
- भगत सिंह को फांसी के फंदे पर 1 घंटे तक लटकाए रखने का प्रमाण दिल्ली विधानसभा में लगी प्रदर्शनी में सामने आया.
- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी और उन्होंने 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए थे.
- 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने केंद्रीय विधानसभा में पब्लिक सेफ्टी बिल के विरोध में बम फेंककर विरोध जताया था.
Bhagat Singh Hanged: शहीद-ए-आजम भगत सिंह के कई किस्से लोगों के जेहन में है. लेकिन अंग्रेजों द्वारा उनपर की गई क्रूरता का एक बड़ा प्रमाण अब सामने आया है. भगत सिंह को मात्र 23 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था. मेरा रंग दे बंसती चोला और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए वो अपने दो और साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी के फंदे पर लटक गए थे. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भगत सिंह को एक घंटे के तक फांसी के फंदे पर लटकाए रखा गया था. किंवदंतियों से यह कहानी चर्चा में थी. लेकिन इसका प्रमाण आज पहली बार सामने आया.
दिल्ली विधानसभा में ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉफ्रेंस
दरअसल स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा स्पीकर बनने बनने के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में दिल्ली विधानसभा में ऑल इंडिया स्पीकर्स कांन्फ्रेंस की शुरुआत हुई. इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह, दिल्ली के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
प्रदर्शनी में कई ऐतिहासिक तथ्यों को दिखाया गया
इस मौके पर दिल्ली विधानसभा में लगी प्रदर्शनी में विधानसभा से जुड़ी कई ऐतिहासिक तथ्यों को दर्शाया गया. जिसमें भगत सिंह के खिलाफ निकले फाँसी के वारंट को भी दिखाया गया है. इसमें लिखा गया है कि शहीद भगत सिंह को तब तक लटकाए रखा जाए जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती.

भगत सिंह को एक घंटे पर फंदे पर लटकाए रखने का प्रमाण.
यही वजह रही है कि लाहौर जेल में उनको फाँसी पर एक घंटे तक अमानवीय तरीक़े से लटका कर रखा गया था. भगत सिंह को फांसी पर एक घंटे तक लटकाए रखने की चिट्ठी भी दिल्ली विधानसभा में लगी प्रदर्शनी में लगाई गई है.
दिल्ली विधानसभा से जुड़ा है शहीद भगत सिंह का इतिहास
मालूम हो कि 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने पब्लिक सेफ्टी बिल के विरोध में केंद्रीय विधानसभा में बम फेंक कर विरोध जताया था. उसी केंद्रीय विधानसभा (आज के दिल्ली विधानसभा) का पहला अध्यक्ष बनते ही विट्ठल भाई पटेल ने आसन पर बैठकर कहा था कि ये आवाजें सुनी जाएंगी. उन्होंने पब्लिक सेफ्टी बिल को आउट आफ आर्डर घोषित कर दिया था.
विट्ठल भाई पटेल ने लार्ड इरविन के लिए कुर्सी नहीं छोड़ा
उल्लेखनीय हो कि दिल्ली विधानसभा 1913 में बनकर तैयार हुई थी इसे बनने में महज आठ महीने का वक्त लगा था..आर्किटेक्ट मोटेगो थॉमस और ठेकेदार फतेह चंद ने इसका काम 1912 में शुरू किया था. इसी प्रदर्शनी में लगे ऐतिहासिक तथ्य के मुताबिक पहला स्पीकर बनने के बाद वायसराय लार्ड इरविन के लिए अपनी कुर्सी छोड़ने से इंकार किया था फिर दूसरी कुर्सी लगवाई गई थी. यहीं बाद में परंपरा बन गई.

स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल के केंद्रीय विधानसभा स्पीकर बनने बनने के 100 साल पूरे.
100 साल पहले पहला भारतीय मूल का स्पीकर बना: रेखा गुप्ता
इस मौके पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए ऐतिहासिक है. 100 साल पहले ब्रिटिश काल में आज ही के दिन एक भारतीय ने इस विधानसभा परिसर में पहली बार विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल किया था. वो विट्ठल भाई थे.
अमित शाह बोले- ऐसी प्रदर्शनी सभी विधानसभा में लगनी चाहिए
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "आज के ही दिन महान स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल, केंद्रीय विधानसभा के स्पीकर बने थे. विट्ठलभाई पटेल के स्पीकर बनने के 100 साल पूरे होने के कारण आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक है. विधानसभा में कई महान अध्यक्ष रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि देश के सभी सदनों में देश के सभी महान विधानसभा अध्यक्षों की कही बातों को वहां की लाइब्रेरी में लगाना चाहिए. आज विट्ठलभाई पटेल को लेकर जो प्रदर्शनी लगी थी, वैसी प्रदर्शनी देश के सभी विधानसभा में लगनी चाहिए."

दिल्ली विधानसभा में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन करते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व अन्य.
किरेन रिजिजू बोले- यह दो दिन का सत्र बेहद उपयोगी
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन की कार्यवाही को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, "यह दो दिन का सत्र है, बेहद उपयोगी सत्र रहने वाला है. जो महान व्यक्ति हैं, जिन्होंने देश के लिए नींव रखी है, उनके बारे में समझाना और सोचना हम लोगों की जिम्मेदारी है."
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