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"मुंबई में घटी मराठियों की आबादी, उनके लिए आरक्षित किए जाएं 50% घर" : चुनाव से पहले उद्धव गुट शिवसेना ने रखी मांग

चुनावों से ठीक पहले उद्धव गुट शिवसेना को यह चिंता होने लगी है कि मुंबई में मराठियों की आबादी कम होती जा रही है. उद्धव गुट द्वारा मांग की गई है कि मुंबई में नए आवास परियोजनाओं में मराठियों के लिए 50 प्रतिशत घर आरक्षित किए जाएं.

"मुंबई में घटी मराठियों की आबादी, उनके लिए आरक्षित किए जाएं 50% घर" : चुनाव से पहले उद्धव गुट शिवसेना ने रखी मांग
मुंबई:

लोकसभा चुनावों में मिले अच्छे नतीजों से प्रोत्साहिर उद्धव गुट शिवसेना ने विधा परिषद और आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मुंबई में मराठियों की घटती आबादी का मुद्दा उठाया है. ऐसे में उनके पलायन को रोकने के लिए उद्धव गुट शिवसेना ने मुंबई में बनने वाली प्रत्येक नई इमारत में 50 प्रतिशत घर मराठियों के लिए आरक्षित करने की मांग रखी है. 

चुनावों से ठीक पहले उद्धव गुट की मांग

चुनावों से ठीक पहले उद्धव गुट शिवसेना को यह चिंता होने लगी है कि मुंबई में मराठियों की आबादी कम होती जा रही है. उद्धव गुट द्वारा मांग की गई है कि मुंबई में नए आवास परियोजनाओं में मराठियों के लिए 50 प्रतिशत घर आरक्षित किए जाएं. मुंबई स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना उद्धव गुट और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार अनिल परब ने राज्य विधानमंडल में एक निजी विधेयक पेश किया है. 

मराठियों को घरों में 50 प्रतिशत दिया जाए आरक्षण

इसमें मुंबई में बनने वाले नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में मराठी लोगों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की गई है. उद्धव गुट नेता अनिल परब ने विधेयक के माध्यम से एक कानून बनाने की मांग की है, जिसमें डेवलपर्स को मराठी लोगों के लिए घर आरक्षित करना अनिवार्य हो. ऐसा नहीं करने पर कानून में इसके लिए छह महीने की कैद या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया जाए.

मध्यम वर्गीय लोगों के मुताबिन भी बनाए जाएं मकान

इसके अलावा विधेयक में सुझाव रखा गया है कि दो से पांच हजार वर्ग फुट के भव्य अपार्टमेंट के निर्माण के बजाय, डेवलपर्स को मध्यम आय वाले मराठी परिवारों के लिए उनकी सामर्थ्य के अनुरूप 500 से 700 वर्ग मीटर के फ्लैट बनाने पर विचार करना चाहिए. उद्धव गुट नेता ने मीडिया के सामने दावा किया कि मुंबई में मराठी भाषियों की आबादी घट रही है और पलायन रोकने के लिए ये कदम उठाना ज़रूरी है. इसमें ज़ोर दिया गया है कि धर्म या भोजन संबंधी प्राथमिकताओं के आधार पर कोई भी भेदभाव असंवैधानिक है.

उद्धव गुट के नेता ने कही ये बात

इस विधेयक पर बात करते हुए उद्धव गुट के नेता अनिल परब ने कहा, "हमारा उद्देश्य ये है कि मराठी लोगों को भोजन की प्राथमिकता या धर्म के नाम पर घर देने से इनकार करने की कई घटनाएं हुई हैं और उन्हें बंद किया जाना चाहिए. ऐसा देखा गया है कि डेवलपर्स द्वारा जानबूझकर मराठी लोगों को घर देने से इनकार किया जा रहा है. विलेपार्ले में एक बिल्डर द्वारा मराठी लोगों को घर देने से इनकार करने की भी एक घटना हुई थी क्योंकि वो मांस खा रहे थे. मीडिया द्वारा इस मुद्दे को उजागर किए जाने के बाद ही डेवलपर ने माफी मांगी थी. मुंबई में मराठी लोगों का प्रतिशत दिन-पर-दिन कम होता जा रहा है. 105 शहीदों के बलिदान के बाद महाराष्ट्र को मुंबई मिली लेकिन अब मराठी लोगों को मुंबई में घर नहीं दिया जा रहा है. इसलिए राज्य में बनने वाली नई इमारतों में 50 फीसदी घर मराठी लोगों के लिए आरक्षित होने चाहिए. इस संबंध में एक कानून पारित करने की तत्काल आवश्यकता है". 

शिंदे गुट के नेता उठाए सवाल

शिंदे गुट को शिवसेना के उद्धव गुट की इस मांग से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उन्हें इसके टाइमिंग से आपत्ति जरूर है. इस पर शिंदे गुट शिवसेना के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा, "उनकी मांग अच्छी है और हम मांग का विरोध नहीं कर रहे हैं. यह शिवसेना का प्रमुख सपना था लेकिन जिन लोगों ने नगर पालिका में सत्ता संभाली उन्हें मराठी लोगों की जगह किसी और को दे दी. ऐसे में राजनीति के लिए मराठी लोगों का इस्तेमाल न करें. मराठी लोगों की याद उन्हें तब आती है जब चुनाव आते हैं. मराठी लोगों ने हमें वोट दिया है."

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