मध्यप्रदेश में रबी के सीजन में बुवाई के वक्त यूरिया की भारी किल्लत सामने आ रही है. कई किसानों का आरोप है कि उनसे दोगुने दाम लिए जा रहे हैं. यूरिया की कालाबाजारी हो रही है. इधर राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र मांग के मुताबिक यूरिया नहीं दे रहा है. हालांकि सरकार ने भरोसा दिया है कि वह यूरिया की कमी नहीं होने देगी, लेकिन हालात ये हैं कि कहीं थाने से यूरिया बिक रहा है तो कहीं नाराज किसान सड़क जाम कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश के गुना में नाराज किसान यूरिया की किल्लत की वजह से सड़क पर उतरे. ऐसे ही हालात सागर, खंडवा, उज्जैन, विदिशा, रायसेन, सीहोर, अशोकनगर जैसे कई जिलों से बन गए हैं. सागर में तो किसानों ने नाराज होकर चक्काजाम तक कर दिया. कुछ दिन पहले सागर के गढ़ाकोटा में विपणन संघ के कर्मचारी किसानों की भीड़ देखकर ऐसे घबराए कि थाने के अंदर बैठकर पर्ची काटी, तब जाकर किसान यूरिया ले पाए. किसानों का यह भी आरोप है कि दुकानदार यूरिया के साथ जबरन सल्फर, डीएपी बेच रहे हैं. 268 रुपये का यूरिया 350 से लेकर 500 रुपये प्रति कट्टा बेचा जा रहा है.
राज्य में औसत से 30 से 40 फीसद ज्यादा बारिश होने की वजह से हर किसान रबी फसलें अधिक से अधिक लेना चाहता है, जिसके लिए उसे यूरिया चाहिए. राज्य ने इस वजह से केंद्र सरकार से रबी सीजन के लिए 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया देने की मांग रखी थी, लेकिन काफी चर्चा के बाद भी दो लाख 60 हजार मीट्रिक टन मांग घटाकर पूरे सीजन के लिए कोटा 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन तय कर दिया. अक्टूबर में 4,25,000 मीट्रिक टन की मांग थी, मिला 2,98,000 मीट्रिक टन. नवंबर में 4,50,000 मीट्रिक टन मांगा था तो मिला 4 लाख टन.
सरकार कह रही है कि केन्द्र का रवैया सौतेला है तो वहीं बीजेपी का आरोप है कि सरकार ने योजना नहीं बनाई. कृषि मंत्री सचिन यादव ने केन्द्र पर आरोप लगाते हुए कहा केन्द्र सरकार सौतेला व्यवहार प्रदेश की सरकार के साथ कर रही है. चाहे वह यूरिया का मामला हो, चाहे मुआवजे का, या फिर विभिन्न योजनाओं का, केन्द्र से जो राशि मिलनी चाहिए, नहीं मिल रही.
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दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ''मध्यप्रदेश में मामा होता तो अब तक एक दर्जन बार पैसे डाल देता, अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से, किसानों के खाते में. ऊपर से खाद की मार, इससे लोग परेशान हैं. मैं अग्रिम भंडारण करके रखता था. किसानों से कहता था घर ले जाओ और तीन महीने का जो ब्याज है, वो भी सरकार के खजाने से भरवाते थे. एडवांस प्लानिंग करनी थी, इस सरकार ने नहीं की.''
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वैसे सरकार का कहना है कि कुछ रैक अभी परिवहन में हैं, जिलों में पहुंचने से हालात सुधरेंगे. एक रैक में 26 हजार मीट्रिक टन यूरिया आता है.
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ज्यादा बारिश और बाढ़ की वजह से खरीफ फसलें चौपट होने के बाद किसान रबी फसलों से उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन यूरिया की किल्लत उसे परेशान कर रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यूरिया की मांग और आपूर्ति पूरी करने की बात उठाई है. अधिकारी भी केन्द्र के संपर्क में हैं, लेकिन चूंकि किसान मुद्दा है, सो यूरिया भी सियासी चाल में है.
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