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दादर कबूतरखाना विवाद: आस्था बनाम सेहत की लड़ाई सड़क से अदालत तक छाई, जानें कब-क्या हुआ

दशकों से अपनी अलग पहचान और धार्मिक आस्था का केंद्र रहे मुंबई के दादर स्थित कबूतरखाना को लेकर विवाद की शुरुआत तब हुई, जब बीएमसी ने लोगों के स्वास्थ्य और ट्रैफिक का हवाला देकर इसे बंद कर दिया.

दादर कबूतरखाना विवाद: आस्था बनाम सेहत की लड़ाई सड़क से अदालत तक छाई, जानें कब-क्या हुआ
  • मुंबई के दादर स्थित कबूतरखाने पर बीएमसी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर प्रतिबंध लगाया है.
  • जैन समाज और कई नागरिकों ने कबूतरों को दाना खिलाने पर रोक का विरोध करते हुए धार्मिक परंपरा के खिलाफ बताया.
  • हाईकोर्ट ने दाना डालने की छूट पर लोगों की राय लेने और सेहत पर प्रभाव के आकलन के लिए समिति बनाने को कहा है.
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मुंबई में कबूतरखानों पर रोक का विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि कबूतरखाने में दाना डालने पर प्रतिबंध फिलहाल नहीं हटेगा. कोर्ट ने दाना डालने की छूट पर लोगों की राय लेने और इंसानों पर प्रभाव के आकलन के लिए सरकारी कमिटी बनाने को कहा है. कबूतरों के मसले पर प्रशासन और धार्मिक समुदाय में खींचतान के बीच आइए बताते हैं कि शुरू से लेकर अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ. 

ऐसे शुरु हुआ विवाद

मुंबई के दादर पश्चिम स्थित कबूतरखाना दशकों से अपनी अलग पहचान और धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है. रोज़ाना सैकड़ों लोग यहां पर कबूतरों को दाना खिलाने आते थे. कुछ महीने पहले बीएमसी ने स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शुरू की. अधिकारियों का कहना था कि कबूतरों की बीट से बीमारियां फैलने का खतरा है. कबूतर ट्रैफिक को भी बाधित करते हैं. इसी के चलते बीएमसी ने कबूतरखाने को तिरपाल से ढक दिया और दाना खिलाने पर रोक लगा दी.

आस्था बनाम प्रशासन

इस कदम का जैन समाज और कई स्थानीय नागरिकों ने जोरदार विरोध किया. उनका कहना था कि कबूतरों को दाना खिलाना उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है. उन्होंने बीएमसी पर परंपरा तोड़ने का आरोप लगाया. कई अन्य लोगों ने भी प्रदर्शन करके विरोध जताया. वहीं, बीएमसी ने लोगों की सेहत का हवाला देकर प्रतिबंध को जायज बताया.

मामला हाईकोर्ट में

विवाद गरमाने पर मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा. अदालत ने विशेषज्ञ समिति बनाने का आदेश दिया ताकि स्वास्थ्य, स्वच्छता और यातायात पर इसके प्रभाव का अध्ययन हो सके. साथ ही कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया कि फिलहाल कबूतरखाना जनता के लिए बंद रखा जाए.

प्रदर्शन और तनाव

6 अगस्त 2025 को कुछ लोगों ने कबूतरखाना बैन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और तिरपाल हटाने की कोशिश की. इस दौरान मौके पर पुलिस मौजूद थी. बीएमसी ने कबूतरखाने को फिर से ढक दिया. इस बीच राजनीतिक दलों के नेताओं की भी प्रतिक्रियाएं आईं.

SC से नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि कहा कि यदि आदेश में संशोधन चाहते हैं तो हाईकोर्ट में जाएं. कोर्ट का कहना था कि हाईकोर्ट पहले ही मामले की सुनवाई कर रहा है, ऐसे में अलग सुनवाई उचित नहीं है. 

जैन मुनि की धमकी

जैन मुनि नीलेशचंद्र ने अनिश्चितकालीन अनशन की धमकी दे दी. उन्होंने कहा कि जैन समुदाय शांतिप्रिय है और संविधान तथा न्यायपालिका का सम्मान करता है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला किसी भी हालत में सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर जरूरी हुआ तो धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए समुदाय हथियार भी उठा सकता हैं. 

हाईकोर्ट का सख्त रुख 

बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले पर बुधवार को सुनवाई के दौरान बीएमसी ने कबूतरों को दाना डालने के लिए दो घंटे की छूट देने का इरादा जताया. इस पर कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि जब लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए निर्णय लिया गया है तो इसकी पवित्रता बनाए रखनी होगी. कोर्ट ने बीएमसी से लोगों की राय लेने और उसके आधार पर फैसला करने को कहा. कोर्ट ने कबूतरों को दाना डालने और इंसानों पर इसके प्रभाव के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए सरकार की समिति को भी हरी झंडी दे दी है. 

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