प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
मुंबई में अब पारंपरिक टैक्सी (काली-पीली टैक्सी) भी 9211 नाम के एप्लीकेशन के जरिए अपनी सुविधाएं यात्रियों को दे सकेंगी। करीब एक महीने बाद 4000 काली-पीली टैक्सियों में यह सुविधा दी जाएगी। ओला और उबर जैसे प्राइवेट अग्ग्रेगटर्स को टक्कर देने के इरादे से एप्लीकेशन को लॉन्च किया जा रहा है।
जीपीएस लगाया जाएगा
टैक्सी यूनियन अध्यक्ष कुएड्रॉस का कहना है कि, "इस प्रपोजल को आरटीओ कमिश्नर के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। करीब एक महीने बाद इसे मुंबई की 38000 में से 4000 काली-पीली टैक्सियों में लगाया जाएगा। ओला और उबर की ही तरह इन सभी टैक्सियों में जीपीएस सिस्टम होगा। एसी और बाकी सुविधाएं भी इन टैक्सियों में होगी।"
कॉल सेंटर सहित अन्य व्यवस्थाएं होंगी
यह एप्लीकेशन सही तरीके से काम कर सके इसके लिए कॉल सेंटर और बाकी ऑपरेशनल काम को आउटसोर्स भी किया जाएगा। हालांकि अभी काली-पीली टैक्सी ड्राइवरों में इस 9211 एप्लीकेशन को लेकर कई सवाल हैं। कइयों का मानना है कि इससे उनके काम करने के तरीके पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही यह एप्प कितना सफल होगा यह अभी तय करना मुश्किल होगा। लेकिन कुछ ड्राईवर मानते हैं कि इससे वह ओला, उबर जैसे प्राइवेट अग्ग्रीगेटर से मुकाबला कर पाएंगे।
जीपीएस लगाया जाएगा
टैक्सी यूनियन अध्यक्ष कुएड्रॉस का कहना है कि, "इस प्रपोजल को आरटीओ कमिश्नर के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। करीब एक महीने बाद इसे मुंबई की 38000 में से 4000 काली-पीली टैक्सियों में लगाया जाएगा। ओला और उबर की ही तरह इन सभी टैक्सियों में जीपीएस सिस्टम होगा। एसी और बाकी सुविधाएं भी इन टैक्सियों में होगी।"
कॉल सेंटर सहित अन्य व्यवस्थाएं होंगी
यह एप्लीकेशन सही तरीके से काम कर सके इसके लिए कॉल सेंटर और बाकी ऑपरेशनल काम को आउटसोर्स भी किया जाएगा। हालांकि अभी काली-पीली टैक्सी ड्राइवरों में इस 9211 एप्लीकेशन को लेकर कई सवाल हैं। कइयों का मानना है कि इससे उनके काम करने के तरीके पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही यह एप्प कितना सफल होगा यह अभी तय करना मुश्किल होगा। लेकिन कुछ ड्राईवर मानते हैं कि इससे वह ओला, उबर जैसे प्राइवेट अग्ग्रीगेटर से मुकाबला कर पाएंगे।
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