भोपाल:
मध्यप्रदेश के दो शहर देश के सबसे साफ़ शहरों की फेहरिस्त में पहले और दूसरे पायदान पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत को लेकर मिशन मोड में होने का दावा करते हैं. नारा बेटी पढ़ाने, बेटी बढ़ाने का भी है. महिला सशक्तिकरण को लेकर भी दावे बड़े-बड़े हैं, लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार अभी तक आधे पुलिस थानों में भी महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से शौचालय नहीं बनवा सकी है. राज्य के 65 फीसदी थानों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं. वहीं राजधानी भोपाल के 60 फीसदी थानों की महिला पुलिस कर्मी अलग से टॉयलेट न होने के चलते शर्मिंदगी ओर बीमारियां झेल रही हैं.
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मिसरोद पुलिस थाने के बाहर महिला पुलिसकर्मी का पोस्टर है, जिसमें वो सैल्यूट देती कह रही हैं हम उन्हें सलाम करते हैं, जो कानून का सम्मान करते हैं. लेकिन ये तंत्र पुलिस का कितना सम्मान करता है, ये देखना है तो थाने के पीछे चले आएं. तीन शौचालय हैं, जिसका इस्तेमाल तकरीबन 70 पुलिसवाले करते हैं. एक का दरवाजा टूटा है तो दूसरा बेकार. बाहर वॉश बेसिन लगा है, लेकिन पानी बूंद से टपकता है. और हां ये बताना भी ज़रूरी है कि 4 महिला पुलिसकर्मियों के लिए यहां अलग से कोई शौचालय नहीं.
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थाने के इंचार्ज इंस्पेक्टर संजीव चौकसे ने कहा, यहां महिलाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं है, पीछे कॉमन टॉयलेट है उसका इस्तेमाल कर रहे हैं. मिसरोद से हम अशोका गार्डन थाने पहुंचे यहां महिला डेस्क देखकर खुशी हुई. इसी डेस्क के अंदर बने कमरे में महिलाकर्मियों-फरियादियों के लिए एक शौचालय है. वैसे ये घुसते ही बंद हो जाता है, लेकिन यहां तैनात सब इंस्पेक्टर रूपा मिश्रा इंतजाम से खुश हैं, क्योंकि इससे पहले वो जहां तैनात थीं वहां इतनी सुविधा भी नहीं थी. यहां तैनात सब इंस्पेक्टर रूपा मिश्रा ने बताया यहां 60 लोगों का स्टाफ है, जिसमें 4 महिला पुलिसकर्मी हैं. यहां शौचालय है जिसे महिला पुलिसकर्मी और फरियादी दोनों इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उन्होंने बातचीत में बताया कि कैसे दूसरे थानों जैसे एमपी नगर में महिला पुलिसकर्मियों को दिक्कत होती है.
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उन्होंने कहा मैं एमपी नगर थाने से आ रही हूं. वहां मेरी सीनियर है. उन्होंने बताया कि वहां वॉशरूम की दिक्कत है. शौचालय के लिए उन्हें घर जाना पड़ता है, जिससे अफसर भी नाराज होते हैं. बाहर जाने से हमारे काम पर भी असर पड़ता है, लगातार काम करने के बीच हमारी एकाग्रता टूटती है. राजधानी के पुलिस थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से महिला टॉयलेट है या नहीं जब इसकी तहकीकात करने हम शहर के व्यस्ततम थाने कोतवाली पहुंचे तो यहां 100 पुलिसवालों पर 3 शौचालय थे. महिलाओं के लिये छत पर शौचालय था लेकिन उसकी हालत बेहद खस्ता थी. एक शौचालय को मालखाने में तब्दील कर दिया गया था.
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सबसे बुरे हालात में शहर का छोला थाना है, जहां पूरा थाना ही टीन के शेड में नजर आया. यहां तो सिर्फ एक शौचालय है यहां भी महिलाओं को या तो पुरुषों के साथ टॉयलेट शेयर करना पड़ता है या बाहर जाना पड़ता है. पिछले 20 सालों से भोपाल के अलग-अलग थानों में नौकरी कर चुकी महिला पुलिसकर्मी नजमा बताती हैं कि थानों में टॉयलेट न होने से कितनी दिक्कत होती है. यहां 4 महिलाएं, 60 पुरुष हैं. यहां बहुत तकलीफ होती है, लेकिन क्या करें. कभी-कभी आसपास जो घर हैं वहां जाना पड़ता है. कैदी-फरियादी सब इसमें जाते हैं. इसके अलावा और कोई चारा नहीं है.
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शहर के सबसे पॉश थानों में से एक एमपी नगर, यहां तैनात महिला पुलिस अधिकारी ने कैमरे पर तो हमसे बात नहीं कि, लेकिन बताया कि कैसे यहां भी उनके लिए अलग से शौचालय नहीं है. महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट न होना अकेले भोपाल नहीं पूरे प्रदेश की समस्या है, चाहे देश भर में स्वच्छता के मामले में नंबर-1 आने वाला इंदौर हो या फिर आगर-मालवा हर जगह महिला पुलिसकर्मी अलग से टॉयलेट न होने के चलते बेहद परेशान हैं. कोतवाली थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर इसे बेहद गंभीर मानती हैं, हालांकि उनका घर कोतवाली परिसर में है सो थोड़ा सुकून है. लेकिन कई बार उन्हें बहुत दिक्कत होती है. एक महिला की आवश्यकता थाने में रहती है, तीन महिला सब इंस्पेक्टर है. एक होम गार्ड है. यहां अलग से शौचालय नहीं है. होना चाहिये हर थाने में जहां महिला काम करती है होना चाहिये
मध्यप्रदेश मे कुल 1095 थाने हैं, जिसमें 676 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं है. राजधानी भोपाल में 41 थाने हैं. 25 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. प्रदेश के हर थाने में औसत 4 महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं. राजधानी भोपाल में 377 महिला पुलिसकर्मी थानों में तैनात हैं. प्रदेश के 51 जिलों में 3904 महिला पुलिसकर्मी थानों में पदस्थ हैं. सरकार भी मानती है कि महिला पुलिसकर्मियों के लिये अलग से शौचालय होना चाहिये, लेकिन अबतक था क्यों नहीं इसका उसके पास कोई जवाब नहीं है.
गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा ये बात सही है कि लगभग 60 फीसद थानों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है. पहले चूंकि पुलिस में महिलाएं कम थीं तो मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया हमने 33 फीसद आरक्षण दिया तो अब बड़ी तादाद में महिलापुलिसकर्मी फोर्स में है. इसके लिए अलग से बजट स्वीकृत किया गया है. कई थानों में महिला शौचालय बन गए हैं. कई थानों में काम चल रहा है. कुछ महीनों में एक भी थाना ऐसा नहीं रहेगा जिसमें शौचालय ना हो. हमें अनुपूरक बजट में 300 करोड़ रुपये मिले हैं, उसकी कोई समस्या नहीं है.
VIDEO : मध्यप्रदेश के 65% थानों में महिला शौचालय नहीं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2015 में घोषणा की थी कि महिलाओं के लिए थानों में रेस्ट रूम समेत शौचालय बनाए जाएंगे, लेकिन हर घोषणा की तरह ये भी घोषणा फाइलों में रही. सूत्रों के मुताबिक 40 करोड़ का बजट भी बना, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसपर लाल कलम चला दिया. विपक्ष सदन के बाहर सरकार को घेर रहा है, लेकिन ये भी हकीकत है कि उसने भी ये मुद्दा नहीं उठाया.
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, 'आंकड़े बताते हैं महिलाओं के लिए थाने में तो छोड़ दीजिये महिलाओं के लिए सम्मान नहीं है. सम्मान होता तो शौचालय की व्यवस्था हो जाती. ये तो नरेंद्र मोदी को देखना चाहिए कि स्वच्छ भारत की बात करते हैं और स्वच्छता क्या है. सरकार का ऐलान है कि मध्यप्रदेश अक्तूबर तक खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा, जिसकी कई हकीकत हम आपको दिखा चुके हैं. ये मामला तो खाकी का है लेकिन फिर भी नित्यक्रिया तक के लिए महीनों भर बाद की प्लानिंग है.
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थाने के इंचार्ज इंस्पेक्टर संजीव चौकसे ने कहा, यहां महिलाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं है, पीछे कॉमन टॉयलेट है उसका इस्तेमाल कर रहे हैं. मिसरोद से हम अशोका गार्डन थाने पहुंचे यहां महिला डेस्क देखकर खुशी हुई. इसी डेस्क के अंदर बने कमरे में महिलाकर्मियों-फरियादियों के लिए एक शौचालय है. वैसे ये घुसते ही बंद हो जाता है, लेकिन यहां तैनात सब इंस्पेक्टर रूपा मिश्रा इंतजाम से खुश हैं, क्योंकि इससे पहले वो जहां तैनात थीं वहां इतनी सुविधा भी नहीं थी. यहां तैनात सब इंस्पेक्टर रूपा मिश्रा ने बताया यहां 60 लोगों का स्टाफ है, जिसमें 4 महिला पुलिसकर्मी हैं. यहां शौचालय है जिसे महिला पुलिसकर्मी और फरियादी दोनों इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उन्होंने बातचीत में बताया कि कैसे दूसरे थानों जैसे एमपी नगर में महिला पुलिसकर्मियों को दिक्कत होती है.
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उन्होंने कहा मैं एमपी नगर थाने से आ रही हूं. वहां मेरी सीनियर है. उन्होंने बताया कि वहां वॉशरूम की दिक्कत है. शौचालय के लिए उन्हें घर जाना पड़ता है, जिससे अफसर भी नाराज होते हैं. बाहर जाने से हमारे काम पर भी असर पड़ता है, लगातार काम करने के बीच हमारी एकाग्रता टूटती है. राजधानी के पुलिस थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से महिला टॉयलेट है या नहीं जब इसकी तहकीकात करने हम शहर के व्यस्ततम थाने कोतवाली पहुंचे तो यहां 100 पुलिसवालों पर 3 शौचालय थे. महिलाओं के लिये छत पर शौचालय था लेकिन उसकी हालत बेहद खस्ता थी. एक शौचालय को मालखाने में तब्दील कर दिया गया था.
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सबसे बुरे हालात में शहर का छोला थाना है, जहां पूरा थाना ही टीन के शेड में नजर आया. यहां तो सिर्फ एक शौचालय है यहां भी महिलाओं को या तो पुरुषों के साथ टॉयलेट शेयर करना पड़ता है या बाहर जाना पड़ता है. पिछले 20 सालों से भोपाल के अलग-अलग थानों में नौकरी कर चुकी महिला पुलिसकर्मी नजमा बताती हैं कि थानों में टॉयलेट न होने से कितनी दिक्कत होती है. यहां 4 महिलाएं, 60 पुरुष हैं. यहां बहुत तकलीफ होती है, लेकिन क्या करें. कभी-कभी आसपास जो घर हैं वहां जाना पड़ता है. कैदी-फरियादी सब इसमें जाते हैं. इसके अलावा और कोई चारा नहीं है.
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शहर के सबसे पॉश थानों में से एक एमपी नगर, यहां तैनात महिला पुलिस अधिकारी ने कैमरे पर तो हमसे बात नहीं कि, लेकिन बताया कि कैसे यहां भी उनके लिए अलग से शौचालय नहीं है. महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट न होना अकेले भोपाल नहीं पूरे प्रदेश की समस्या है, चाहे देश भर में स्वच्छता के मामले में नंबर-1 आने वाला इंदौर हो या फिर आगर-मालवा हर जगह महिला पुलिसकर्मी अलग से टॉयलेट न होने के चलते बेहद परेशान हैं. कोतवाली थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर इसे बेहद गंभीर मानती हैं, हालांकि उनका घर कोतवाली परिसर में है सो थोड़ा सुकून है. लेकिन कई बार उन्हें बहुत दिक्कत होती है. एक महिला की आवश्यकता थाने में रहती है, तीन महिला सब इंस्पेक्टर है. एक होम गार्ड है. यहां अलग से शौचालय नहीं है. होना चाहिये हर थाने में जहां महिला काम करती है होना चाहिये
मध्यप्रदेश मे कुल 1095 थाने हैं, जिसमें 676 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं है. राजधानी भोपाल में 41 थाने हैं. 25 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. प्रदेश के हर थाने में औसत 4 महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं. राजधानी भोपाल में 377 महिला पुलिसकर्मी थानों में तैनात हैं. प्रदेश के 51 जिलों में 3904 महिला पुलिसकर्मी थानों में पदस्थ हैं. सरकार भी मानती है कि महिला पुलिसकर्मियों के लिये अलग से शौचालय होना चाहिये, लेकिन अबतक था क्यों नहीं इसका उसके पास कोई जवाब नहीं है.
गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा ये बात सही है कि लगभग 60 फीसद थानों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है. पहले चूंकि पुलिस में महिलाएं कम थीं तो मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया हमने 33 फीसद आरक्षण दिया तो अब बड़ी तादाद में महिलापुलिसकर्मी फोर्स में है. इसके लिए अलग से बजट स्वीकृत किया गया है. कई थानों में महिला शौचालय बन गए हैं. कई थानों में काम चल रहा है. कुछ महीनों में एक भी थाना ऐसा नहीं रहेगा जिसमें शौचालय ना हो. हमें अनुपूरक बजट में 300 करोड़ रुपये मिले हैं, उसकी कोई समस्या नहीं है.
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2015 में घोषणा की थी कि महिलाओं के लिए थानों में रेस्ट रूम समेत शौचालय बनाए जाएंगे, लेकिन हर घोषणा की तरह ये भी घोषणा फाइलों में रही. सूत्रों के मुताबिक 40 करोड़ का बजट भी बना, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसपर लाल कलम चला दिया. विपक्ष सदन के बाहर सरकार को घेर रहा है, लेकिन ये भी हकीकत है कि उसने भी ये मुद्दा नहीं उठाया.
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, 'आंकड़े बताते हैं महिलाओं के लिए थाने में तो छोड़ दीजिये महिलाओं के लिए सम्मान नहीं है. सम्मान होता तो शौचालय की व्यवस्था हो जाती. ये तो नरेंद्र मोदी को देखना चाहिए कि स्वच्छ भारत की बात करते हैं और स्वच्छता क्या है. सरकार का ऐलान है कि मध्यप्रदेश अक्तूबर तक खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा, जिसकी कई हकीकत हम आपको दिखा चुके हैं. ये मामला तो खाकी का है लेकिन फिर भी नित्यक्रिया तक के लिए महीनों भर बाद की प्लानिंग है.
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