जगदलपुर के युवक का दावा, पुलिस ने उसे 250 से ज्यादा मामलों में गवाह बनाया है
भोपाल:
छत्तीसगढ़ में जगदलपुर जिला कोर्ट के कंपाउंड में 25 साल का एक लड़का अक्सर आपको घूमता मिल जाएगा, जिसे कोर्ट में वकील से लेकर बाबू तक और चपरासी से लेकर गार्ड तक सभी पहचानते हैं. महारानी वार्ड में रहने वाला ये युवक न तो कोर्ट में नौकरी करता हैं, न तो अपराधी है, बल्कि 250 से अधिक मामलों में गवाह है. हालांकि पुलिस का कहना है कि उसे सिर्फ 66 मामलों में गवाह बनाया गया है. राजधानी रायपुर से 285 किलोमीटर दूर जगदलपुर में रहने वाले इस युवक का दावा है कि पुलिस ने उसे 250 से ज्यादा मामलों में गवाह बनाया है, जिसमें नक्सलियों की गिरफ्तारी से लेकर हत्या और लूटपाट के केस तक शामिल हैं. उसका कहना है कि 2013 में जब मैं एक चैनल में काम करता था तो एक दिन काम से थाने गया था, वहां इंस्पेक्टर ने एक मामले में मुझसे गवाही के लिए कहा. मैं तैयार हो गया लेकिन उसके बाद ये सिलसिला ही शुरू हो गया. मैं बेरोजगार हूं, रोज-रोज गवाही के लिए आने से मेरे पूरे परिवार को तकलीफ होती है. युवक का ये भी दावा है कि उसे फोन पर, कोर्ट परिसर के बाहर भी अंजाम भुगतने की धमकी मिल चुकी है. यहां तक की लगातार गवाही देने के लिए उसे कोर्ट ने भी धमकाया है.
यह भी पढ़ें : सुकमा में हथियारों के जखीरे के साथ 12 नक्सली गिरफ्तार
आम बोलचाल में ऐसे गवाहों को पॉकेट गवाह भी कहा जाता है. कानूनन भी किसी गवाह के एक से अधिक मामलों में गवाह बनने पर पाबंदी नहीं है. लेकिन जानकार मानते हैं कि कई बार ऐसे गवाहों से पुलिस अपना मतलब साधती है. जगदलपुर कोर्ट में वकालत करने वाले संकल्प दुबे का कहना है, 'पॉकेट गवाह कानून शब्दावली का हिस्सा नहीं है. ऐसे गवाहों को तथ्यों की जानकारी नहीं होती है. पुलिस उन्हें सिर्फ इसलिए गवाह बनाती है, ताकी उनका काम आसान हो जाए.'
VIDEO : छत्तीसगढ़ के इस स्कूल में मिड-डे मील बनाने को मजबूर बच्चे
वहीं पुलिस का कहना है कि युवक को 66 मामलों में गवाह बनाया गया है, सिर्फ एक मामला नक्सलियों से जुड़ा है, 80 फीसदी मामले नॉरकोटिक्स से जुड़े हुए हैं. गवाही भी वो अपनी मर्जी से देता है, दबाव में नहीं. जगदलपुर के एसपी आरिख शेख ने कहा, सीआरपीसी में एक से ज्यादा मामलों में गवाही पर कोई पाबंदी नहीं है. वो पुलिस के लिए काम करता है, लेकिन ज्यादातर नॉरकोटिक्स से जुड़े मामलों में गवाह है. मैं देखता हूं, हम क्या कर सकते हैं. मैंने स्थानीय पुलिस से भी उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है.
यह भी पढ़ें : सुकमा में हथियारों के जखीरे के साथ 12 नक्सली गिरफ्तार
आम बोलचाल में ऐसे गवाहों को पॉकेट गवाह भी कहा जाता है. कानूनन भी किसी गवाह के एक से अधिक मामलों में गवाह बनने पर पाबंदी नहीं है. लेकिन जानकार मानते हैं कि कई बार ऐसे गवाहों से पुलिस अपना मतलब साधती है. जगदलपुर कोर्ट में वकालत करने वाले संकल्प दुबे का कहना है, 'पॉकेट गवाह कानून शब्दावली का हिस्सा नहीं है. ऐसे गवाहों को तथ्यों की जानकारी नहीं होती है. पुलिस उन्हें सिर्फ इसलिए गवाह बनाती है, ताकी उनका काम आसान हो जाए.'
VIDEO : छत्तीसगढ़ के इस स्कूल में मिड-डे मील बनाने को मजबूर बच्चे
वहीं पुलिस का कहना है कि युवक को 66 मामलों में गवाह बनाया गया है, सिर्फ एक मामला नक्सलियों से जुड़ा है, 80 फीसदी मामले नॉरकोटिक्स से जुड़े हुए हैं. गवाही भी वो अपनी मर्जी से देता है, दबाव में नहीं. जगदलपुर के एसपी आरिख शेख ने कहा, सीआरपीसी में एक से ज्यादा मामलों में गवाही पर कोई पाबंदी नहीं है. वो पुलिस के लिए काम करता है, लेकिन ज्यादातर नॉरकोटिक्स से जुड़े मामलों में गवाह है. मैं देखता हूं, हम क्या कर सकते हैं. मैंने स्थानीय पुलिस से भी उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं