अयोध्या मामले में फैसले से पहले मध्यप्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लागू हो गई है. राजधानी भोपाल में कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने सोशल मीडिया पर भी शिकंजा कसते हुए आपत्तिजनक, भड़काऊ, किसी संप्रदाय विशेष को टार्गेट करते संदेश, तस्वीर, वीडियो पोस्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन सारे उपायों के अलावा प्रशासन ने एक खास तैयारी की है, जिसमें अहम भूमिका होगा आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पटवारियों की जो सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे.
राज्य पुलिस विभाग के प्रमुख सूत्रों के मुताबिक इस काम के लिए नोडल अधिकारी की भूमिका निभाएंगे बीट कांस्टेबल जिन्हें साथ मिलेगा पटवारियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, एएनएम नर्सों से. प्रशासन को उम्मीद है कि ये कर्मचारी जिन लोगों की सेवा करते हैं, उनके समूह में प्रभावशाली तौर से काम कर सकते हैं.
महिलाओं से लेकर मजदूरों और व्यापारियों से लेकर किसानों तक ये टीम लोगों को समझाएंगी कि चाहे जो भी हो, सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद भी उनका जीवन अप्रभावित रहेगा, इसलिए यह सुनिश्चित करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि शांति और सामुदायिक सौहार्द बनाए रखें.
इस योजना में राज्य के 52 जिलों में लगभग 1100 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों में पुलिस बीट कांस्टेबल के साथ विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की भागीदारी शामिल है.
वैसे कई ज़िलों में दंगा विरोधी ड्रिल चल रही है, सभी आपातकालीन सेवाओं को सुव्यवस्थित भी किया जा रहा है. साथ ही पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अगली सूचना तक छुट्टी ना लें.
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