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This Article is From Sep 02, 2020

NDTV की खबर का असर: PDS में घटिया चावल वितरण पर सख्त हुए शिवराज सिंह

बालाघाट-मंडला जिलों के घटिया चावल वितरण के लिए जिम्मेदार गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त, बालाघाट के जिला प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया

NDTV की खबर का असर: PDS में घटिया चावल वितरण पर सख्त हुए शिवराज सिंह
मध्यप्रदेश के दो जिलों में लॉकडाउन के दौरान घटिया चावल का वितरण किया गया.
भोपाल:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने बालाघाट और मंडला जिलों में घटिया चावल के वितरण पर सख्ती बरती है. बालाघाट-मंडला जिलों के चावल की गुणवत्ता कार्य के लिए जिम्मेदार गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. वहीं बालाघाट के जिला प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है. संबंधित मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. 

मंगलवार को NDTV की खबर आई थी कि कैसे केन्द्र की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीडीएस में बांटे जा रहे चावल भेड़-बकरियों को खिलाने लायक हैं, इंसानों के लायक नहीं.

गौरतलब है कि लॉकडाउन (Lockdown) में केन्द्र और राज्य सरकारों ने गरीबों को मुफ्त में अनाज देने के बड़े-बड़े वादे किए थे और ये खबरें सुर्खियां बनीं थीं. जो खबर सुर्खियों में नहीं बनीं वह ये थीं कि इस खाने से पोषण भी मिलेगा या सिर्फ पेट भरेगा! एक और बात जो सुर्खियों में नहीं आई कि इसकी गुणवत्ता क्या है? गुणवत्ता के सवाल का जवाब मध्यप्रदेश को केन्द्र सरकार ने दे दिया. केंद्र ने कहा कि दो आदिवासी बहुल जिलों- मंडला और बालाघाट में चावल को जांचा गया है. कहा है कि इंसान तो छोड़िए,  इसे भेड़-बकरियों की खिला दीजिए.

घटिया अनाज को लेकर लोगों की शिकायत को केन्द्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सही माना. शिवराज सरकार को भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल 30 जुलाई से 2 अगस्त तक बालाघाट और मंडला में 32 सैंपल एकत्र किए गए, 31 डिपो से और एक राशन की दुकान से. CGAL लैब में परीक्षण के बाद पाया गया कि सारे नमूने ना सिर्फ मानकों से खराब थे, बल्कि वो फीड-1 की श्रेणी में हैं जो बकरी, घोड़े, भेड़ और मुर्गे जैसे पशुधन के लिए उपयुक्त है.”
    
गोदामों के रिकॉर्ड के मुताबिक, जहां से सैंपल लिए गए वो मई-जुलाई 2020 में खरीदे गए थे, रिपोर्ट कहती है ना सिर्फ चावल पुराने और घटिया हैं, बल्कि जिन बोरियों में इन्हें रखा गया है वो भी कम से कम दो से तीन साल पुरानी हैं. खरीद से लेकर पूरे वितरण में गंभीर खामियां हैं. इस पूरी प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे खाद्यान्न की आपूर्ति करने वाले राइस मिलर्स को तत्काल ब्लैक लिस्ट किया जाए.
     
कांग्रेस इस मामले में हमलावर है. पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल कहते हैं कि बाढ़ के साथ सेल्फी की नौटंकी छोड़कर सरकार को पीड़ितों के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए. अनेक राशन दुकानों पर जिसे खाया नहीं जा सकता ऐसे अनाज का वितरण किया जा रहा है. सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
   
जो राशन मिला है, केन्द्र सरकार कह रही है कि वो घटिया क्वॉलिटी का है. इतना घटिया जिसे भेड़-बकरियों को दिया जा सकता है, इंसानों को नहीं. केन्द्र ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से कहा है कि जो चावल डिपो में मौजूद है उसके वर्गीकरण और जांच तक उसको बांटा ना जाए, साथ ही जल्द से जल्द कार्रवाई रिपोर्ट सौंपें.

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