मध्यप्रदेश में यूरिया संकट का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में गूंजा. शून्य काल में भी ये मुद्दा उठा. बाद में इसपर विस्तृत चर्चा हुई. इस बीच यूरिया लेने सहकारी समितियों की चौखट पर लंबी-लंबी कतारों में किसान थक-हार कर अपना धैर्य खो रहे हैं. मंगलवार सुबह मध्यप्रदेश बीजेपी के सारे आला नेता और विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते, यूरिया संकट, फसल बीमा में देरी और बाढ़ राहत राशि जल्द देने की मांग लिखे एप्रेन पहनकर विधानसभा पहुंचे और सरकार को जमकर कोसा. बाद में सदन के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आरोपों पर कृषि मंत्री सचिन यादव ने जवाब दिया.
कहा कि यह किसानों की सरकार है, भाजपा वाले एक भी किसान का नाम बता दें जिसका कर्ज़ माफ किया हो. वहीं सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने कहा मुख्यमंत्री कमलनाथ को फ़ोटो खिंचवाने का शौक नहीं है, किसानों का कैसे भला हो उसको लेकर काम कर रहे हैं. कृषि मंत्री ने ये भी बताया कि सरकार ने अबतक 20 लाख किसानों का कर्ज माफ कर दिया, बीजेपी ने 50 हज़ार कर्ज़ का वादा किया था, वो 15 साल में माफ नहीं कर पाए. वैसे सरकार ने यूरिया की कमी पर तो कम लेकिन बीजेपी की सियासत पर खूब हमला किया.
सचिन यादव ने कहा कुछ लोग जिनकी राजनीति समाप्ति की ओर है चेहरा चमकाने के लिये किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. हालांकि ना तो बीजेपी के नारे, ना सरकार के दावों से किसानों की यूरिया की किल्लत मिट रही है. राज्य के कई जिलों से यूरिया के लिये नाराज़, परेशान किसानों की तस्वीरें आई हैं. राज्य सरकार ने दिल्ली तक दौड़ लगाई, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात की, जिसके बाद मध्य प्रदेश को 2.80 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया देने का फैसला किया गया था, लेकिन हालात अभी तक सुधरे नहीं हैं.
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