हटा में कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे. इस वजह से हटा कस्बा मंगलवार को बंद रहा. कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार बचाने के लिये, कांग्रेस नेता देवेन्द्र चौरसिया की हत्या के आरोपियों को कमलनाथ (Kamal Nath) बचा रहे हैं. देवेन्द्र चौरसिया के बेटे सोमेश ने एक वीडियो जारी कर कहा, 'मैं इस वीडियो के माध्यम से आपको बताना चाहता हूं कि मुझे न्याय दिलाने में सहयोग कीजिये क्योंकि कमलनाथ सरकार आरोपी व्यक्ति को बचाने में लगी है. क्योंकि अगर आपका सहयोग नहीं मिला तो मेरी भी हत्या हो सकती है. मैं पूरी वारदात का प्रत्यक्षदर्शी हूं.' दरअसल ये विरोध एक नाम की वजह से हुआ है जो मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों बहुत चर्चा में है. बहुजन समाज पार्टी की विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह.'
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विधायक के पति पर 17 से अधिक मामले दर्ज हैं और फरारी में भी वह विधानसभा में टहलते नजर आए लेकिन गिरफ्तारी के बजाए उनके ऊपर इनाम हटा दिया गया. दमोह पुलिस ने आनन-फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि इनाम पहले ही हटा चुके थे, ऐसे में उनके कहीं आने-जाने पर पाबंदी नहीं है. सत्ता की मजबूरी ऐसी है कि बीजेपी भी खुल कर विरोध नहीं कर रही है.
12 जुलाई को बीएसपी विधायक रामबाई विधानसभा में कांग्रेस नेता देवेन्द्र चौरसिया की हत्या के आरोपी अपने रिश्तेदारों की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाना चाहती थीं, स्पीकर ने इजाजत नहीं दी तो आंसू निकल पड़े. 18 जुलाई को हंसी-खुशी वह अपने पति को विधानसभा घुमाने ले आईं, जिनको कुछ दिनों पहले तक पुलिस फरार बता रही थी. जिनपर कांग्रेस नेता देवेन्द्र चौरसिया की हत्या में 25000 का इनाम था, विधानसभा में टहलते हत्या के आरोपी पति ने बता दिया कि मुख्यमंत्री ने मामले में जांच करके खात्मा लगाने का आश्वासन दिया है.
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अगले दिन विधानसभा में रामबाई के सुर भी बदल गये और उन्होंने मीडिया से सवाल करते हुए कहा कि उन्हें दमोह जाकर हत्या की कड़ियां ढूंढनी चाहिये. 15 मार्च को बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए देवेंद्र चौरसिया की हटा में हत्या कर दी गई थी. इसमें सात मुख्य आरोपी समेत कुल 28 आरोपी बनाए गए थे. इसमें पथरिया से बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह का नाम भी शामिल था. हत्याकांड के बाद से ही गोविंद सिंह फरार चल रहे थे. पुलिस ने उन पर 25 हजार के इनाम का ऐलान किया था. जिसे बाद में एसपी ने हटा दिया और विधायक से जांच आवेदन लेकर गोविंद सिंह का नाम हटा दिया.
अब सरकार के मंत्री भी खुलकर 17 मामलों के आरोपी की वकालत कर रहे हैं. कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा रामबाई जनप्रतिनिधि हैं, उन्होंने कई सबूत दिये हैं कि हत्या वाले दिन मेरे पति इस क्षेत्र में नहीं थे, जिसके पुख्ता प्रमाण तमाम सीसीटीवी फुटेज तमाम सारी बातें जब उन्होंने दी तो पुलिस ने जांच करके नाम हटाया है, 25000 का इनाम भी हटा लिया है. उधर मामले में पति की बेगुनाही के नाम पर बसपा विधायक दूसरों विधायकों के दस्तखत लेने लगीं.
पहले विधायक के समर्थन में खड़ी बीजेपी ने सवालों के बाद सुर बदले. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा आप जो पूछ रहे हैं, वो सही है, मैं दबाने छिपाने के पक्ष में नहीं, जो दोषी हैं उन्हें सजा होना चाहिये, मुख्यमंत्री, पुलिस अधिकारियों का राजधर्म है सत्य का पक्ष लें. जिस तरह का संख्या बल है एक एक विधायक का महत्व है, कुछ ऐसी बातें मानी जा रही हैं जो कभी नहीं मानी गईं. बीजेपी भी इसी के लिये नहीं कर रही. वो मामला लटक जाए इसलिये घूम रही थीं. मैंने दस्तखत करने से मना कर दिया.
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मध्यप्रदेश विधानसभा में सदस्य संख्या 230 है, कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. वहीं उसे 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा के विधायक का समर्थन मिला हुआ है जिसके चलते 230 विधायकों वाली विधानसभा में कमलनाथ सरकार के पास कुल 121 विधायक हैं जो बहुमत के आंकड़े से सिर्फ 5 विधायक ज्यादा है. वहीं बीजेपी के विधायकों की संख्या 108 है.
समझना मुश्किल नहीं है कि सरकार बचाने, बनाने में संख्या बल को लेकर दोनों दल हत्या के 2 मामलों सहित 17 अलग-अलग मामलों के आरोपी के आगे क्यों नतमस्तक दिख रहे हैं. जबकि दो मामलों में उनपर कांग्रेस नेता की हत्या का आरोप है, कांग्रेस नेता राजेन्द्र पाठक की हत्या के मामले में तो निचली अदालत ने गोविंद सिंह को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है, फिलहाल उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है.
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