मुंबई:
शुक्रवार को मुंबई के एलफिंस्टन ब्रिज पर हुए हादसे के बाद महानगर के अलग-अलग स्टेशनों पर चौड़े और नए पुल बनाने की मांग हो रही है. लेकिन इसके विपरीत मुंबई के सैंडहर्स्ट रोड रेलवे स्टेशन के पास लगभग दो साल पहले हैनकॉक ब्रिज नामक एक फुट ओवर ब्रिज के तोड़े जाने के बाद से अब तक किसी नए पुल का निर्माण नहीं हुआ है. स्थानीय लोगों को पूर्व से पश्चिम जाने के लिए अब पटरियों का इस्तेमाल करना पड़ता है. लगभग दो साल पहले हैनकॉक पुल हुआ करता था, जिसके कमजोर होने के कारण उसे तोड़ दिया गया. उस वक्त स्थानीय लोगों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया था, जिसके बाद रेलवे विभाग ने जल्द से जल्द नए पुल बनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन दो साल बाद भी कोई पुल नहीं बना है.
यह भी पढ़ें : सालों से ब्रिज बनाने की उठ रही थी मांग, पर रेलवे ने सिर्फ बदला 'एलफिंस्टन' का नाम
लोगों को अब 5 मिनट का सफर 45 मिनट में पूरा करना पड़ता है. वहां रहने वाले समीर बामने का कहना है की जितने लोगों की मौत एलफिंस्टन ब्रिज पर भगदड़ में हुई, उससे ज्यादा लोगों ने अपनी जान यहां पर पटरी पार करते हुए गंवाई है.
कोर्ट के कारण रुका है निर्माण
दरअसल रेल पटरी पर पुल बनाने का काम रेल विभाग का है. लेकिन रेल विभाग ने पुल के निर्माण की जिम्मेदारी बीएमसी को सौंपी थी. उसने इसके निर्माण का जिम्मा एक प्रतिबंधित कॉन्ट्रेक्टर को दिया था. पुल निर्माण के कॉन्ट्रेक्ट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और इसकी अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को है.
'रेल विभाग नहीं कर रहा है सहयोग'
निर्माण में लगातार हो रही देरी के विरोध में आरटीआई कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने बॉम्बे हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इनका आरोप है कि नए पुल के निर्माण में रेल विभाग खलल डाल रहा है. शेनॉय ने यह भी आरोप लगाया है कि रेल विभाग के पास पुल के कमजोर हो जाने के कोई भी सबूत मौजूद नहीं है.
VIDEO : मुंबई के सभी रेल पुलों की समीक्षा के आदेश
उन्होंने यह खुलासा एक आरटीआई के जरिये किया. इन सब के बीच लोग अब भी अपनी जान जोखिम में डालकर पटरी पार करने के लिए मजबूर हैं.
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लोगों को अब 5 मिनट का सफर 45 मिनट में पूरा करना पड़ता है. वहां रहने वाले समीर बामने का कहना है की जितने लोगों की मौत एलफिंस्टन ब्रिज पर भगदड़ में हुई, उससे ज्यादा लोगों ने अपनी जान यहां पर पटरी पार करते हुए गंवाई है.
कोर्ट के कारण रुका है निर्माण
दरअसल रेल पटरी पर पुल बनाने का काम रेल विभाग का है. लेकिन रेल विभाग ने पुल के निर्माण की जिम्मेदारी बीएमसी को सौंपी थी. उसने इसके निर्माण का जिम्मा एक प्रतिबंधित कॉन्ट्रेक्टर को दिया था. पुल निर्माण के कॉन्ट्रेक्ट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और इसकी अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को है.
'रेल विभाग नहीं कर रहा है सहयोग'
निर्माण में लगातार हो रही देरी के विरोध में आरटीआई कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने बॉम्बे हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इनका आरोप है कि नए पुल के निर्माण में रेल विभाग खलल डाल रहा है. शेनॉय ने यह भी आरोप लगाया है कि रेल विभाग के पास पुल के कमजोर हो जाने के कोई भी सबूत मौजूद नहीं है.
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उन्होंने यह खुलासा एक आरटीआई के जरिये किया. इन सब के बीच लोग अब भी अपनी जान जोखिम में डालकर पटरी पार करने के लिए मजबूर हैं.
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