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किस मुंह से कांग्रेस मांगेगी वोट? बिहार चुनाव पर संजय निरुपम ने घेरा तो मिला दो टूक जवाब

संजय निरुपम पर निशाना साधते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि जो लोग बार-बार दल बदलते हैं, उन्हें हमें नहीं सिखाना चाहिए. मेरा उनसे अनुरोध है कि वे जिस पार्टी में हैं, वहां के लोगों को संविधान का पालन करना सिखाएं.

किस मुंह से कांग्रेस मांगेगी वोट? बिहार चुनाव पर संजय निरुपम ने घेरा तो मिला दो टूक जवाब
संजय निरुपम का कांग्रेस पर हमला.
  • संजय निरुपम ने कांग्रेस पर महाविकास आघाड़ी गठबंधन में मनसे के साथ शामिल रहने का आरोप लगाया.
  • निरुपम ने कहा कि क्या कांग्रेस मनसे से हाथ मिला कर बिहार जाकर छठ पूजा का विरोध करना चाहती है.
  • महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि मनसे का MVA में शामिल होने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
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शिवसेना उपनेता और प्रवक्ता संजय निरुपम ने कांग्रेस पर दोगलेपन का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को अब स्पष्ट करना चाहिए कि मुंबई में उत्तर भारतीयों से नफरत करने वाली पार्टी मनसे महाविकास आघाड़ी का हिस्सा है, या नहीं. गुरुवार को एक पत्रकार परिषद में शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि मतदाता सूची में त्रुटियों को लेकर चुनाव आयोग के पास गए शिष्टमंडल में कांग्रेस यूबीटी के साथ जिस तरह मनसे शामिल हुई, उससे स्पष्ट हो गया है कि, एमवीए में राज ठाकरे की पिछले दरवाजे से एंट्री हो गई है .

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कांग्रेस अब बिहार में किस मुंह से मांगेगी वोट

संजय निरुपम ने कहा कि महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनाव में मनसे के साथ गठबंधन में शामिल होने वाली कांग्रेस अब बिहार विधानसभा चुनाव में किस मुंह से वोट मांगेगी ? मनसे ने मुंबई में आस्था के पर्व छठपूजा को ड्रामा कहा था. सवाल है कि क्या कांग्रेस पार्टी मनसे से हाथ मिला कर बिहार जाकर छटपूजा का विरोध करना चाहती है. निरुपम ने कहा कि ऐसी भी गुप्त जानकारी मिली है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने तय किया है कि जब तक बिहार विधानसभा चुनाव नहीं हो जाता तब तक मनसे को MVA में लेने की अधिकृत घोषणा न करें. यह कांग्रेस का बहुत बड़ा षड्यंत्र है, जो बिहार के लोगों के खिलाफ़ हो रहा है. निरुपम ने कहा कि अगर कांग्रेस बिहारी मतों और उनकी भावनाओं और बिहार के लोगों की परंपराओं का आदर करती तो मनसे के बारे में उनकी भूमिका को स्पष्ट करना चाहिए.

कांग्रेस ने दिखाया दोगलापन

निरूपम ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग गए शिष्टमंडल में उबाठा प्रमुख के साथ मनसे प्रमुख, राष्ट्रवादी शरद पवार के प्रमुख के साथ कांग्रेस अध्यक्ष की जगह उनके नेता बालासाहब थोरात का शामिल होना साबित करता है कि एमवीए और कांग्रेस ने मनसे को पिछले दरवाजे से एंट्री दे दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सकपाल ने उस शिष्टमंडल में न जाकर अपने बड़े नेता पूर्व पार्टी अध्यक्ष थोरात को भेजकर अपना दोगलापन दिखाने की कोशिश की. निरुपम ने कहा कि सकपाल भी झूठ बोल रहे हैं. क्या वे अपने बच्चों की कसम खाकर कह सकते हैं कि बिहार चुनाव के बाद मनसे को महाविकास आघाड़ी में नहीं लिया जाएगा. सिर्फ बिहार चुनाव में बिहारी मतदाता उनके खिलाफ़ न जाये इससे बचने के लिए सकपाल झूठा ड्रामा कर रहे हैं. संजय निरूपम ने कहा कि ठाणे, मुंबई के गरीब उत्तरभारतीय टैक्सीवाले, फेरीवालों पर हमला करने वाली मनसे को पिछले दरवाजे से एमवीए में शामिल कराने वाली कांग्रेस को मुंबई मनपा के चुनाव में लोग सबक सिखाएंगे.

क्या मनसे इतनी लाचार है

निरूपम ने सवाल किया कि क्या मनसे इतनी लाचार हो गई है कि उन्होंने अपने दीपोत्सव कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष मतदाता सूची का मुद्दा उठाकर स्थानीय निकाय चुनाव टालने की कोशिश कर रहा है; क्योंकि उन्हें अपनी हार का पता चल गया है. राज और उद्धव मजबूर हैं. हमारे नेता उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे साहब दिन रात काम कर रहे हैं और लोगों के बीच हमेशा जुड़े हुए हैं. राज्य सरकार ने जनहित की योजनाओं को जमीन पर उतारा है. इसलिए एकनाथ शिंदे साहब कहते हैं कि एमवीए महा फस्ट्रेशन और कन्फ्यूजन की स्थिति में है. सिर्फ राजनितिक फायदे के लिए मनसे या उबाठा के लोग मराठी मुद्दे का इस्तेमाल करते हैं. जब-जब चुनाव आते हैं मनसे के लोग उत्तरभारतीयों को मारने पीटने का अभियान शुरू करते हैं.

कांग्रेस का असली चेहरा उजागर 

निरुपम ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में जनता ने इनको नकार दिया था. उबाठा के पास सिर्फ 20 विधायक रह गये और मनसे के पास सिर्फ 1.5 % वोट रह गया. बेस्ट की एक क्रेडिट सोसायटी चुनाव में मराठी मतदाताओं ने उबाठा और मनसे को उनकी जगह दिखा दी. जिस तरीके से उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व को त्यागा उससे मराठी समाज में एक बड़ा वर्ग उनसे नाराज है. जिस तरीके से मनसे के लोग मुंबई की शांति भंग करते हैं और हिंसा भड़काते हैं इसे देखते हुए भी यहां का समाज उनके पास कभी नहीं जाएगा.कोई पोलराइजेशन नहीं होगा. मनसे को साथ लेकर कांग्रेस ने अपना असली चेहरा उजागर कर दिया है. संजय निरुपम ने कहा कि बिहार में कांग्रेस के कार्यकताओं ने शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी है. बिहार के हर जिले से वीडियो सामने आ रहे हैं. कुछ साल पहले रेलवे की परीक्षा देने आए बिहारी स्टूडेंट को पीटने वाली मनसे के साथ कांग्रेस का जाना शर्मनाक है. इसका खामियाजा उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में भुगतना होगा.

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने NDTV से ख़ास बातचीत में कहा कि प्रतिनिधिमंडल वोट चोरी के मुद्दे पर राज्य चुनाव आयोग से मिला था और इसमें सभी दलों को आमंत्रित किया गया था. राज ठाकरे का उसमें शामिल होना और प्रतिनिधिमंडल में मुद्दे उठाना गठबंधन की राजनीति से संबंधित नहीं था.

बार-बार दल बदलने वाले हमें न सिखाएं

संजय निरुपम पर निशाना साधते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि जो लोग बार-बार दल बदलते हैं, उन्हें हमें नहीं सिखाना चाहिए. मेरा उनसे अनुरोध है कि वे जिस पार्टी में हैं, वहां के लोगों को संविधान का पालन करना सिखाएं. उन्होंने कहा कि मनसे का एमवीए में शामिल होने का कोई प्रस्ताव नहीं है, इसलिए जब कोई प्रस्ताव ही नहीं है, तो इस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है.

बिहार चुनाव में निरूपम द्वारा उठाए गए सवालों पर बोलते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि जो लोग (मनसे) इंडिया अलायंस का हिस्सा है ही नहीं, तो फिर ऐसी अटकलें पर चर्चा होनी ही नहीं चाहिए. इसके अलावा, महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए हमने स्थानीय नेतृत्व को निर्णय लेने का अधिकार दिया है. हर्षवर्धन ने कहा कि राजनीति 'अगर-मगर' पर नहीं होती. इंडिया अलायंस में नए सहयोगी को शामिल करने पर उसके सहयोगी चर्चा करेंगे. एमवीए अब इंडिया अलायंस में बदल गया है और अब राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लिया जाएगा.

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