प्रतीकात्मक तस्वीर
- आरपीएफ की मुहिम का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूगता फैलाना है
- करीब 75 लाख लोग हर दिन मुंबई लोकल में करते हैं सफर
- लोकल ट्रेन से होने वाले हादसों में हर दिन 10 लोगों की मौत होती है
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मुंबई:
मुंबई की लाइफ लाइन यानी लोकल ट्रेन. लाखों की भीड़ में दिव्यांगों के लिये अलग से डिब्बे का इंतज़ाम है लेकिन कई बार मुसाफिर भीड़ से बचने के लिये इन डिब्बों में चढ़ जाते हैं. इसके लिये कानून तो बने हैं लेकिन बार-बार लोग इन्हें तोड़ते हैं. ऐसे में मुसाफिरों को समझाने के लिये रेलवे ने खास मुहिम शुरू की है. रेलवे सुरक्षा बल हार्बर और सेंट्रल लाइन की ट्रेनों से जो भी तंदुरुस्त लोग दिव्यांगों के डिब्बे से उतरते हैं, उन्हें सज़ा देने की बजाए हाथ जोड़कर उन्हें व्हील चेयर पर बिठाते हैं, फिर उन्हें पुलिस चौकी लाकर थोड़ी संवेदना का सबक सिखा रहे हैं.
इस मुहिम के बारे में कुर्ला में तैनात आरपीएफ के इंस्पेक्टर सुरेश अत्री ने बताया, 'हमारी कोशिश है लोगों को ये बताने की कि दिव्यांग बंधुओं को जो तकलीफ होती है उसे आप महसूस करें और उनके डिब्बे में सफर ना करें. हम हमेशा जांच करते हैं लेकिन अभी सघन जांच हो रही है ताकी लोगों में जागरूकता बढ़े. पहले ही दिन कुर्ला आरपीएफ को ऐसे एक दो नहीं 20 महानुभाव मिले, जिन्हें व्हील चेयर में बिठाकर हमदर्दी का पाठ पढ़ाया गया. मकसद एक ही था, जिनके लिये डिब्बा बना है उन्हें ही इसमें सफर करने दें.
एक दिन में 75 लाख लोगों को मुंबई की लोकल ढोती है, इस भीड़ में हर आदमी का सफर बहुत मुश्किल होता है, दिव्यांगों के लिये तो हालात और बुरे हैं. लोकल ट्रेन से होने वाले हादसों में हर दिन मुंबई में 10 लोगों की मौत होती है. रेलवे स्टेशन, रेल सुविधाओं को दिव्यांगों के लिये सहज-सुलभ बनाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट रेलवे को अवमानना तक की धमकी दे चुका है.
इस मुहिम के बारे में कुर्ला में तैनात आरपीएफ के इंस्पेक्टर सुरेश अत्री ने बताया, 'हमारी कोशिश है लोगों को ये बताने की कि दिव्यांग बंधुओं को जो तकलीफ होती है उसे आप महसूस करें और उनके डिब्बे में सफर ना करें. हम हमेशा जांच करते हैं लेकिन अभी सघन जांच हो रही है ताकी लोगों में जागरूकता बढ़े. पहले ही दिन कुर्ला आरपीएफ को ऐसे एक दो नहीं 20 महानुभाव मिले, जिन्हें व्हील चेयर में बिठाकर हमदर्दी का पाठ पढ़ाया गया. मकसद एक ही था, जिनके लिये डिब्बा बना है उन्हें ही इसमें सफर करने दें.
एक दिन में 75 लाख लोगों को मुंबई की लोकल ढोती है, इस भीड़ में हर आदमी का सफर बहुत मुश्किल होता है, दिव्यांगों के लिये तो हालात और बुरे हैं. लोकल ट्रेन से होने वाले हादसों में हर दिन मुंबई में 10 लोगों की मौत होती है. रेलवे स्टेशन, रेल सुविधाओं को दिव्यांगों के लिये सहज-सुलभ बनाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट रेलवे को अवमानना तक की धमकी दे चुका है.
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