस थमाया है. सामने नेवी डिपो है, इसलिए सुरक्षा लिहाज़ से पुनर्निर्माण की भी कई अड़चनें हैं. नतीजा, करीब 30 लोग अब भी बिल्डिंग में हैं. कहते हैं जाएं तो जाएं कहां.

नारायण नगर के निवासी कहते हैं कि बिल्डिंग का रिडेवलपमेंट नहीं होगा, क्योंकि सामने नेवी डिपो है. तो अब बिल्डिंग गिरेगी तब ही छोड़ेंगे और क्या करें? प्राइवेट ज़मीन है हमारी, कहां जाएं, ट्रांजिट कैम्प में हमारे लिए जगह नहीं. मुंबई शहर में इतना किराया है लोग क्या करें? बस कहते हैं घर खाली करो लेकिन खाली करके कहां जाएं?

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माटुंगा के 90 साल पुराने बलडोटा हाउस में म्हाडा ने नोटिस चिपकाया है, फौरन घर खाली करने का निर्देश है. लेकिन यहां सालों से रह रहे परिवार घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

घर छोड़कर कहां जाऊं- बलडोटा हाउस निवासी

एक निवासी ने कहा कि मैं नहीं जाऊंगी या तो किराया देकर अच्छी जगह ले जाए, नहीं तो नहीं छोड़ूंगी, ट्रांजिट कैम्प में भी नहीं जाऊंगी. जानवर की तरह नहीं रहूंगी. जो भी हो यहीं रहना है. मकान मालिक को भी कुछ नहीं पड़ी है. हम ही मरम्मत करवाते रहते हैं. बाहर कौन इतना किराया देगा, इतना पैसा हमारे पास थोड़े ही है.

मुंबई की बारिश में जर्जर इमारतों के ढहने से दर्जनों मौतें होती हैं. इसलिए हर बार की तरह मानसून के आने से पहले ही,

  • महाराष्‍ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने 96 इमारतों को रहने के लिए खतरनाक घोषित किया है. 
  • इन इमारतों में रह रहे 3000 लोगों को जान का खतरा है.
  • ये सभी बिल्डिंग दक्षिण और सेंट्रल मुंबई में स्थित हैं.
  • सबसे ज्‍यादा जोखिम मोहम्‍मद अली रोड, मझगांव, गिरगांव, खेतवाड़ी और दादर माटुंगा जैसे इलाकों में है.
  • वहीं बीएमसी ने भी अपने अधिकार क्षेत्र में 134 जर्जर इमारतों को खाली करने का नोटिस भेजा है.

जर्जर मकान में रहने को मजबूर लोग

खास तौर से दक्षिण और मध्य मुंबई के कई हिस्सों में पगड़ी किराए के फ्लैट हैं, यहां का किरायेदार, प्रोपर्टी का सह-मालिक भी होता है और मार्केट में सामान्य दरों 30,000 से 50,000 की तुलना में बेहद मामूली किराए 500-1000 का भुगतान करता है, ऐसे ढांचे ख़ास तौर से मालिक-डेवलपर की लड़ाई या फिर खेल में फंसते हैं और जर्जर हालत में भी किरायेदार यहां रहने को मजबूर होते हैं.

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