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This Article is From May 01, 2018

देश भर में बिजली की जगमग का ऐलान, ढोंढन गांव के लोगों ने बल्ब नहीं देखा!

देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचने का दावा खोखला, मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ढोंढन गांव में आजादी के 70 साल बाद भी अंधकार

देश भर में बिजली की जगमग का ऐलान, ढोंढन गांव के लोगों ने बल्ब नहीं देखा!
प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही ऐलान कर दिया कि पूरे देश के गांव बिजली से जगमग हैं लेकिन मध्यप्रदेश में छतरपुर ज़िले में ढोंढन गांव के तकरीबन 1500 लोगों ने अब तक बल्ब नहीं देखा.

70 साल के भगवान दास अपनी पोती की शादी में कूलर देने वाले हैं, लेकिन खुद के घर में पंखा तक नहीं, क्योंकि देश को आज़ाद हुए दशकों बीत गए इन्हें बिजली के बल्ब की रोशनी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि हमारी ज़िंदगी निकल गई, लाइट नहीं आई, टीवी कभी नहीं देखा. जब हमने पूछा कि फिर घर में कूलर क्यों रखा है तो उन्होंने बताया कि ये दहेज के लाने लाए हैं.

बिजली के बगैर गांव के तकरीबन 40 लड़कों की अपनी कहानी है, किसी की शादी नहीं हुई. ये कहते हैं कि दूसरे गांव के लोग अब ढोंढन में अपनी बिटिया ब्याहने से कतराते हैं. 35 साल के भगीरथ यादव शिकायती लहज़े में कहते हैं ना लाइट है, ना रोड है जिसके कारण लड़की वाले भी सोचते हैं कि इस गांव में कैसे बिटिया डालें. पानी 2 किलोमीटर दूर से लाते हैं. हमारी शादी नहीं हुई कोई सुविधा नहीं है यहां ...  सुखवानी, मनवानी में लाइट है ये ढोंढन भर में लाइट क्यों नहीं है.

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मुन्ना यादव सरकार से नाराज़ हैं. वे कहते हैं कि रात भर गमछा हिलाते हैं, लाइट हो जाए तो हमारे बाल बच्चे भी सुख में सोएं. यहां कोई सुविधा नहीं, लाइट नहीं, उजियारे की बिटिया कोई यहां क्यों पटकेगा. सारी सुविधाओं से वंचित हैं हम. गांव में बिजली पहुंचे ना पहुंचे कमल का निशान पहुंच गया है. रोशनी के लिए कुछ सोलर लाइट या फिर तेल की ढिबरी. 50 साल की राजीबाई जब दूसरों गांवों से तुलना करती हैं तो गुस्सा जेहन में आ ही जाता है. हर गांव में हर चीज है, यहां कुछ नहीं हैं ढोंढन में ... कोई साधन है ही नहीं.

बुंदेलखंड के छतरपुर से होशंगाबाद संभाग के आदिवासी बहुल हरदा का फासला 500 किलोमीटर से ज्यादा है लेकिन हरदा के खारी गांव में भी हालात ढोंढन के जैसे ही हैं. हरदा जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर की दूरी पहाड़ी पर बसा है खारी. 30-40 परिवार के लगभग 150 लोग रहते हैं. गांव जाने के लिए ना सड़क है, ना रोशनी के लिए बिजली. रामकली कहती हैं हमने नहीं देखी बिजली, गांव में बिजली आना चाहिए.

शहर में आप ब्रांडेड आटा खरीद लेते हैं, या गेंहू पिसवा लेते हैं. यहां घर में चक्की है उसमें गेंहू पीसकर आटा निकलता है, शौक से नहीं मजबूरी में. गांव में स्कूल तो है, लेकिन सरकार की स्टार्ट अप योजना, स्मार्ट क्लास के यहां कोई मायने नहीं क्योंकि बच्चों ने बिजली देखी ही नहीं. छठी में पढ़ने वाले अनिल काजले कहते हैं चिमनी जलाकर पढ़ाई करते हैं, टीवी वगैरह नहीं है, जानकारी नहीं मिल पाती है.

हरदा जिला मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह का गृह जिला है और मंत्री जी के छोटे भाई संजय शाह इस विधानसभा से विधायक हैं. फिर भी यहां 65 साल के सोमा ने बचपन से अभी तक बिजली नहीं देखी. ग्राम पंचायत आम्बा में आने वाले खारी को बिजली से रोशन करने के लिए कोशिशें कई बार स्थानीय स्तर से हुईं लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. आम्बा के सरपंच फग्गू पांसे कहते हैं हमने प्रस्ताव भेजा है और अधिकारियों को शिकायत भी की है पर अभी तक बिजली नहीं आ पाई है. इस ग्राम में बिजली आनी चाहिए. वहीं ग्राम पंचायत आम्बा के सचिव ज्ञान सिंह कहते हैं खारी ऊंचाई पर बसा हुआ है ग्राम से तीन किलोमीटर की दूरी तक तो बिजली है शिकायत व पंचायत से प्रस्ताव भेजने के बाद भी  इस ग्राम में बिजली नही पहुंच पाई सिर्फ ग्रामीणों को आश्वासन ही मिलता रहा है.

VIDEO : हर गांव तक बिजली पहुंचने का दावा

सरकारी वेबसाइट बताती है मध्यप्रदेश के 51929 गांवों में से 30 नवंबर तक 2017 तक 34 गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी, 6 महीने बाद 2 की हालत हमने दिखा दी. 1000 दिनों के भीतर 1 मई, 2018 तक 18,452 गांवों को बिजली देने का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखा था. योजना पूरी करने सबसे पहले राजीव गांधी ग्राम विद्युतीकरण का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना रखा गया. ऐलान हो गया हर गांव में बिजली पहुंच गई. दो गांव की हकीकत हमने आपको दिखा दी.

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