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This Article is From Sep 02, 2019

मेधा पाटकर के अनशन का आठवां दिन, मनाने के लिए पहुंचीं मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ

डॉ साधौ ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मेधा पाटकर की फोन पर बातचीत कराई, चर्चा से आंदोलनकारी नहीं हुए संतुष्ट

मेधा पाटकर के अनशन का आठवां दिन, मनाने के लिए पहुंचीं मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ
मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने अनशन स्थल पर पहुंचकर मेधा पाटकर से चर्चा की.
भोपाल:

एक सप्ताह से अनशन कर रहीं मेधा पाटकर की मान-मनौव्वल का दौर जारी है. मध्यप्रदेश के गृहमंत्री के बाद अब जिले की प्रभारी मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ मेधा पाटकर को मनाने के लिए सत्याग्रह स्थल पर पहुंचीं. साधौ ने मुख्यमंत्री से मोबाइल पर मेधा पाटकर की 7 मिनट बात करवाई. हालांकि इससे कोई हल नहीं निकला. यह दूसरी मर्तबा है जब सीएम कमलनाथ से मेधा पाटकर की चर्चा बेनतीजा रही. प्रभारी मंत्री डॉ साधौ और मुख्यमंत्री कमलनाथ का अनशन समाप्त करने का निवेदन मेधा पाटकर ने  अस्वीकार कर दिया. मेधा पाटकर की तबियत निरंतर बिगड़ती जा रही है.

मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ को मेधा पाटकर के धरना स्थल से आज बैरंग लौटना पड़ा. मेधा ने बड़ा बयान दिया कि मुख्यमंत्री किसी के तो दबाव में हैं. उन्होंने कहा कि 122 मीटर पर सरदार सरोवर का जल स्तर स्थिर किया जाए. उन्होंने कहा कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) मंत्री सुरेंद्र बघेल के विदेश से लौटने से पहले गांव-गांव के कांग्रेस पदाधिकारी इस्तीफा देंगे. छोटा बड़दा में सोमवार को सत्याग्रह का आठवां दिन था. 25 अगस्त से अनिश्चितकालीन उपवास कर रहीं मेधा पाटकर की तबियत में लगातार गिरावट आ रही है.

मेधा पाटकर का अनशन तुड़वाने के लिए पहुंचीं मध्यप्रदेश सरकार की मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ को मेधा पाटकर ने दो टूक जवाब दे ही दिया. मेधा ने कहा कि पूर्व सरकार ने तो हमारी हत्या कर दी, अब आप अंतिम संस्कार कर रहे हैं. मेधा ने यह भी कहा कि समझ में यह नहीं आ रहा है कि कमलनाथ मैसेज कन्वे क्यों नहीं करना चाह रहे हैं. वह मैं समझ रही हूं. कमलनाथ किसी न किसी कारण से तो दबाव में हैं. मेधा ने जिले की प्रभारी मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ के सामने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को सत्याग्रह स्थल पहुंचकर डूब प्रभावितों की समस्या का निराकरण करवाने की मांग रखी. मेधा ने यह भी कहा कि कई निर्णय सिर्फ एक दिन में ही निपटाए जा सकते हैं जो राज्य सरकार के हाथ में हैं.

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मेधा पाटकर ने यह भी कहा कि पूर्व की सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी प्रदेश के अधिकारियों को बातचीत के लिए भेजा था, लेकिन 31 अगस्त की रात में जो जवाब प्रशासन का आया है, वही जवाब पूर्व सरकार के समय में आया था. मेधा ने यह भी कहा कि वह भली भांति इस बात को जानते हैं कि इस जवाब की ड्राफ्टिंग किस अधिकारी के द्वारा की गई है. मेधा ने यह भी कहा कि इतने सालों में एनवीडीए के आयुक्त कभी जिले के दौरे पर नहीं आए, सिर्फ राजस्व विभाग के आयुक्त दौरे पर आते हैं और  टीन शेड देखकर वापस लौट जाते हैं. मेधा ने आरोप लगाया कि एके खरे भ्रष्ट अधिकारी है. मेधा ने यह भी कहा कि मेरे द्वारा मंत्री को लिखे गए पर्सनल पत्रों को भी जाहिर करते हुए आने वाले समय में बताएंगे कि उन्होंने इन समस्याओं को हल करने के सुझाव भी दिए थे.

उन्होंने यह भी कहा कि एनवीडीए मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल के विदेश यात्रा से लौटने से पहले डूब क्षेत्र के कांग्रेसियों द्वारा कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया जाएगा. मेधा ने उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र के डूब प्रभावित क्षेत्र के कलेक्टर ने डूब प्रभावितों के नामों की लिस्ट लेकर गुजरात सरकार के अधिकारियों से बहस कर उन्हें हक दिलाने का प्रयास किया और मध्यप्रदेश सरकार कहती है कि हम कुछ नहीं कर सकते. मेधा ने यह भी कहा कि वह तो नहीं मानतीं कि मध्यप्रदेश की सरकार पावर लेस है जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही. मेधा ने बातों ही बातों में प्रभारी मंत्री से यह भी कहा कि वे एक बार इस पूरे मामले पर दिग्विजय सिंह से चर्चा करें, उन्हें सब कुछ पता है.

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डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरदार सरोवर का जलस्तर कम करना गुजरात सरकार के हाथ में है. मध्यप्रदेश सरकार ने गुजरात सरकार से पुनर्वास होने तक जल स्तर कम करने की बात की थी लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. लेकिन एक बार फिर गुजरात सरकार को पत्र लिखकर जलस्तर कम कराए जाने को लेकर बात की जाएगी. मीडिया द्वारा सरकार के घुटने झुके होने के सवाल पर जवाब में उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार के सीएम रुपाणी द्वारा हरकतें की जा रही हैं. उन्हें चाहिए कि पहले डूब प्रभावितों का पुनर्वास करें, फिर बांध में पानी भरें क्योंकि पुनर्वास स्थलों के लिए पैसा गुजरात सरकार को ही देना है.

साधौ ने आठ दिन बाद सत्याग्रह स्थल पर पहुंचने पर खुद की पीठ थपथपाते हुए कहा कि वह स्वप्रेरणा से मेधा पाटकर से मिलने पहुंची थीं. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार में वह स्वयं एनवीडीए मंत्री रह चुकी हैं और इस पद पर रहते हुए महेश्वर हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के डूब प्रभावितों के मकान, खेत और पाइप लाइन का खुद ने सर्वे कराकर उनका पुनर्वास किया. शायद मंत्री यह भूल गईं कि महेश्वर परियोजना के पूर्व से ही सरदार सरोवर परियोजना का कार्य चल रहा था जिसमें लगातार विसंगतियों भ्रष्टाचार और डूब प्रभावितों के आंदोलन जारी रहे, लेकिन खुद की विधानसभा के वोट बैंक को साधने के लिए मंत्री महोदय ने 9-9 घंटे तक कार्य कर स्वयं की विधानसभा के क्षेत्र की जनता का व्यवस्थित पुनर्वास किया. जबकि इस डूब क्षेत्र की जिम्मेदारी के लिए बाला बच्चन के जिले का मामला होने की बात कह डाली.

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कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार के किसी खास और ठोस कदम उठाने के सवाल का जवाब देते हुए साधौ ने कहा कि हम जल्द ही निर्णायक कदम उठाएंगे. साधौ से जब केंद्र और गुजरात सरकार के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाते हुए उपवास करने जैसी बात पूछी तो मंत्री ने जवाब दिया कि इसका फैसला प्रदेश के मुखिया करेंगे और वह बहुत सक्षम व्यक्ति हैं.

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