छत्तीसगढ़: 'टमाटर की राजधानी' कहे जाने वाले जशपुर में 150 रुपये किलो हुआ भाव

बरसात के मौसम में देशभर में अचानक खाने का स्वाद बढ़ाने वाले टमाटर का भाव आसमान छूने लगा है. जिसके चलते अब लोगों की रसोई से ये लाल टमाटर गायब हो रहा है. वहीं टमाटर की राजधानी कहे जाने वाले जशपुर में तो टमाटर का भाव 150 रुपए प्रति किलो पहुंच गया है.

छत्तीसगढ़: 'टमाटर की राजधानी' कहे जाने वाले जशपुर में 150 रुपये किलो हुआ भाव

आसमान छू रहे हैं टमाटर के दाम

जशपुर:

छत्तीसगढ़ स्थित जशपुर को टमाटर की राजधानी कहा जाता है.  लेकिन बरसात के दिनों में जहां देशभर में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं जशपुर में भी टमाटर 150 रुपए के पार पहुंच गया है. जिसके चलते आम जनता की रसोई से टमाटर गायब हो गया है. जिस तरह से नागपुर में संतरा और आगरा में पेठा देशभर में प्रसिद्ध है. उसी तरह से छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिला के पत्थलगांव में अत्यधिक टमाटर की पैदावार होने की वजह से पत्थलगांव को टमाटर की नगरी के नाम से जाना जाता है.  


टमाटर के दाम से पहले अगर बात करें पेट्रोल-डीजल की तो बढ़ती महंगाई के साथ पेट्रोल डीजल शतक के पार है. वहीं, कोरोना के दौरान लॉकडाउन के बाद रसोई का तेल और दाल की कीमत भी काफी बढ़ चुकी है. लेकिन अब आम आदमी की जेब ढीली करने के लिए रसोई में मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले टमाटर की कीमत भी अब 100 के ऊपर पहुंच चुकी है.

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टमाटर की कीमत बढ़ने जेब पर पड़ रहा है असर

टमाटर की कीमत बढ़ने से इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है. अक्टूबर महीने में जशपुर क्षेत्र के किसानों द्वारा टमाटर की खेती 20 हजार हेक्टर तक की जाती है. जशपुर जिले का लुड़ेग और पत्थलगांव की मंडी पूरे छत्तीसगढ़ में टमाटर के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र के टमाटर मंडी में टमाटर के सीजन में प्रत्येक दिन कई टन टमाटर छत्तीसगढ़ से सटे राज्य झारखंड, ओडिशा, बंगाल, बिहार में भेजा जाता है.

भारी गर्मी और कम बारिश से फसलों को नुकसान

इस क्षेत्र में नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी महीने के दिनों में टमाटर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिससे इसके भाव में गिरावट रहती है. लेकिन इस वर्ष टमाटर उपजाने वाले राज्यों में भारी गर्मी और कम बारिश के कारण फसलों का नुकसान होना कीमतों में भारी वृद्धि का कारण बताया जा रहा है. वहीं पत्थलगांव के थोक व्यापारी का कहना है कि क्षेत्र में पिछले कई सालों से बरसात के सीजन में टमाटर की खेती नहीं होती. बरसात के दिनों में टमाटर की खेती करने से फसल बर्बाद हो जाती है. जिससे ट्रांसपोर्ट के जरिए इस मौसम में टमाटर को बेंगलुरु से ट्रकों के माध्यम से बिलासपुर मंगवाया जाता है और यहां के थोक व्यापारियों द्वारा टमाटर अन्य साधनों से पत्थलगांव लाया जाता है. जिससे इस मौसम में व्यापारियों को अधिक भाव खरीदकर लाना पड़ता हैं. जिससे टमाटर का भाव सातवें आसमान पर है. 

सब्जी व्यापारियों में मायूसी

टमाटर के भाव बढ़ने पर सब्जी व्यापारियों में भी मायूसी छाई हुई है. यहां के सब्जी व्यापारियों का कहना है कि 15 दिनों पहले ही टमाटर का भाव 20 रुपए प्रति किलो था. मगर अब बारिश की शुरुआत होने पर क्षेत्र के लोग टमाटर का भाव सुनकर ही नौ दो ग्यारह हो जा रहे है. 

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कभी सड़क पर फेंके जाते थे टमाटर, आज रसोई से गायब

पत्थलगांव तहसील के लुड़ेग, काडरों, ब्रिमडेगा, छतासराई, जामझोर, कोतबा, बागबहार, महेशपुर, झिमकी सहित एक दर्जन गांवो में नवंबर, दिसंबर, जनवरी फरवरी माह में टमाटर की बम्पर पैदावार होने से इसके भाव में गिरावट हो जाती है. जिससे किसानों को औने-पौने दामों में टमाटर को बेचना पड़ता है. उस समय किसानों को फसल की लागत भी नहीं मिल पाती है. ऐसे में किसान टमाटर बेचने की बजाय उन्हें सड़क पर फ़ेंकना ही मुनासिब समझते है. वहीं, टमाटरों की अधिक पैदावार होने वाले क्षेत्र में अचानक टमाटर के दामो में वृद्धि से किसानों में मायूसी है. 

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टमाटर के भाव से ठप्प पड़ा प्रोसेसिंग यूनिट

पत्थलगांव क्षेत्र में टमाटर प्रोसेसिंग यूनिट लगने के बाद भी सीजन के समय टमाटर नहीं मिलने से उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. समूह के लोगों का कहना है जिस समय हम लोगों को टमाटर की आवश्यकता होती है उस समय टमाटर के दामों में तेजी से वृद्धि हो जाती है. ऐसे में प्रोसेसिंग यूनिट में टमाटर न आने की वजह से बंद पड़ा रहता है. आपको बता दें कि टमाटर प्रोसेसिंग यूनिट में टमाटर सॉस, चटनी समेत अन्य समान भी बनाए जाते हैं.

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