कोलारस और मुंगावली के विधानसभा सीटों के लिए मतदान आज (फाइल फोटो )
भोपाल:
मध्य प्रदेश में कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिये मतदान खत्म हो गया. दोनों जगहों पर बड़ी तादाद में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. कोलारस में 70.40 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, 2013 में ये आंकड़ा 72.82 था, जबकि मुंगावली में इस बार 77.05 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला 2013 में यहां 77.35 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला था. चुनाव का नतीजा 28 को आएगा.
कोलारस के मतदाताओं ने 13 और मुंगावली में उन्होंने 22 उम्मीदवारों की किस्मत को ईवीएम में बंद कर दिया. 575 बूथों में 3000 कर्मचारी तैनात थे, जहां दिगोड़ा में उन्हें थोड़ी झड़प देखनी पड़ी तो बूथ नंबर 57 में पर्ची पर बीजेपी के निशान को लेकर प्रदर्शन हुआ. कुछ बूथों पर ईवीएम खराब होने से भी मतदान रुका रहा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने कहा, 'ईवीएम, सीयू, बीयू वीवीपैट सब मिलाकर 18 के करीब कोलारस में, 17 मशीनें मुंगावली में खराब हुई जिनको समय पर ठीक किया गया, कोलारस में 20-30 मिनट का वक्त मिला, सब सुचारू हो गया.
इन दोनों ही सीटों पर फैसला राज्य की राजनीति पर पड़ सकता है. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीधी चुनौती दे रहे हैं जिन्होंने 40 से ज्यादा रैलियां कीं, वहीं सिंधिया ने 75 रैलियों को संबोधित कर अपने संसदीय क्षेत्र का किला बरकरार रखने में खुद को झोंक दिया. कांग्रेस को दोनों सीटों पर जीत की उम्मीद है तो वहीं बीजेपी को 28 का इंतज़ार.
मध्य प्रदेश : उपचुनाव से पहले बीजेपी-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट, पैसा बांटने का आरोप
कांग्रेस सचिव जीतू पटवारी ने कहा, 'प्रशासन ने हमारे उम्मीदवार को मारा, तंत्र का दुरुपयोग क्या होता है इस चुनाव में पता चला, कांग्रेस भारी बहुमत से जीतेगी और ये शिवराज के खिलाफ मतदान होगा. आपको 28 को नतीजा मिलेगा.' वहीं बीजेपी प्रवक्ता डॉ. हितेष बाजपेयी का कहना था, 'हमने पूरा प्रयास किया और कैडर को मोबलाइज किया. परिणामों को हम तीन प्रश्न पत्रों के जवाब में देखेंगे.' वहीं सीटें जीतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव हो गये हैं तो बेहतर है इंतजार कर लें.
इन सीटों में बीजेपी को हराकर कांग्रेस की कोशिश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ये संदेश देने की है कि जनता खुश नहीं है, वहीं कांग्रेस की हार सिंधिया को बतौर मुख्यमंत्री पेश किये जाने पर वार कर सकती है.
वीडियो : प्रतिष्ठा दांव पर
आपको बता दें कि मुंगावली और कोलारस की सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन से खाली हुई थीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकसभा सीट में ही दोनों विधानसभा क्षेत्र आते हैं और एक तरह के कह लें कि तो यह कांग्रेस के गढ़ में एक तरह से चुनाव हो रहा है और एक तरह से देखा जाए तो शिवराज और सिंधिया दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का सवाल जुड़ा है.
कोलारस के मतदाताओं ने 13 और मुंगावली में उन्होंने 22 उम्मीदवारों की किस्मत को ईवीएम में बंद कर दिया. 575 बूथों में 3000 कर्मचारी तैनात थे, जहां दिगोड़ा में उन्हें थोड़ी झड़प देखनी पड़ी तो बूथ नंबर 57 में पर्ची पर बीजेपी के निशान को लेकर प्रदर्शन हुआ. कुछ बूथों पर ईवीएम खराब होने से भी मतदान रुका रहा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने कहा, 'ईवीएम, सीयू, बीयू वीवीपैट सब मिलाकर 18 के करीब कोलारस में, 17 मशीनें मुंगावली में खराब हुई जिनको समय पर ठीक किया गया, कोलारस में 20-30 मिनट का वक्त मिला, सब सुचारू हो गया.
इन दोनों ही सीटों पर फैसला राज्य की राजनीति पर पड़ सकता है. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीधी चुनौती दे रहे हैं जिन्होंने 40 से ज्यादा रैलियां कीं, वहीं सिंधिया ने 75 रैलियों को संबोधित कर अपने संसदीय क्षेत्र का किला बरकरार रखने में खुद को झोंक दिया. कांग्रेस को दोनों सीटों पर जीत की उम्मीद है तो वहीं बीजेपी को 28 का इंतज़ार.
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कांग्रेस सचिव जीतू पटवारी ने कहा, 'प्रशासन ने हमारे उम्मीदवार को मारा, तंत्र का दुरुपयोग क्या होता है इस चुनाव में पता चला, कांग्रेस भारी बहुमत से जीतेगी और ये शिवराज के खिलाफ मतदान होगा. आपको 28 को नतीजा मिलेगा.' वहीं बीजेपी प्रवक्ता डॉ. हितेष बाजपेयी का कहना था, 'हमने पूरा प्रयास किया और कैडर को मोबलाइज किया. परिणामों को हम तीन प्रश्न पत्रों के जवाब में देखेंगे.' वहीं सीटें जीतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव हो गये हैं तो बेहतर है इंतजार कर लें.
इन सीटों में बीजेपी को हराकर कांग्रेस की कोशिश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ये संदेश देने की है कि जनता खुश नहीं है, वहीं कांग्रेस की हार सिंधिया को बतौर मुख्यमंत्री पेश किये जाने पर वार कर सकती है.
वीडियो : प्रतिष्ठा दांव पर
आपको बता दें कि मुंगावली और कोलारस की सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन से खाली हुई थीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकसभा सीट में ही दोनों विधानसभा क्षेत्र आते हैं और एक तरह के कह लें कि तो यह कांग्रेस के गढ़ में एक तरह से चुनाव हो रहा है और एक तरह से देखा जाए तो शिवराज और सिंधिया दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का सवाल जुड़ा है.
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