मध्यप्रदेश के बीजेपी के दिग्गज नेता गोपाल भार्गव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए. भोपाल में केद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोपाल भार्गव के नाम का प्रस्ताव रखा. इसका नरोत्तम मिश्रा और कुंवर सिंह ने समर्थन किया.
छात्र राजनीति के दौर में कॉलेज निर्माण के लिए जेल में रहे गोपाल भार्गव 1980 में पहली बार गढ़ाकोटा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए थे. इसके बाद 1984 में पहली बार रहली से विधायक बने. भार्गव को उमा भारती की सरकार में पहली बार मंत्री बनाया गया था. साल 2008 में उन्हें पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया.
साल में दो बार सामूहिक विवाह सम्मेलन करवाने वाले भार्गव को ‘शादी बाबा' के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने अपने बेटे की शादी भी ऐसे ही समारोह में की थी. फिलहाल वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं.
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गोपाल भार्गव बुन्देलखंड अंचल के बीजेपी के कद्दावर नेता हैं. वे सन 1984 से 2018 तक लगातार सागर जिले की रहली विधानसभा से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. उन्होंने सभी आठ चुनाव जीते. मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार में 15 साल लगातार मंत्री बने रहने वाले वे एक मात्र विधायक हैं. गोपाल भार्गव उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराजसिंह चौहान तीनों मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे हैं.
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मध्यप्रदेश में बीजेपी के विधायकों का नेता चुनने के लिए सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में बैठक हुई. बैठक में राजनाथ ने पार्टी विधायकों से चर्चा की. बीजेपी की ओर से प्रतिपक्ष के नेता पद के लिए तीन ब्राह्मण नेता दावेदार थे पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और राजेंद्र शुक्ल. इन सबकी अलग-अलग कारणों से मजबूत दावेदारी थी.
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नरोत्तम मिश्रा दिल्ली की पसंद थे, तो भार्गव लगातार आठ बार से विधायक निर्वाचित होने के कारण प्रबल दावेदार थे. शुक्ल को इस बार विंध्य क्षेत्र में बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाने का श्रेय है. इन तीनों दावेदारों में से एक को नेता चुनना बीजेपी के लिए आसान नहीं था. पार्टी में गोपाल भार्गव के नाम पर आम सहमति बन गई और फिर उन्हें नेता प्रतिपक्ष चुन लिया गया.
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दूसरी ओर, मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी ने कांग्रेस को वॉक ओवर देने से मना कर दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस के एनपी प्रजापति के सामने पूर्व शिक्षा मंत्री और आदिवासी चेहरे के तौर पर जाने जाने वाले कुंवर विजय शाह को प्रत्याशी बनाया है. विजय शाह हरसूद से विधायक हैं. कांग्रेस का आरोप है कि सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुनने की परंपरा को बीजेपी ने तोड़ा है. ऐसे में वह उसे उपाध्यक्ष पद नहीं देगी. वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में वरिष्ठतम विधायक को चुनने की परंपरा को नहीं निभाया है. विधानसभा में कांग्रेस के पास विधायकों का आंकड़ा बहुमत से 2 कम है, लेकिन सपा-बसपा-निर्दलियों की मदद से उसे भरोसा है कि वह अध्यक्ष का चुनाव जीत लेगी.
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राजनाथ सिंह सोमवार की शाम को विमान से भोपाल पहुंचे. बीजेपी नेताओं ने उनकी अगवानी की. इसके बाद वे सीधे बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे. विधायकों की बैठक में राजनाथ के साथ पर्यवेक्षक के तौर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी डॉ विनय सहस्रबुद्धे भी मौजूद रहे.
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