प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
सस्ते दाम पर मोटरसाइकिल, मोबाइल फोन और सोने के सिक्के देने के नाम पर अब तक कई लोगों को ठग चुका है। पुलिस ने खुद को प्रभु कहलाने वाले इस ठग को गिरफ्तार कर 50 मोटरसाइकिलें, 10-10 ग्राम के 97 सोने के सिक्के और 71 मोबाइल फोन बरामद किए, जिसकी कीमत 82 लाख के करीब है।
18 जनवरी को दर्ज हुई थी शिकायत
थाना इंचार्ज के मुताबिक ,18 जनवरी को थाने में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई की प्रभु नाम के शख्स ने उसे सस्ते में इनोवा कार दिलाने के नाम पर 2 लाख रुपये लिए लेकिन अब तक कार नहीं दिलाई है। पुलिस ने ठगी का मामला दर्ज कर प्रभु रूपेश चौहान को गिरफ्तार कर जब पूछताछ की तब रूपेश ने सारी कहानी उगल दी।
नाम कमाने के लिए अपनाया यह रास्ता
एसीपी राजेंद्र चौहान के मुताबिक, वह नाम कमाना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे इसलिए उसने सबसे पहले एक शख्स से यह कहकर 2 लाख रुपये लिए कि उसे सस्ते में इनोवा कार खरीदवा देगा। बाद में उसी रुपये से उसने 55 से 60 हजार रुपये की मोटरसाइकिल 20 हजार रुपये में दूसरों को बेचकर अपना नाम किया। इसी तरह 25 से 28 हजार के सोने के सिक्के उसने 10 से 12 हजार रुपये में कुछ लोगों को देकर और भी लोगों का दिल जीत लिया। धीरे-धीरे गांव देवी इलाके में उसका नाम होने लगा और ज्यादा से ज्यादा लोग लालच में उसे रुपये देते गए, लेकिन झूठ और फरेब की बुनियाद पर बनी उसकी छवि आखिरकार मिट्टी में मिल गई।
18 जनवरी को दर्ज हुई थी शिकायत
थाना इंचार्ज के मुताबिक ,18 जनवरी को थाने में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई की प्रभु नाम के शख्स ने उसे सस्ते में इनोवा कार दिलाने के नाम पर 2 लाख रुपये लिए लेकिन अब तक कार नहीं दिलाई है। पुलिस ने ठगी का मामला दर्ज कर प्रभु रूपेश चौहान को गिरफ्तार कर जब पूछताछ की तब रूपेश ने सारी कहानी उगल दी।
नाम कमाने के लिए अपनाया यह रास्ता
एसीपी राजेंद्र चौहान के मुताबिक, वह नाम कमाना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे इसलिए उसने सबसे पहले एक शख्स से यह कहकर 2 लाख रुपये लिए कि उसे सस्ते में इनोवा कार खरीदवा देगा। बाद में उसी रुपये से उसने 55 से 60 हजार रुपये की मोटरसाइकिल 20 हजार रुपये में दूसरों को बेचकर अपना नाम किया। इसी तरह 25 से 28 हजार के सोने के सिक्के उसने 10 से 12 हजार रुपये में कुछ लोगों को देकर और भी लोगों का दिल जीत लिया। धीरे-धीरे गांव देवी इलाके में उसका नाम होने लगा और ज्यादा से ज्यादा लोग लालच में उसे रुपये देते गए, लेकिन झूठ और फरेब की बुनियाद पर बनी उसकी छवि आखिरकार मिट्टी में मिल गई।
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