MP Govt Crisis: मध्यप्रदेश में 22 विधायकों के साथ छोड़ने से कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी है, तो वहीं अब भी कई और ऐसे विधायक हैं जो बाउंड्री लाइन पर खड़े हैं और पाला बदलने का मन बना रहे हैं. इनमें अधिकांश वे विधायक हैं जिनकी निष्ठा कांग्रेस में कम ही रही है. राज्य में कमलनाथ की सरकार जाने के बाद भाजपा की सरकार बनाने की कवायद जारी है, वही बीजेपी की कोशिश है कि वह अपनी ताकत को और मजबूत करे और कांग्रेस को कमजोर किया जाए. बीजेपी की कांग्रेस विधायकों के साथ निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायकों पर भी नजर है. यह सभी भाजपा के कई नेताओं के संपर्क में भी हैं.
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के लगभग डेढ़ साल तक सत्ता में रहने पर हली बार चुनाव जीतकर आए विधायकों को सत्ता का मजा मिला और अब वे सत्ता से किसी भी स्थिति में दूर नहीं होना चाहते. सत्ता छिन जाने को लेकर उनमें बेचैनी है. यही कारण है कि अब उन्हें भाजपा की सरकार बनने पर अपने हित भाजपा में पूरे होते नजर आ रहे हैं. इन विधायकों ने भाजपा से मेलजोल बढ़ाना शुरू कर दिया है और वे पाला बदलने तक की तैयारी में हैं.
कांग्रेस में पाला बदलने की चल रही कोशिशों का नजारा शनिवार की रात को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास पर भी देखने को मिला, वहां छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित कांग्रेस विधायक प्रदुम सिंह लोधी नजर आए, इसे भावी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. लोधी मीडिया को देखकर भागे और उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनके साथी विधायकों के फोन बंद थे इसलिए उनसे संपर्क के लिए निकले थे.
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस, सपा, बसपा और निर्दलीय विधायक जिनकी संख्या 10 से अधिक है, वे भाजपा के संपर्क में है और आने वाले दिनों में दलबदल का फैसला कर सकते हैं. इन विधायकों को फिलहाल भाजपा की सरकार बनने का इंतजार है, भाजपा की सरकार बनने के बाद दलबदल करने वालों का यह आंकड़ा और भी बढ़ जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए. विधायकों के दल बदल की संभावनाओं को कमलनाथ सरकार में खनिज मंत्री रहे निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के उस बयान से बल मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिसकी सरकार होगी उसे उनका समर्थन रहेगा. इसके अलावा निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने अपने क्षेत्र के मतदाताओं से चर्चा करने की बात कही है.
राजनीतिक विश्लेशक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है कि कांग्रेस का एक बार और विभाजन हो जाए तो अचरज नहीं होगा, क्योंकि कई विधायक दल बदल के मूड में हैं, मगर भाजपा को अब इन विधायकों की ज्यादा जरूरत नहीं है, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक जिन 22 विधायकों ने इस्तीफे देकर भाजपा का दामन थामा है, वही उसके लिए काफी है.
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