मुंबई:
देशभर की निचली अदालतों में लंबित दो करोड़ से ज्यादा मुकदमों में महिलाओं द्वारा दायर किए गए मामलों का प्रतिशत 13 से ज्यादा है। महिलाओं ने सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दायर किए हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु का नंबर आता है। नवीन आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है।
दिल्ली में 2424 महिलाओं ने मुकदमे दायर किए हैं, जो उनके द्वारा विभिन्न अधीनस्थ अदालतों में दायर 28,71,157 मालमों का 0.08 फीसदी है। राष्ट्रीय डाटा न्यायिक ग्रिड ने कहा कि महिलाओं द्वारा दायर लंबित मामलों में से 13,09,137 दीवानी प्रकृति के हैं जबकि 15,62,020 आपराधिक प्रकृति के हैं। यह आंकड़े 12 फरवरी तक के हैं।
गैर आपराधिक मुकदमों में आमतौर पर निजी संपत्ति अधिकार जैसे मामले शामिल होते हैं, जिनमें अनुबंध का उल्लंघन, तलाक, लापरवाही और प्रतिलिप्याधिकार उल्लंघन के मामले शामिल होते हैं। महाराष्ट्र में कुल 11,46,730 मुकदमे महिलाओं ने दायर किए हैं : या समूचे भारत में महिलाओं द्वारा दायर मुकदमों का प्रतिशत 39.94 प्रतिशत हैं:। इनमें से 3,68,480 दीवानी प्रकृति के हैं और 7,78,250 आपराधिक प्रकृति के हैं।
इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है जहां पर 4,24,333 या 14.78 फीसदी मामले दायर किए गए हैं। इनमें से 1,87,625 दीवानी और 2,36,708 आपराधिक है। यूपी के बाद महिलाओं द्वारा दायर मुकदमों की अधिकतम संख्या पश्चिम बंगाल में है, जहां 1,59,481 या 5.55 प्रतिशत मामले अधीनस्थ अदालतों में लंबित है।
पश्चिम बंगाल के बाद तमिलनाडु है, जहां 1,36,087 :4.74 फीसदी: मामले लंबित हैं। इसके बाद राजस्थान है जहां पर कुल 4.16 मामले :1,19,418: महिलाओं ने मुकदमे दायर किए हैं। उच्चतम न्यायालय की ई कमेटी ने राष्ट्रीय डाटा ग्रिड शुरू की है ताकि वह समूचे देश में जिला आदलतों में लंबित मामलों की संख्या बता सके।
आंकड़ों को दीवानी और आपराधिक मामलों में बांटा गया है और फिर इन्हें इस आधार पर अलग किया गया है कि ये मामले कितने सालों से लंबित हैं।
दिल्ली में 2424 महिलाओं ने मुकदमे दायर किए हैं, जो उनके द्वारा विभिन्न अधीनस्थ अदालतों में दायर 28,71,157 मालमों का 0.08 फीसदी है। राष्ट्रीय डाटा न्यायिक ग्रिड ने कहा कि महिलाओं द्वारा दायर लंबित मामलों में से 13,09,137 दीवानी प्रकृति के हैं जबकि 15,62,020 आपराधिक प्रकृति के हैं। यह आंकड़े 12 फरवरी तक के हैं।
गैर आपराधिक मुकदमों में आमतौर पर निजी संपत्ति अधिकार जैसे मामले शामिल होते हैं, जिनमें अनुबंध का उल्लंघन, तलाक, लापरवाही और प्रतिलिप्याधिकार उल्लंघन के मामले शामिल होते हैं। महाराष्ट्र में कुल 11,46,730 मुकदमे महिलाओं ने दायर किए हैं : या समूचे भारत में महिलाओं द्वारा दायर मुकदमों का प्रतिशत 39.94 प्रतिशत हैं:। इनमें से 3,68,480 दीवानी प्रकृति के हैं और 7,78,250 आपराधिक प्रकृति के हैं।
इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है जहां पर 4,24,333 या 14.78 फीसदी मामले दायर किए गए हैं। इनमें से 1,87,625 दीवानी और 2,36,708 आपराधिक है। यूपी के बाद महिलाओं द्वारा दायर मुकदमों की अधिकतम संख्या पश्चिम बंगाल में है, जहां 1,59,481 या 5.55 प्रतिशत मामले अधीनस्थ अदालतों में लंबित है।
पश्चिम बंगाल के बाद तमिलनाडु है, जहां 1,36,087 :4.74 फीसदी: मामले लंबित हैं। इसके बाद राजस्थान है जहां पर कुल 4.16 मामले :1,19,418: महिलाओं ने मुकदमे दायर किए हैं। उच्चतम न्यायालय की ई कमेटी ने राष्ट्रीय डाटा ग्रिड शुरू की है ताकि वह समूचे देश में जिला आदलतों में लंबित मामलों की संख्या बता सके।
आंकड़ों को दीवानी और आपराधिक मामलों में बांटा गया है और फिर इन्हें इस आधार पर अलग किया गया है कि ये मामले कितने सालों से लंबित हैं।
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