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This Article is From Jul 07, 2019

मध्य प्रदेश: स्वच्छ भारत के तहत बनाए गए टॉयलेट यूज करने लायक नहीं, लोग बोले- खुले में शौच को मजबूर

बजट से एक दिन पहले संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक 9.5 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है.

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मध्य प्रदेश: स्वच्छ भारत के तहत बनाए गए टॉयलेट यूज करने लायक नहीं, लोग बोले- खुले में शौच को मजबूर
स्थानीय लोगों का कहना है कि वह खुले में शौच को मजबूर हैं.
भोपालॊ:

मध्य प्रदेश के सिवनी के एक गांव में स्वच्छ भारत के तहत बनाए गए शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है. स्थानीयों का कहना है कि सही ढंग से शौचालय नहीं बनाए गए, इसलिए इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. हम लोग खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. हमने खूब शिकायत की है, लेकिन कुछ नहीं होता.' इस पर जिला पंचायत की सीईओ मंजुषा रॉय का कहना है, 'संपूर्ण सर्वेक्षण अभी तक किया जाना है और सर्वेक्षण के आधार पर यह स्पष्ट होगा कि कितने शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है. सरकार द्वारा दिए गए निर्देश के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.'

वहीं बजट से एक दिन पहले संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक 9.5 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है. अक्टूबर 2014 में शुरू इस कार्यक्रम के तहत पिछले चार वर्षों में 99.2 प्रतिशत गांव इसके दायरे में आ चुके हैं. 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि योजना लागू किये जाने के बाद 5,64,658 गांव खुले में शौच से मुक्‍त (ओडीएफ) घोषित किये गये हैं. उसके मुताबिक 14 जून, 2019 तक 30 राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) कवरेज कराई जा चुकी है. उसमें कहा गया है कि एसबीएम में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है.

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समीक्षा में कहा गया है कि स्कूलों, सड़कों एवं पार्कों में महिलाओं एवं पुरूषों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाये गए हैं. इस तरह यह मिशन स्त्री-पुरूष के बीच असमानता खत्म करने में उपयोगी रहा है. इसमें कहा गया है कि इस सार्वजनिक अभियान का समाज पर कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं. इनमें से स्कूलों में लड़कियों के पंजीयन का अनुपात बढ़ा है और स्वास्थ्य बेहतर हुआ है.

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(इनपुट- एएनआई)

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