महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े (फाइल फोटो)
मुंबई:
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा है। महाराष्ट्र कांग्रेस का आरोप है कि तावड़े ने अपनी कुर्सी के बूते निजी कंपनी चलाई वो भी अपने फायदे के लिए, आरोपों की जद में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी घेरा गया।
कांग्रेस ने दावा किया कि महाराष्ट्र बीजेपी ने 2001 में श्री मल्टीमीडिया विजन नाम की कंपनी को मराठी अखबार मुंबई तरुण भारत चलाने के लिए 25 लाख रुपये दिये। आरएसएस से जुड़े दिलिप करंबेलकर कुछ दिनों पहले तक अखबार के संपादक थे, उन्हें अब सरकारी संस्थान मराठी विश्वकोष महामंडल का प्रमुख बना दिया गया है।
कांग्रेस का आरोप है कि करंबेलकर और तावड़े श्री मल्टीमीडिया विजन में भागीदार हैं। करंबेलकर श्रीरंग प्रिंटर्स प्रा. लिमिटेड में भी निदेशक थे, तावड़े भी 1996 से 2007 तक इस कंपनी के निदेशक रह चुके हैं। उधर तावड़े का कहना है कि वो कंपनी के मानद निदेशक हैं, और करंबेलकर की नियुक्ति उन्होंने नहीं राज्य सरकार ने की है। अपनी सफाई में तावड़े ने कहा, "मैं कंपनी का मानद संचालक हूं, लेकिन मेरे पास कंपनी के कोई शेयर नहीं हैं... मेरा कंपनी के नफा-नुकसान से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी ने 25 लाख का निवेश नहीं किया है, ये रकम विज्ञापन, छपाई के लिए ट्रेड एडवांस के तौर पर दी गई थी।"
हालांकि कांग्रेस इन तर्कों को मानने के लिए तैयार नहीं। उसका कहना है ट्रेड एडवांस कुछ महीनों के लिए दिया जाता है, 15 साल के लिए नहीं। कांग्रेस का आरोप है कि 25 लाख रुपये कभी बीजेपी के पास वापस नहीं आए, जिन पैसों का इस्तेमाल सिर्फ पार्टी के लिए हो सकता था उसे मुनाफा कमाने के लिए कारोबार में लगया गया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "नियमों के मुताबिक कोई मंत्री निजी कंपनी में शामिल नहीं हो सकता। विनोद तावड़े कई कंपनियों में प्रबंध निदेशक हैं, उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया है। इसलिए उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।"
विनोद तावड़े पर कांग्रेस फर्जी डिग्री हासिल करने ले से लेकर, कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुकी है। लेकिन इस बार उसने मल्टीमीडिया विजन लिमिटेड मामले में 6 डीआईएन नंबर रखने का आरोप लगाकर नितिन गडकरी को भी निशाने पर ले लिया है।
कांग्रेस ने दावा किया कि महाराष्ट्र बीजेपी ने 2001 में श्री मल्टीमीडिया विजन नाम की कंपनी को मराठी अखबार मुंबई तरुण भारत चलाने के लिए 25 लाख रुपये दिये। आरएसएस से जुड़े दिलिप करंबेलकर कुछ दिनों पहले तक अखबार के संपादक थे, उन्हें अब सरकारी संस्थान मराठी विश्वकोष महामंडल का प्रमुख बना दिया गया है।
कांग्रेस का आरोप है कि करंबेलकर और तावड़े श्री मल्टीमीडिया विजन में भागीदार हैं। करंबेलकर श्रीरंग प्रिंटर्स प्रा. लिमिटेड में भी निदेशक थे, तावड़े भी 1996 से 2007 तक इस कंपनी के निदेशक रह चुके हैं। उधर तावड़े का कहना है कि वो कंपनी के मानद निदेशक हैं, और करंबेलकर की नियुक्ति उन्होंने नहीं राज्य सरकार ने की है। अपनी सफाई में तावड़े ने कहा, "मैं कंपनी का मानद संचालक हूं, लेकिन मेरे पास कंपनी के कोई शेयर नहीं हैं... मेरा कंपनी के नफा-नुकसान से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी ने 25 लाख का निवेश नहीं किया है, ये रकम विज्ञापन, छपाई के लिए ट्रेड एडवांस के तौर पर दी गई थी।"
हालांकि कांग्रेस इन तर्कों को मानने के लिए तैयार नहीं। उसका कहना है ट्रेड एडवांस कुछ महीनों के लिए दिया जाता है, 15 साल के लिए नहीं। कांग्रेस का आरोप है कि 25 लाख रुपये कभी बीजेपी के पास वापस नहीं आए, जिन पैसों का इस्तेमाल सिर्फ पार्टी के लिए हो सकता था उसे मुनाफा कमाने के लिए कारोबार में लगया गया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "नियमों के मुताबिक कोई मंत्री निजी कंपनी में शामिल नहीं हो सकता। विनोद तावड़े कई कंपनियों में प्रबंध निदेशक हैं, उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया है। इसलिए उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।"
विनोद तावड़े पर कांग्रेस फर्जी डिग्री हासिल करने ले से लेकर, कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुकी है। लेकिन इस बार उसने मल्टीमीडिया विजन लिमिटेड मामले में 6 डीआईएन नंबर रखने का आरोप लगाकर नितिन गडकरी को भी निशाने पर ले लिया है।
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