महाराष्ट्र सरकार ने कोरोनावायरस (Maharashtra Coronavirus Report) के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुंबई के 25 हजार प्राइवेट डॉक्टरों को COVID-19 रोगियों का इलाज करने वाले अस्पतालों को तुरंत रिपोर्ट करने को कहा है. सरकार के डायरेक्टोरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (DMER) ने नोटिस जारी करते हुए बताया है कि सभी डॉक्टरों को प्रोटेक्टिव गियर्स दिए जाएंगे और उन्हें इमरजेंसी सेवाओं के लिए मेहनताना भी दिया जाएगा. 55 साल से ज्यादा उम्र के डॉक्टरों को इस आदेश में राहत दी गई है.
कोरोनावायरस की वजह से मुंबई के ज्यादातर प्राइवेट क्लिनिक बंद हैं. ऐसे में राज्य सरकार चाहती है कि सभी डॉक्टर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आगे आएं. COVID-19 रोगियों के इलाज और वायरस की रोकथाम के लिए कम से कम 15 दिनों के लिए आपकी विशेष सेवाओं की जरूरत होगी, इसलिए आप अपनी इच्छा और पसंद की जगह से निदेशालय को अवगत कराएं. ड्यूटी में गैर-हाजिर होने को MCO कोड का उल्लंघन माना जाएगा और एपिडेमिक डिसीजेज़ एक्ट 1897 व अन्य एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.
मुंबई के सर्जन डॉक्टर राजेश बिजलानी को यह नोटिस मिला है. NDTV के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं समझ सकता हूं कि इस महामारी से निपटने के लिए सरकार को डॉक्टरों की जरूरत है और हम डॉक्टर्स मुसीबत के समय लोगों की मदद के लिए हमेशा उनके साथ खड़े हैं. इसको लेकर सोचने वाली एक बात यह भी है कि आम मरीज, जो लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं, अगर हमें इस काम में लगाया जाता है तो इसका असर उन मरीजों के इलाज पर भी पड़ेगा.'
मुंबई निवासी वरिष्ठ डॉक्टर संजय नगराल ने NDTV से कहा, 'सरकार के पास कानूनन अधिकार हैं कि वह निजी डॉक्टरों को कोरोनावायरस के मरीजों का इलाज करने के लिए सेवाएं देने को कह सकती है. यह एक नेशनल इमरजेंसी है. ये आदेश अच्छे काम के लिए है और कई देश ऐसा कर रहे हैं.' डॉक्टर ओम श्रीवास्तव कहते हैं कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पहले ट्रेनिंग की जरूरत होगी और राज्य सरकार को इसके बारे में भी ध्यान देना चाहिए. बताते चलें कि महाराष्ट्र में कोरोना के 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से करीब 10 हजार केस सिर्फ मुंबई में ही हैं.
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