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This Article is From May 30, 2016

महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री की घोषणा : राज्य में एसएससी बोर्ड परीक्षा में अब कोई फेल नहीं कहलाएगा!

महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री की घोषणा : राज्य में एसएससी बोर्ड परीक्षा में अब कोई फेल नहीं कहलाएगा!
विनेद तावड़े (फाइल फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र में इस साल से दसवीं की परीक्षा में कोई भी छात्र फेल नहीं कहलाएगा। राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के पुरस्कार वितरण समारोह में इसकी घोषणा की। महाराष्ट्र संभवतः देश का पहला राज्य होगा, जहां दसवीं की परीक्षा में फेल होने वाले बच्चों की मार्कशीट में फेल की बजाय “प्रमोटेड टू स्किल डेवलपमेंट” लिखा जाएगा। माना जा रहा है कि इससे बच्चों पर परीक्षा का दबाव खत्म हो जाएगा। इस तरकीब को इसी सेशन से लागू करने का फैसला किया गया है।

फेल होने वालों को ट्रेनिंग देकर रोजगार
शिक्षामंत्री ने कहा कि फेल होने पर बच्चे बुरी संगत में पड़कर अपराध की दुनिया में चले जाते हैं इसलिए उन्हें किसी काम की ट्रेनिंग देकर उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जानी चाहिए। तावड़े ने बताया कि एसएससी बोर्ड में औसतन 96 फीसदी बच्चे पास होते हैं और 4 फीसदी रह जाते हैं। इस बार ऐसे बच्चों की सरकार की तरफ से वन टू वन  कैरियर काउंसलिंग की जाएगी। उनमे क्या हुनर हैं यह जानने के बाद सभी को नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल में 2 साल के स्किल डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने के लिए कहेंगे। मतलब महाराष्ट्र में 96 प्रतिशत बच्चों की कक्षा 10 की मार्कशीट पर " पास फॉर इलेवन " और 4 प्रतिशत बच्चों की कक्षा 10 की मार्कशीट पर "प्रमोटेड फॉर स्किल डेवलपमेंट " लिखा होगा। अब किसी की भी मार्कशीट पर 10 वीं फेल का ठप्पा नहीं होगा।

डॉ खडसे को महाराष्ट्र भारती जीवन गौरव हिंदी सेवा पुरस्कार
बांद्रा पश्चिम में रंग शारदा सभागृह में आयोजित समारोह में वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। राहुल देव और अकादमी के कार्याध्यक्ष प्रो नंदलाल पाठक के हाथों डॉ दामोदर खडसे को महाराष्ट्र भारती जीवन गौरव हिंदी सेवा पुरस्कार और डॉ सुधाकर मिश्र को डॉ राममनोहर त्रिपाठी जीवन गौरव हिंदी सेवा पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार लेने के बाद डॉ मिश्र ने विनोदी लहजे में मंच से कहा, “मैं वादा करता हूं कि मैं साहित्य अकादमी का पुरस्कार नहीं लौटाऊंगा।“

शचींद्र त्रिपाठी को सानेगुरुजी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
डॉ कुसुम पटोरिया को छत्रपति शिवाजी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, शचींद्र त्रिपाठी को सानेगुरुजी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, डॉ केशव सिंह प्रथमवीर को पद्मश्री अनंत शेवड़े हिंदी सेवा पुरस्कार, डॉ सुमन जैन को डॉ उषा मेहता हिंदी सेवा पुरस्कार, सुरेश नारायण कुसुंबीवाल को गजानन माधव मुक्तिबोध मराठी भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार, सरदार मुजावर को कांतिलाल जोशी इतर हिंदी भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार, गोविंद निहलानी को शांताराम ललित कला हिंदी विशिष्ट सेवा पुरस्कार, डॉ अर्जुन चव्हाण को सुब्रमण्यम भारती हिंदी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार दिए गए।

काव्य रचना के लिए मधुसूदन पांडेय पुरस्कृत
समारोह में काव्य रचना के लिए मधुसूदन पांडेय, ओमप्रकाश तिवारी और सिंबन बैजी को संत नामदेव पुरस्कार, गद्य लेखन के लिए सुधा अरोड़ा, राजेंद्र श्रीवास्तव, नरेंद्र परिहार को मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार दिए गए। इसी तरह नीरज व्यास और कृष्णा खत्री को आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार, ओमप्रकाश के शिव को फणीश्वर नाथ रेणु पुरस्कार, बाल साहित्य के लिए डॉ बानो सरताज, त्रिवेणी तुनकर, सुभाष काबरा को सोहनलाल द्विवेदी पुरस्कार और डॉ अनिल सिंह और वंदना विजय धर्माधिकारी को मामा वरेरकर पुरस्कार दिए गए। कार्यक्रम में लोकगायक सुरेश शुक्ल ने हर भाषा के लोकगीत पेश किए।

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