फाइल फोटो
पुणे:
पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फेरेरा की जमानत याचिका खारिज कर दी. कथित माओवादियों से संबधों की वजह से इन्हें गिरफ्तार किया गया था. पुणे पुलिस ने इन तीनों को कवि पी वरवरा राव और गौतम नवलाखा के साथ 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद सम्मेलन से कथित संबंध के मामले में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इस सम्मेलन के बाद ही कथित तौर पर भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़की थी. पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी से संबंध हैं.
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जिला और सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) केडी वडाणे ने भारद्वाज, गोंसाल्विस और फेरेरा की जमानत याचिका खारिज कर दी. अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ ‘‘प्रमाणित करने वाल साक्ष्य'' उनकी माओवादी गतिविधियों में संलिप्तता की पुष्टि करते हैं, जैसे कि काडर को संगठित करना, प्रतिष्ठित संस्थानों से छात्रों की भर्ती करना और उन्हें "पेशेवर क्रांतिकारी" बनने, धन जुटाने और हथियार खरीदने के लिए सुदूर इलाकों में भेजना.
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