मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा जिले (Rewa district) में एक शिक्षक के तीन माह से वेतन न मिलने पर कथित तौर पर आत्महत्या (suicide) करने का मामला सामने आया है. रीवा में इस शिक्षक को 3 महीने से तनख्वाह (Salary) नहीं मिली थी. परिजनों ने आरोप लगाया है कि इसी से परेशान होकर उन्होंने नींद की गोली खा ली. गंभीर हालत में इलाज के लिये उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया. मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन की भी बड़ी लापरवाही सामने आई जब शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम किए बगैर ही शव परिजनों को सौंप दिया और परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
जानकारी के अनुसार, रीवा के मनगांवा में सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले संजय शुक्ल को तीन महीने से तनख्वाह नहीं मिली थी, इस कारण वे परेशान थे, परिजनों का कहना है कि तनाव में आकर खूब सारी नींद की गोलियां खा लीं. उन्हें संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि जिले में हजार से ज्यादा शिक्षकों को पिछले 3 महीने से वेतन नहीं मिल सका है. यह हालात सिर्फ रीवा में ही नहीं, इंदौर-कटनी-सीहोर जैसे जिलों में भी है.
इंदौर के शिक्षक अखिलेश हीरवे कहते हैं कि चार महीने से सर्वे कर रहे हैं, बैंक की ईमआई कैसे भरें, शासन कोई चिंता नहीं कर रही है.राशन, बच्चों की फीस सबकी समस्या आ रही है.वहीं कटनी में जिला शिक्षा अधिकारी बी बी दुबे ने बताया कि कुछ तकनीकी कारणों से वेतन रूका है, जैसी ही प्राप्त होगा होगा वेतन मिल जाएगा. सरकार का कहना है तकनीकी दिक्कत है, लेकिन विपक्ष का आरोप है सरकार फेल है. स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कुछ वेतनमान का निर्धारण होना था इस वजह से संजय शुक्ल की तनख्वाह नहीं आई थी. कुछ और लोगों के छूटे हैं बाकी बजट जारी कर दिया है. जो भी जहां शिकायत आ रही हैं कोड जेनेरट नहीं हुआ है इसकी समीक्षा करा कर निराकरण किया जाएगा.
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा लगातार अतिथि शिक्षक विद्वान वेतन ना मिलने से खुदकुशी कर रहे हैं, भाषण विज्ञापन से ये सरकार बाहर आकर काम करने फिलहाल तो सिर्फ पूजा पाठ में विजुएल बनाना नियति बन गई है. सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षक तो पहले से ही परेशान हैं, कोरोना ने परेशानी और बढ़ा दी है.सरकारी क्या, निजी स्कूल के शिक्षक भी परेशान हैं, कुछ दिनों पहले उन्होंने खरगौन में आंदोलन भी किया था.ये हाल उस राज्य में जहां प्राथमिक स्तर पर 48 बच्चों पर एक, जबकि माध्यमिक स्तर 37 छात्रों पर एक शिक्षक है, जबकि मापदंडों के हिसाब से 30 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिये, राज्य में लगभग 70,000 शिक्षकों की कमी है.
(आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है. अगर आपको सहारे की जरूरत है या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं जिसे मदद की दरकार है तो कृपया अपने नजदीकी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाएं.)
(अगर आपको सहायता की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाएं)
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1) वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ : 1860-2662-345 / 1800-2333-330 (24 घंटे उपलब्ध)
2) TISS iCall - 022-25521111 (सोमवार से शनिवार तक उपलब्ध - सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक)
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