प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई:
नोटबंदी का असर हर सेक्टर पर पड़ता दिख रहा है. हालांकि कुछ लोगों को उम्मीद थी कि इससे घरों की कीमतें सस्ती होंगी, लेकिन हकीकत में मुंबई के प्रॉपर्टी बाज़ार में बहुत सुधार नहीं हुआ है. नवी मुंबई, ठाणे, मीरा रोड समेत कई जगहों पर बिल्डरों की संस्था ने घरों का मेला लगाया, लेकिन नोटबंदी की मार से बाज़ार बेज़ार दिखे और ज्यादा ख़रीदार नहीं जुटे.
मुंबई से सटे नवी मुंबई में हाल ही में क्रेडाई-बीएएनएम ने प्रॉपर्टी एक्जीबिशन लगाया था, जिसमें घर देखने आए प्रकाश को लगा कि कीमत अभी भी ऊंची है. वहीं सपना भावनानी ने कहा कि रेट जब कम होंगे, तभी वो घर खरीदने के बारे में सोच सकते हैं. वैसे प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े लोगों की राय जुदा है.
उनका मानना है भीड़ कम हैं, लेकिन खरीदार असली क्रेडाई-बीएएनए के अध्यक्ष धर्मेंद्र कारिया ने कहा, 'नोटबंदी के हिसाब से नवी मुंबई में फायदा है, मिनिमम मार्जिन पर काम कर रहे हैं, फुल व्हाइट में काम कर रहे हैं, मिडिल क्लास लोग आते हैं.' वहीं पैराडाइज़ ग्रुप के मनीष भतीजा का कहना था, 'मार्केट में थोड़ा फर्क है सेंटिमेंट में, लेकिन जितना सोचा उतना नहीं है. फ्लो कम है, लेकिन घर खरीदने वाले खरीदार ज्यादा आए हैं..
इस चकाचौंध के बीच एक तस्वीर उनकी हैं, जो आपके महल बनाते हैं, लेकिन उनके पास नोटबंदी की वजह से खाने को रोटी नहीं हैं. 25 साल के रामनरेश 10 साल से मुंबई में दिहाड़ी मजदूर हैं, पिछले एक महीने से कमाई आधी से भी कम हो गई है. उनका कहना है, 'जीने के लिए कम से कम 6000 रुपये हर महीना चाहिए, लेकिन पिछले महीने 2000-2500 ही कमा पाए. इतनी कम रकम से क्या खाएंगे.'
दिक्कत इन मज़दूरों को दिहाड़ी दिलाने वालों की भी है. पेशे से ठेकेदार कमलापति मिश्रा ने कहा, 'नोटबंदी की शुरुआत में हम लाइन में लगकर पैसे जमा किए, लेकिन बाद में मैटेरियल खरीदने के लिए भी नकदी नहीं मिली. हम अपने मजदूरों को भी पैसा नहीं दे पा रहे हैं.'
घर के मेलों की चकाचौंध में बाज़ार पर नोटबंदी का असर दिखे ना दिखे, रजिस्ट्रार के दफ्तर में ज़रूर दिख जाते हैं. राज्य भर के 503 सब रजिस्ट्रार दफ्तरों में हर दिन औसतन 7,721 दस्तावेज़ रजिस्टर होते थे, जो अब 4,583 पर आ गया है. यही नहीं इस वित्त-वर्ष के लिए स्टॉम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन से महाराष्ट्र सरकार को 23,548 करोड़ के कमाई की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल सिर्फ 11,106 करोड़ जमा हुए हैं. रोज़ाना लगभग 58 करोड़ की कमाई करने वाला महकमा अब लगभग 48 करोड़ रुपये कमा रहा है, जिससे इस साल तिजोरी पूरी भरेगी इसमें शक है.
हालांकि जानकारों को उम्मीद है कि मायानगरी में प्रॉपर्टी का बाज़ार पारदर्शी होगा और उसमें तेजी आएगी. नाइट फ्रैंक इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ सामंतक दास ने कहा, '3-6 महीने में खरीदारी कम दिखेगी, कुछ जगहों पर दबाव भी बनेगा, लेकिन हमें लगता है कि इसके बाद नोटबंदी की वजह से रिहाइशी मार्केट अलग तरीके से उभरेगा. जो ज्यादा पारदर्शी होगा. संस्थाओं को इसपर ज्यादा भरोसा होगा.'
मुंबई से सटे नवी मुंबई में हाल ही में क्रेडाई-बीएएनएम ने प्रॉपर्टी एक्जीबिशन लगाया था, जिसमें घर देखने आए प्रकाश को लगा कि कीमत अभी भी ऊंची है. वहीं सपना भावनानी ने कहा कि रेट जब कम होंगे, तभी वो घर खरीदने के बारे में सोच सकते हैं. वैसे प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े लोगों की राय जुदा है.
उनका मानना है भीड़ कम हैं, लेकिन खरीदार असली क्रेडाई-बीएएनए के अध्यक्ष धर्मेंद्र कारिया ने कहा, 'नोटबंदी के हिसाब से नवी मुंबई में फायदा है, मिनिमम मार्जिन पर काम कर रहे हैं, फुल व्हाइट में काम कर रहे हैं, मिडिल क्लास लोग आते हैं.' वहीं पैराडाइज़ ग्रुप के मनीष भतीजा का कहना था, 'मार्केट में थोड़ा फर्क है सेंटिमेंट में, लेकिन जितना सोचा उतना नहीं है. फ्लो कम है, लेकिन घर खरीदने वाले खरीदार ज्यादा आए हैं..
इस चकाचौंध के बीच एक तस्वीर उनकी हैं, जो आपके महल बनाते हैं, लेकिन उनके पास नोटबंदी की वजह से खाने को रोटी नहीं हैं. 25 साल के रामनरेश 10 साल से मुंबई में दिहाड़ी मजदूर हैं, पिछले एक महीने से कमाई आधी से भी कम हो गई है. उनका कहना है, 'जीने के लिए कम से कम 6000 रुपये हर महीना चाहिए, लेकिन पिछले महीने 2000-2500 ही कमा पाए. इतनी कम रकम से क्या खाएंगे.'
दिक्कत इन मज़दूरों को दिहाड़ी दिलाने वालों की भी है. पेशे से ठेकेदार कमलापति मिश्रा ने कहा, 'नोटबंदी की शुरुआत में हम लाइन में लगकर पैसे जमा किए, लेकिन बाद में मैटेरियल खरीदने के लिए भी नकदी नहीं मिली. हम अपने मजदूरों को भी पैसा नहीं दे पा रहे हैं.'
घर के मेलों की चकाचौंध में बाज़ार पर नोटबंदी का असर दिखे ना दिखे, रजिस्ट्रार के दफ्तर में ज़रूर दिख जाते हैं. राज्य भर के 503 सब रजिस्ट्रार दफ्तरों में हर दिन औसतन 7,721 दस्तावेज़ रजिस्टर होते थे, जो अब 4,583 पर आ गया है. यही नहीं इस वित्त-वर्ष के लिए स्टॉम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन से महाराष्ट्र सरकार को 23,548 करोड़ के कमाई की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल सिर्फ 11,106 करोड़ जमा हुए हैं. रोज़ाना लगभग 58 करोड़ की कमाई करने वाला महकमा अब लगभग 48 करोड़ रुपये कमा रहा है, जिससे इस साल तिजोरी पूरी भरेगी इसमें शक है.
हालांकि जानकारों को उम्मीद है कि मायानगरी में प्रॉपर्टी का बाज़ार पारदर्शी होगा और उसमें तेजी आएगी. नाइट फ्रैंक इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ सामंतक दास ने कहा, '3-6 महीने में खरीदारी कम दिखेगी, कुछ जगहों पर दबाव भी बनेगा, लेकिन हमें लगता है कि इसके बाद नोटबंदी की वजह से रिहाइशी मार्केट अलग तरीके से उभरेगा. जो ज्यादा पारदर्शी होगा. संस्थाओं को इसपर ज्यादा भरोसा होगा.'
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