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This Article is From Nov 10, 2023

मध्य प्रदेश में खाद का संकट, वजह - विधानसभा चुनाव के कारण लगी आचार संहिता

मध्य प्रदेश में खाद न मिलने से किसान परेशान, बोरियों पर प्रधानमंत्री की फोटो छपी होने के कारण नहीं हो पा रहा वितरण

मध्य प्रदेश में खाद का संकट, वजह - विधानसभा चुनाव के कारण लगी आचार संहिता
प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल:

चुनाव में नेताजी कुर्सी की फसल काटेंगे लेकिन इन्हीं चुनावों के बीच अफसरों की लापरवाही मध्य प्रदेश के कई जिलों में किसानों पर भारी पड़ रही है. उनके सामने खाद का संकट खड़ा हो गया है. किसानों को खाद नहीं मिल रही है. 

खता अफसरों ने की सजा किसानों को मिल रही है. दरअसल खाद की बोरी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो छपी रहती है, इसमें उनकी किसानों से जैविक खाद की खेती करने और कम से कम खाद का इस्तेमाल करने की अपील भी है. लेकिन यह आचार संहिता उल्लंघन है. इसे चुनाव के दौरान बांटा नहीं जा सकता. खाद की रैक उतर गई तब इसका ख्याल आया. इस बीच कई शहरों में किसान कतारों में लगने को मजबूर हो गए.राज्य में डीएपी और खाद का स्टाक पूरा है लेकिन बोरी की वजह से इसका वितरण नहीं हो पा रहा है. 

ईंटखेड़ी के किसान हरिसिंह सैनी अपनी 12 एकड़ की जमीन में बोवनी करवा रहे हैं. उन्होंने गेंहू का बीज लिया है, 15 बोरी डीएपी लिया है. वे कहते हैं कि रेट ज्यादा है और वजन पांच किलो कम है. सब बहुत महंगा है. वे कहते हैं कि हमारा जो खर्चा है उसमें हमको सिर्फ 20 प्रतिशत बचेगा. 

यूरिया की बोरियों का वजन कम किया, कीमत वही

भोपाल के निपानिया जाट गांव में प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था में किसान जुटे हैं. एक किसान को एक डीएपी और दो यूरिया की बोरियां दी जा रही हैं. हालांकि यहां नई बोरियों में तस्वीर वाली दिक्कत नहीं है, लेकिन कम वजन से यहां भी किसान परेशान हैं. किसान लोकेंद्र जाट ने बताया कि पहले यूरिया की बोरी 50 किलो की आती थी अब वह 45 किलो की आ रही है. जबकि रेट वही है. पहले एक एकड़ में 50 किलो डाला जाता था, अब वह 45 किलो डलने लगा है. डीएपी 1365 रुपये की और इफको की 1400 से अधिक की आ रही है. 

देवास में पुलिस की सहायता से खाद बंट रही है. वहां पर किसान सुबह छह बजे से कतार में लग रहे हैं. यहां पर बोरियों से तस्वीर हट गई है लेकिन प्रधानमंत्री का नाम लिखा है. 

ब्लैक में खाद खरीद रहे किसान

कई जगह पर किसानों की शिकायत है कि वे ब्लैक में खाद खरीद रहे हैं. गोदाम में जो खाद रखी है उसमें प्रधानमंत्री की तस्वीर लगी है लेकिन कोई भी कुछ कहने से बच रहा है. इंदौर की छावनी कृषि मंडी में दो सहकारी कृषि समितियां हैं, लेकिन यहां पीएम की तस्वीर वाली बोरियां नहीं हैं. हालांकि किसान फिर भी परेशान हैं. टोकन मिलता है लेकिन खाद के लिए दो से तीन दिन चक्कर लगाना पड़ रहा है. 

मंदसौर में भी खाद पर्याप्त है लेकिन किसान परेशान हो रहे हैं. दबी जुबन में अधिकारी मानते हैं कि आचार संहिता के चलते दूसरी बोरी में खाद का वितरण किया जा रहा है. खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लाइन लगी हैं. 

दो अक्टूबर को आचार संहिता लगी थी, अफसरों ने ध्यान नहीं दिया

सरकार कह रही है कि खाद की कमी नहीं है लेकिन विपक्ष उपेक्षा का आरोप लगा रहा है. दो अक्टूबर को आचार संहिता लागू हुई थी लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया. शिकायत हुई तो निर्वाचन आयोग ने बोरियों पर से पीएम की फोटो हटाने के आदेश दिए. इसलिए कहीं थिनर से तो कहीं पेंट लगाकर फोटो हटाई जा रही है. 

रबी की फसलों की बुआई अक्टूबर से ही शुरू हो गई थी. 20 नवंबर तक का वक्त खेती के लिए अहम होता है लेकिन चुनाव 17 नवंबर तक चलते रहेंगे. ऐसे में हो सकता है कि राज्य में खाद का संकट गहरा हो जाए.

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