मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
भोपाल:
मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार या किसी भी उम्र की महिला से गैंगरेप के दोषी को फांसी की सज़ा देने को मंजूरी दे दी है. सर्वसम्मति से पारित इस विधेयक में विपक्ष की आपत्तियों पर जनसुरक्षा कानून में सरकार ने विचार करने का भरोसा दिया है. इस विधेयक को अब कानूनी मुहर के लिये राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस मामले पर एक नैतिक आंदोलन चलाने की भी जरुरत है. शिवराज ने कहा, 'महिलाएं विशेषकर बेटियों की सुरक्षा एक चिंता का विषय है और इसी को लेकर विधानसभा ने एक एतिहासिक विधेयक पास किया है जिसमें 12 साल या उससे कम उम्र की बेटियों के साथ दुराचार करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है. बेटियों का पीछा करने वाले आरोपियों के खिलाफ भी सख्त प्रावधान इस विधेयक में किया गया है. कानूनी प्रावधान के साथ साथ समाज में नैतिक आंदोलन चलाया जाएगा.
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विधानसभा में पारित हुए विधेयक के मुताबिक आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 376 डी (सामूहिक बलात्कार) में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है. दोनों धाराओं में दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान शामिल किया गया है. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उन्हें घूरने जैसे मामले में दोषियों को सजा के साथ एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
हालांकि कैबिनेट की पिछली बैठक में मलैया और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने आशंका जताई थी कि बलात्कारियों के लिए मौत की सजा पीड़ितों के लिए एक बड़ा खतरा होगा क्योंकि अपराधी उन्हें मारने की कोशिश करेंगे. इसलिए कैबिनेट की मुहर लगाने से पहले इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिक विचार-विमर्श और कानूनी सलाह के लिये कुछ और समय लिया.
VIDEO: भोपाल गैंगरेप केस के बाद राज्य सरकार ने दिए कोचिंग सेंटरों को निर्देश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिनों पहले 19 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद कहा था कि बलात्कार के दोषियों को फांसी की सज़ा देनी चाहिये और वो कानून बनाकर विधेयक को मंजूरी के लिए भारत सरकार को भेजेंगे. एनसीआरबी 2016 के आंकड़ों में भी देश में बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश पहली पायदान पर है, ज़ाहिर है ऐसे आंकड़े किसी भी सरकार को असहज बना सकते हैं.
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विधानसभा में पारित हुए विधेयक के मुताबिक आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 376 डी (सामूहिक बलात्कार) में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है. दोनों धाराओं में दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान शामिल किया गया है. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उन्हें घूरने जैसे मामले में दोषियों को सजा के साथ एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
हालांकि कैबिनेट की पिछली बैठक में मलैया और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने आशंका जताई थी कि बलात्कारियों के लिए मौत की सजा पीड़ितों के लिए एक बड़ा खतरा होगा क्योंकि अपराधी उन्हें मारने की कोशिश करेंगे. इसलिए कैबिनेट की मुहर लगाने से पहले इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिक विचार-विमर्श और कानूनी सलाह के लिये कुछ और समय लिया.
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिनों पहले 19 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद कहा था कि बलात्कार के दोषियों को फांसी की सज़ा देनी चाहिये और वो कानून बनाकर विधेयक को मंजूरी के लिए भारत सरकार को भेजेंगे. एनसीआरबी 2016 के आंकड़ों में भी देश में बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश पहली पायदान पर है, ज़ाहिर है ऐसे आंकड़े किसी भी सरकार को असहज बना सकते हैं.
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