मध्य प्रदेश के सीहोर में बुधनी नर्मदा नदी से अवैध रेत का खनन तो लगातार किया जा रहा है, लेकिन यहां अवैध रूप से मछलियां पकड़ने का काम भी जोरों पर है. सरकारी नियमों के तहत 16 जून से 15 अगस्त तक मछली मारने, पकड़ने और उन्हें बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहता है, लेकिन यह प्रतिबंध सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अवैध मछली कारोबारी नर्मदा नदी समेत अन्य नदियों से खुलेआम मछलियां पकड़ रहे हैं और धड़ल्ले से इनकी सप्लाई का काम किया जा रहा है. यह अवैध कारोबारी पकड़ में न आए इसके लिए भोपाल सहित अन्य शहरों से इनोवा, स्कार्पियो, बोलेरो समेत कई वीआईपी गाड़ियों में भरकर ये मछलियां सप्लाई की जा रही है.
इन दिनों सीहोर जिला अवैध कार्यों को लेकर लगातार चर्चाओें में है. यहां पर अवैध खनन सहित अवैध शराब का कारोबार जमकर चलता है, लेकिन अब अवैध रूप से मछलियों का कारोबार भी खूब फलफूल रहा है. यही कारण है कि अवैध कारोबारियों को सीहोर जिला सबसे सुरक्षित लगता है. जिले की भैरूंदा, रेहटी और बुदनी तहसील इन कार्यों को लेकर ज्यादा सुर्खियों में है. अब इन तहसीलों के नर्मदा घाटों में खुलेआम रोक के बावजूद नर्मदा सहित अन्य नदियों से मछली पकड़ने का काम भी जोरों पर किया जा रहा है.
16 जून से 15 अगस्त तक रहता है प्रतिबंध
नियमों के अनुसार 16 जून से 15 अगस्त तक नर्मदा नदी सहित अन्य जलाशयों से मछली के मारने, उन्हें पकड़ने और उनके विक्रय पर पूरी तरह प्रतिबंध रहता है, लेकिन इसके बावजूद खुलेआम यह सब काम किया जा रहा है. नर्मदा नदी में दिनभर मछलियां पकड़ने का काम किया जाता है औैर फिर इनकी सप्लाई भोपाल सहित अन्य शहरों में की जाती है. अवैध रूप से मछलियां मारने पर कार्रवाई का प्रावधान भी है, लेकिन ये अवैध कारोबारी बिना रोक-टोक के काम करने में जुटे हुए हैं.
जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों का मिलता है संरक्षण
नर्मदा नदी से चाहे रेत का अवैध खनन करना हो या मछली मारना हो, इन सब कामों में स्थानीय नेताओें, जनप्रतिनिधियों सहित स्थानीय नागरिकों का भी कमीशन फिक्स है. यही कारण है कि इन सबके संरक्षण में ये अवैध काम जमकर फलफूल रहा है. इनके एजेंट गांव-गांव में सक्रिय हैं. भैरूंदा और रेहटी तहसील के नर्मदा तटों पर बसे हुए गांवों में इनके व्यापारी धड़ल्ले से इस काम में जुटे हुए हैं. इनके माध्यम से नर्मदा नदी में दिनभर नाव और डोंगे से नर्मदा में जाल बिछाया जाता है और मछलियां पकड़कर व्यापारियों को बेची जाती है. यहां से नग के माध्यम से इनका सौदा तय होता है और प्रत्येक नग की मोटी रकम दी जाती है.
वीआईपी गाड़ियों से होती है सप्लाई
अवैध मछली कारोबार में लगे ये लोग पकड़ में न आए, इसके लिए वीआईपी गाड़ियां जैसे इनोवा, स्कॉर्पियो, बोलेरो सहित अन्य गाड़ियों का इस्तेमाल मछलियों को लाने ले जाने के लिए किया जाता है. इन गाड़ियों पर काले शीशे चढ़े होते हैं, इसलिए कोई इन्हें रोकने का प्रयास भी नहीं करता है. यदि गाड़ी को रोक भी लिया जाता है तो तुरंत किसी जनप्रतिनिधि या नेता का फोन आ जाता है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार मंचों से सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके हैं कि अवैध कार्य करने वालों को किसी भी तरह से नहीं छोड़ा जाएगा, बावजूद इसके धड़ल्ले से अवैध कार्य करने वाले अपना काम किए जा रहे हैं.
स्टाफ नहीं है, इसलिए नहीं हो पाती कार्रवाई
इस संबंध में जब मत्स्य विभाग के अधिकारियों से बात की तो उनका कहना था कि विभाग के पास मैदानी सहित कार्यालय अमले की बेहद कमी है. बेहद कम स्टाफ के साथ काम चला रहे हैं, ऐसे में समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती. इधर इस संबंध में जब गोपालपुर थाने पर अवैध रूप से मछली ले जाने की सूचना दी तो वहां के स्टाफ ने उनके पास गाड़ी नहीं होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली.
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