मंत्री न बनाए जाने से नाराज कांग्रेस विधायक और जय आदिवासी युवा संगठन के संस्थापक डॉ हीरालाल अलावा ने नया राज्य बनाने की मांग कर दी है. धार जिले के मनावर से कांग्रेस विधायक ने आदिवासी राज्य 'भीलिस्तान' की मांग कर दी है. हालांकि पार्टी इसे उनका व्यक्तिगत मत मानती है.
डॉ अलावा की आदिवासी युवाओं में गहरी पैठ है. उन्होंने एम्स से एमबीबीएस की पढ़ाई की है. चुनाव से पहले उन्होंने जयस छोड़ पंजे को पकड़ा. पहले मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज़ थे, अब आदिवासियों के लिए अलग राज्य मांग रहे हैं. उन्होंने मांग की है कि भील प्रदेश बनाकर यहां पांच के बजाय छह शेड्यूल बनाकर स्वशासी प्रदेश का दर्जा देकर स्वशासी जिले और तहसील बनाए जाएं ताकि वहां के आदिवासियों की पहचान, परंपरा का संरक्षण किया जा सके.
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मध्यप्रदेश की आबादी में 21 प्रतिशत आदिवासी हैं. विधानसभा की 230 सीटों में से 47 एसटी के लिए आरक्षित हैं. इसमें से भी 49 फीसदी पश्चिमी जिलों यानी मालवा निमाड़ से हैं. मालवा-निमाड़ के यह इलाके भील आदिवासी बहुल हैं. इन्हीं सीटों पर जयस का प्रभाव है. उसी के साथ मिलकर कांग्रेस ने बीजेपी के इस गढ़ को ढहाया था. हालांकि फिलहाल पार्टी को अलग प्रदेश की मांग गैरजरूरी लग रही है. कांग्रेस के कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल ने कहा मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ 121 विधायक हैं. सबको मंत्री नहीं बना सकते, लेकिन वे अपने इलाके का मंत्री बनकर विकास करना चाहते हैं. मैं नहीं सोचता प्रदेश में किसी नए विभाजन की ज़रूरत है.
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बीजेपी इस मामले में कांग्रेस को घेरते हुए इसे गंभीर मसला बता रही है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कांग्रेस अपने ही विधायक की मांग पर क्या कहती है. केवल नकारने से काम नहीं चलेगा. क्या इसे हतोत्साहित करने का प्रयास कांग्रेस कर रही है. कमलनाथ जी का कोई बयान नहीं आया है. ये छोटा मामला नहीं बड़ा मामला है.
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बहरहाल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनते ही अब लोकसभा चुनाव से पहले अलग भील प्रदेश की मांग के सियासी मायने भी निकाले जाने शुरू हो गए हैं. कहीं ये उस संदेश को देने का कोशिश तो नहीं कि अगर आदिवासियों की अनदेखी की तो पार्टी इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में भुगतने के लिए तैयार रहे.
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