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पुणे फिर साबित हुआ अजित पवार का अभेद्य किला, नगर परिषद चुनाव में शानदार जीत

अजित पावर ने पुणे नगर परिषद के चुनाव अकेले लड़कर एक बड़ा जोखिम उठाया था. लेकिन नतीजों ने ये साबित कर दिया कि अजित पावर का जलवा अब भी कायम है. 17 में से 10 सीटों पर अकेले एनसीपी (अजित पवार) ने कब्जा जमाया है.

पुणे फिर साबित हुआ अजित पवार का अभेद्य किला, नगर परिषद चुनाव में शानदार जीत
  • पुणे जिले की 17 नगर परिषदों में से एनसीपी ने दस सीटें जीतकर अजित पवार की मजबूत पकड़ साबित की है
  • महायुति गठबंधन में शिंदे सेना को चार और भाजपा को तीन नगर परिषद सीटें मिली हैं
  • अजित पवार की राजनीतिक शक्ति लोकसभा चुनावों के बाद उठे सवालों के बीच इस चुनाव में और बढ़ी है
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मुंबई:

महाराष्ट्र नगर परिषद चुनावों के रिजल्‍ट पुणे जिले की राजनीति में दिलचस्प मोड़ ले आए हैं. जिले की 17 नगर परिषदों के नतीजों ने आज साफ कर दिया है कि पुणे आज भी अजित पवार का अभेद्य किला है? इस चुनाव में 17 में से 10 सीटों पर अकेले एनसीपी (अजित पवार) ने कब्जा जमाया है. वहीं, महायुति गठबंधन के अन्य साथियों की बात करें, तो शिंदे सेना के हिस्से 4 और भाजपा के खाते में 3 सीटें आई हैं.

पवार की बार्गेनिंग पावर बढ़ेगी

लोकसभा चुनावों के बाद विपक्ष द्वारा अजित पवार की पकड़ पर उठाए जा रहे सवालों के बाद ये नतीजे अजित पवार को बल देंगे. महायुति में अब अजित पवार की पावर और बढ़ जाएगी. 17 में से 10 नगर अध्यक्ष चुनकर आना यह साबित करता है कि पुणे ग्रामीण और नगर परिषद क्षेत्रों में अजित पवार का जलवा आज भी बरकरार है. चाचा शरद पवार से अलग होने का कोई फर्क इन चुनावों में देखने को नहीं मिला.   

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जहां बीजेपी ने शानदार और शिंदे सेना ने राज्य स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं पुणे जिले में अजित पवार ने अपनी 'बड़े भाई' वाली भूमिका को फिर से सुरक्षित कर लिया है. पुणे में होने वाले नगर निगम चुनाव में महायुति से अलग होकर लड़ने के फैसले को आज के नतीजों ने दिया बल?

अजित पवार के राजनीतिक भविष्य के लिए ऑक्सीजन

अजित पवार को नगर परिषद चुनाव में पुणे से महायुति से अलग हटकर चुनाव लड़ने का फैसला जोखिम भरा लग रहा था, लेकिन इन नतीजों ने इसे सही ठहराया है. इससे आने वाले महानगरपालिका पीएमसी/पीसीएमसी चुनावों के लिए अजित पवार की बार्गेनिंग पावर गठबंधन में काफी बढ़ जाएगी. इस जीत ने पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी है. ये जीत न केवल एनसीपी के लिए, बल्कि व्यक्तिगत रूप से अजित पवार के राजनीतिक भविष्य के लिए एक ऑक्सीजन की तरह है.

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