मध्य प्रदेश के हरदा जिला मुख्यालय से लगभग 52 किमी दूर जंगल में बसे वनग्राम लाखादेह नशे के खिलाफ एकजुट हो गया है. गांव के युवाओ में बढ़ती नशाखोरी और आपसी विवाद को देख ग्रामीणों ने शराबबंदी और गांव नशामुक्त करने के लिए एक कदम बढ़ाया है. ग्रामीणों ने शराब पीने और पीकर आने के साथ-साथ शराब बनाने पर प्रतिबंध लगाने का समूहिक निर्णय किया है.
एक बुजुर्ग आदिवासी ग्रामीण किशोर ने बताया की जंगल में बसा आदिवासी समाज इंद्र देव से बारिश की कामना को लेकर बिदरी पूजा करता है. कुछ दिन पहले गांव में आयोजित पूजा में एक ग्रामीण शराब का सेवन करके आ गया था. जिससे पूजा खराब हुई और ग्रामीणों में विवाद की स्थिति बन गयी थी.
इस घटना के बाद ग्राम पंचायत और आदिवासी समाज की बैठक हुई. जिसमे गांव में शराब पीने और पीकर आने और शराब बनाने पर प्रतिबंध लगाने का समूहिक निर्णय हुआ. इस दौरान सभी युवा महिला पुरुष एकजुट हुए. गांव में मुनादी हुई कि अब कोई शराब नहीं पीएगा. ऐसा करने पर आर्थिक जुर्माना, समाज की पंचायत द्वारा कठोर क़ानूनी कार्रवाई की फैसला हुआ. शराब पीने और गांव में पीकर आने पर 11 सौ रुपये और महुए की शराब बनाने पर 51 सौ रुपये राशि का दंड लगाया जायेगा.
ग्राम लाखादेह में शराब प्रतिबंध को लेकर जगह-जगह चेतावनी लिखी हुई है. गांव में पदस्थ वन विभाग के डिप्टी रेंजर जोहन सिंह परते ने बताया कि लाखादेह में शराबबंदी को लेकर पहल हुई है. बीते दिनों ग्रामीणों ने मीटिंग कर शराब के सेवन और शराब बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. कल तीन ग्रामीण ने बाहर से शराब लेकर पी थी. कल ग्रामीणों ने बैठक कर तीनों पर आर्थिक जुर्माना लगाया. युवाओ में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और शराब से कई बार दुष्परिणाम आ रहे थे. इसलिए आदिवासी समाज ने गांव में यह निर्णय लिया.
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