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This Article is From Jan 31, 2017

मुंबई के हाईप्रोफाइल आईपीएस अधिकारी राकेश मारिया हुए रिटायर, अपने अनुभव पर लिखेंगे किताब

मुंबई के हाईप्रोफाइल आईपीएस अधिकारी राकेश मारिया हुए रिटायर, अपने अनुभव पर लिखेंगे किताब
36 साल की नौकरी के बाद रिटायर हुए राकेश मारिया
  • साइड पोस्टिंग पर राकेश मारिया ने कहा कि वो खुद ही साइड ब्रांच चाहते थे
  • होमगार्ड के डीजी पद से रिटायर होने का दर्द उनके चेहरे पर साफ दिखा
  • मारिया ज्यादा वक्त अपने द्वारा सुलझाए मामलों पर किताब लिखने में देंगे
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मुंबई: महाराष्ट्र कैडर के हाई प्रोफाइल पुलिस अफसर राकेश मारिया 36 साल की पुलिस सेवा के बाद रिटायर हो गये. 1993 मुंबई बम धमाका, इंडियन मुजाहिदीन आतंकी संगठन और 26/11 आतंकी हमले जैसे दर्जनों महत्वपूर्ण केस की जांच में नाम कमाने वाले राकेश मारिया के लिए शीना बोरा हत्याकांड की जांच में ज्यादा रुचि लेना इस कदर महंगा पड़ा कि उन्हें अपना मुंबई पुलिस आयुक्त का पद गंवाना पड़ा और आनन-फानन में उनका तबादला होमगार्ड के डीजी पद पर कर दिया गया था. 36 साल की पुलिस सेवा और उसमें एक से एक बड़े और महत्वपूर्ण केस की जांच को अंजाम देने के बाद भी सिर्फ शीना बोरा हत्याकांड का उल्लेख किये जाने को लेकर मारिया मीडिया से नाराज भी दिखे.

31 जनवरी को अपने कार्यकाल के आखिरी दिन राकेश मारिया ने अपने दफ्तर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अचानक से हुए तबादले का उन्हें कोई दुःख नहीं है. दुःख इस बात का है कि तीन साल तक दबे रहे इतने महत्वपूर्ण केस का खुलासा करने वाले अफसरों को उनके काम का क्रेडिट नहीं मिला. तबादले पर राकेश मारिया का कहना है कि वो खुद ही साइड ब्रांच चाहते थे क्योंकि बेटे की शादी की तैयारी करनी थी. मारिया के मुताबिक उन्होंने खुद ही तबादले के लिये पत्र लिखा था.

मारिया ने दावा किया कि होमगार्ड का डीजी बनाये जाने को लेकर उन्हें राज्य सरकार से कोई नाराजगी नहीं है. लेकिन मुंबई पुलिस आयुक्त के साथ एटीएस प्रमुख और मुंबई क्राइम ब्रांच जैसे अहम पद पर रह चुके पुलिस अफसर का साइड पोस्टिंग कहे जाने वाले होमगार्ड के डीजी पद से रिटायर होने का दर्द उनके चेहरे पर आसानी से पढ़ा जा सकता था.

राकेश मारिया पर 26/11 आतंकी हमले के दौरान आतंकियों से मौके पर लोहा लेने की बजाय कंट्रोल रूम में बैठकर ऑपरेशन को अंजाम देने पर भी सवाल उठ चुका है. उस बात का जिक्र करते हुये राकेश मारिया ने क़हा कि उस हमले में बहुत पुलिस वालों ने अपना कर्तव्‍य निभाया, बहादुरी दिखाई लेकिन सम्मान सिर्फ उन्हें मिला जो जख्मी हुए या फिर शहीद हुए. मुझे उस समय जो जिम्मेदारी दी गई उसे मैंने बखूबी निभाया. दुःख इस बात का है कि मैं उस हमले में मोर्चे पर नहीं था और ज़ख्मी या शहीद नहीं हो पाया. आगे उन्होंने ये भी जोड़ा कि 26/11 आतंकी हमले में सुरक्षा कर्मियों के मरने का दुःख भी है.

भविष्य की योजनाओं पर ज्यादा नहीं बोलते हुए मारिया ने बताया कि अब वो अपना ज्यादा वक्त उनके द्वारा सुलझाए गए दर्जनों मामलों पर किताब लिखने में देंगे और एक सामान्य नागरिक बनकर जीने का लुत्फ़ उठाने की कोशिश करेंगे. यह पूछने पर कि 26/11 आतंकी हमले में उल्लेखनीय काम की वजह से विदेश से आपको जॉब का ऑफर मिल चुका था, क्या अब उस पर गौर करेंगे? मारिया ने अपने चिरपरिचित अंदाज में हंसते हुए कहा, कुछ बातें किताबों में लिखने के लिए भी छोड़ दो.

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