रमन सिंह (फाइल फोटो)
रायपुर:
छत्तीसगढ़ के मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ‘महाभारत’ के भीष्म पितामह की तरह हैं जिनके पास चुनाव में जीत या हार तय करने की शक्ति है. वहीं, कांग्रेस ने इस पर चुटकी लेते हुए भाजपा को कौरव सेना का हिस्सा बताया. चंद्राकर ने कहा, ‘‘ डॉक्टर साहब(रमण सिंह) के पास ‘इच्छामृत्यु’ का वरदान है. महाभारत में कोई भी इतना सक्षम नहीं था कि वह भीष्म पितामह को हरा दे और वह अच्छी तरह से जानते थे कि उनकी मृत्यु कब और कैसे होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उनकी (भीष्म पितामह की) तरह सिर्फ डॉक्टर साहब जानते हैं कि हारेंगे या नहीं. वह अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके साथ छत्तीसगढ़ के गरीब लोगों के प्रेम की ताकत है.’’ चंद्राकर ने यह टिप्पणी ‘मुख्यमंत्री मनरेगा मजदूर टिफिन वितरण योजना’ की शुरूआत के मौके पर की.
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इस योजना के तहत 10.83 लाख मजदूरों को निशुल्क टिफिन बॉक्स वितरित किए जाएंगे. छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, ‘‘ उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान क्यों मिला? क्यों उन्होंने राज्य की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली है.’’ सिंह आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं. इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने मंत्री का यह स्वीकार करने के लिए धन्यवाद किया कि भाजपा का संबंध महाभारत की ‘कौरव सेना’ से है, क्योंकि भीष्म पितामह ने कौरवों की ओर से पांडवो से युद्ध किया था. विपक्ष के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा, ‘‘ रमण सिंह की भीष्म पितामह से तुलना करके, उन्होंने कम से कम मान लिया है कि वे कौरव सेना का हिस्सा है.
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चंद्राकर ने खुद यह मान लिया है. क्या सही है और क्या गलत है यह स्थापित हो गया है.’’ ऐसा माना जाता है कि करूक्षेत्र के युद्ध में दुर्योधन के नेतृत्व में कौरव अधर्म (गलत) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जबकि युधिष्ठिर की अगुवाई में पांडव धर्म (सही) का प्रतिनिधत्व कर रहे थे.
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इस योजना के तहत 10.83 लाख मजदूरों को निशुल्क टिफिन बॉक्स वितरित किए जाएंगे. छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, ‘‘ उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान क्यों मिला? क्यों उन्होंने राज्य की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली है.’’ सिंह आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं. इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने मंत्री का यह स्वीकार करने के लिए धन्यवाद किया कि भाजपा का संबंध महाभारत की ‘कौरव सेना’ से है, क्योंकि भीष्म पितामह ने कौरवों की ओर से पांडवो से युद्ध किया था. विपक्ष के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा, ‘‘ रमण सिंह की भीष्म पितामह से तुलना करके, उन्होंने कम से कम मान लिया है कि वे कौरव सेना का हिस्सा है.
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चंद्राकर ने खुद यह मान लिया है. क्या सही है और क्या गलत है यह स्थापित हो गया है.’’ ऐसा माना जाता है कि करूक्षेत्र के युद्ध में दुर्योधन के नेतृत्व में कौरव अधर्म (गलत) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जबकि युधिष्ठिर की अगुवाई में पांडव धर्म (सही) का प्रतिनिधत्व कर रहे थे.
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