मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले संबल योजना के तहत 18 करोड़ रुपये में छापे गए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के फोटो वाले स्मार्ट कार्ड 68 दिन में बेकार हो गए हैं. इन कार्डों को नई सरकार आने के बाद निरस्त कर दिया गया है और अब नए कार्ड छापने की तैयारी है, जिन पर मुख्यमंत्री की तस्वीर नहीं होगी.
संबल योजना के तहत 1.80 करोड़ मजदूरों को जुलाई 2018 शिवराज सरकार ने स्मार्ट कार्ड बांटे. योजना सरकारी थी तो तस्वीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की. कांग्रेस ने उस वक्त भी इसे चुनावी हथकंडा करार दिया था. सरकार बनी तो श्रम मंत्रालय ने सारे कलेक्टरों और जिला पंचायत सीईओ को खत लिखकर कह दिया कि स्मार्ट कार्ड वापस बुलाए जाएं.
शिवराज सिंह कह रहे हैं, ये उनके नाम को मिटाने की साजिश है. हो सकता है कुछ लोगों ने सुझाया हो कि शिवराज नाम की चीज मिटा दो. अब संबल के कार्ड भी बदल दो, फोटो हटा दो, दिल से तो नहीं निकाल सकते न.
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वहीं श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ने पलटवार करते हुए कहा कि बात शिवराज सिंह को मिटाने की नहीं है, उन्हें तो जनता ने मिटाया है. लेकिन हमारे मुख्यमंत्री ने अपने फोटो प्रिंट कराने की बात नहीं की. उन्होंने कहा इसमें आष्युमान योजना, जिसमें पांच लाख तक स्वास्थ्य का पैसा श्रमिक को देने हैं, इसलिए रीप्रिंट कराने का विचार है.
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ये तमाम कार्ड मजदूरों को जनपद पंचायतों के जरिए 20 से 30 जुलाई के बीच बांटे गए थे. कार्ड की छपाई में 18 करोड़ रुपये का खर्च आया था. प्रति मजदूर कार्ड के लिए 10 रुपये की राशि जिला और जनपद पंचायतों को दी गई थी. हालांकि आचार संहिता लगने के बाद स्मार्ट कार्ड नहीं बांटे गए, लेकिन पांच साल की वैधता वाले कार्ड 68 दिन में ही बेकार हो गए हैं.
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