भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. देश दुनिया से बाबा के लाखों भक्त इस धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी में दर्शन के लिए जुटते हैं. मान्यता है कि महाकाल उज्जैन के राजा हैं. साल में एक बार बाबा अपनी शाही सवारी में भक्तों को दर्शन भी देते हैं. इसी मान्यता को और बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के आधार पर उज्जैन महाकाल मंदिर को विकसित करने का फैसला किया है.
उज्जैन के प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा हमें कमलनाथ जी ने कहा है कि महाकाल को काशी विश्वनाथ के भव्य स्वरूप में देखना चाहता हूं, जो आवश्यकता लगती है, अधिगृहण करना पड़े तो कर लीजिए. वहीं नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा नगरीय प्रशासन इसमें 180 करोड़ रुपये खर्च करेगा. श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी. मंदिर प्रशासन से भी 50 करोड़ खर्च होंगे जो महाकाल की मूर्ति है, वहां भी फंड खर्च होगा.
इसके लिए प्राधिकरण बनाने के बजाय मंदिर प्रबंध समिति अधिनियम में ही संशोधन किया जाएगा. विकास के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी और महाकाल मंदिर समिति साथ आएंगी. स्मार्ट सिटी, केंद्र सरकार से विशेष सहयोग, और मंदिर समिति से 300 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है. जरूरत पड़ने पर सीआएसआर मद से निजी कंपनियों का भी सहयोग लिया जाएगा. फिलहाल मल्टी लेवल पार्किंग के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई चलेगी.
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योजना के लिए कुछ और स्थान चिन्हित हैं, अतिक्रमण हटाने की योजना भी है. लेकिन इससे स्थानीय नागरिक आशंकित हैं, नाराज़ भी. मंदिर के पास कारोबार करने वाले राजेश वाधवानी ने कहा यहां कोई खुश नहीं है, सब नाराज़ बैठे हैं. वहीं महेश का कहना था इससे कैसे खुश हो सकते हैं, काशी में तो मंदिर था इसलिए तोड़ा गया. यहां तो खुद की प्रॉपर्टी है. उनके साथ अजय का कहना था काशी विश्वनाथ की भौगोलिक परिस्थिति अलग थी, वहां कब्जा था, यहां कोई कब्जा नहीं है. हम यहां सालों से व्यवस्थित तरीके से रह रहे हैं.
वैसे कांग्रेस ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर हुई तोड़ फोड़ का खूब विरोध किया था, यहां तक उसके नेता संजय निरूपम ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आधुनिक युग का औरंगजेब तक बताया था. अब उसके इस फैसले ने बीजेपी को तंज़ करने का मौक़ा दिया है. बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा शिवजी हैं वो जिसकी बुद्धि जैसी कर दें. अभी तक कांग्रेस की बुद्धि भ्रष्ट थी, अब हो सकता है सुधार आ जाए. वो तो कालों के महाकाल हैं.
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महाकाल मंदिर के विकास के लिए ज़रूरत पड़ने पर निजी क्षेत्र का भी सहयोग लिया जा सकता है. सरकार की एक टीम काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को समझने वहां जाकर जानकारी लेगी. शिर्डी, सोमनाथ और तिरुपति बालाजी मंदिर की व्यवस्थाओं का अध्ययन भी किया जाएगा.
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हालांकि मंदिर के पास संघ की भी जमीन है और इस पर भक्त निवास व भारत माता मंदिर स्थापित है. सरकार के इस रुख को संघ पर निशाने के रूप में देखा जा रहा है. मंदिर के आसपास की जमीनों का राजस्व रिकॉर्ड भी गोपनीय रूप से मंत्रियों व अफसरों को सौंपा गया है.
VIDEO : काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विरोध
(उज्जैन से अजय पटवा के इनपुट के साथ)
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