विज्ञापन
This Article is From May 07, 2019

संत कबीर नगर : मगहर से ग्राउंड रिपोर्ट, कैसे देखते हैं कबीरपंथी इस लोकसभा चुनाव को

संत कबीर नगर में हिन्दू-मुसलमान कोई मुद्दा नहीं, मगहर का विकास और स्थानीय बनाम बाहरी नेता के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जा रहा

संत कबीर नगर : मगहर से ग्राउंड रिपोर्ट, कैसे देखते हैं कबीरपंथी इस लोकसभा चुनाव को
संत कबीर नगर लोकसभा क्षेत्र के मगहर में स्थित संत कबीर का समाधि स्थल.
मगहर (संत कबीर नगर):

दुनिया भर के ढाई करोड़ कबीरपंथियों के लिए मगहर तीर्थ स्थल के तौर पर देखा जाता है. कबीर की इस नगरी यानि संत कबीर नगर में हिन्दू-मुसलमान कोई मुद्दा नहीं है बल्कि मगहर का विकास और स्थानीय बनाम बाहरी नेता के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जा रहा है. संत कबीर नगर के कबीर पंथियों के मन में टीस है कि नेताओं ने वादे कई किए लेकिन विकास कुछ नहीं हुआ.

संत कबीर नगर जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी दूर संत कबीर के परिनिर्माण स्थल मगहर में शाम का वक्त...
साईं इतना दीजिए जितना कुटुम समाए...की आवाज कबीर की समाधि के पास से उठने लगी थी. मैं मगहर में कबीर के समाधि भवन के अंदर दाखिल हुआ तो कबीर पंथियों की एक टोली इकट्ठी थी. कबीर के दोहे गाने वालों में कबीर पंथी 56 साल के रुस्तम थे, तो तीस साल के पंकज गुप्ता भी शामिल थे. ये कबीर की शिक्षा ही है जहां नफरत की सियासत के बावजूद आज तक कभी दंगे नहीं हुए. ढाई करोड़ कबीर पंथियों के लिए मगहर में कबीर दास की यह समाधि और दूसरी तरफ उनकी मजार किसी ताजमहल से कम नहीं है. मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री ने मगहर पर चार सौ करोड़ खर्च करने का वादा किया. पुरानी सरकारों के भी इस तरह के कई बोर्ड यहां लगे मिले लेकिन उतना काम यहां नहीं दिख रहा है.

vtjl6nk4

कबीर के दोहे गुनगुनाने वाले कबीरपंथी रुस्तम बताते हैं कि दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां तमाम मजाहिब के लोग आते हों लेकिन सियासत के लोगों ने हमेशा कबीर को इस्तेमाल किया. पांच सौ साल पहले दी गई कबीर की शिक्षा पर यहां के लोग अमल करते हैं. आजादी के बाद आज तक कभी यहां दंगा नहीं हुआ जबकि यहां मुस्लिमों की आबादी भी करीब 26 फीसदी है. उन्हीं के बगल बैठे करीब चालीस साल के अंजुमन भी कहते हैं कि नेता कबीर की बात तो बहुत करते हैं लेकिन उनकी शिक्षाएं वे जीवन में नहीं उतार पाए. जिंदगी भर संत कबीर बनारस में रहे लेकिन शरीर त्याग करने के लिए वे मगहर आ गए थे. मगहर के बारे में अंधविश्वास था कि यहां मरने वाला शख्स अगले जन्म में गधा बनता है. इसी अंधविश्वास को तोड़ने के लिए संत कबीर ने मगहर में शरीर त्यागना उचित समझा. शाम को छह बज चुके थे मगहर में कबीर की समाधि के अंदर उनकी शिक्षाओं का पाठ हो रहा था....तो उनकी समाधि के बाहर एक टीवी चैनल के बुलावे पर आए नेता वोट लेने के लिए तू..तू-मैं...मैं....कर रहे थे.

ppums66s

संत कबीर नगर की सियासी तस्वीर
संत कबीर नगर का सियासी पारा चढ़ा है लेकिन यहां नफरत की राजनीति नहीं है. बीजेपी की ओर से प्रवीण निषाद, गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर कुशल तिवारी और कांग्रेस ने भालचंद्र यादव को मैदान में उतारा है. ढाई आखर प्रेम के इस शहर में जूता कांड से चर्चा में आए शरद दीक्षित का बीजेपी ने टिकट काट दिया. इसी के चलते बीजेपी के प्रवीण निषाद भी यहां हिन्दू-मुसलमान ध्रुवीकरण करने के बजाए मगहर के विकास को मुद्दा बता रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी प्रवीण निषाद कहते हैं कि यह कबीर की नगरी है, यहां प्रेम का पाठ पढ़ाया जाता है. मैं जाति और धर्म के नाम पर नहीं बल्कि विकास के नाम पर वोट मांग रहा हूं. उधर मगहर से करीब तीस किमी दूर कांग्रेस के प्रत्याशी भालचंद्र यादव लोगों को समझा रहे हैं कि बीजेपी के प्रवीण निषाद और गठबंधन के कुशल तिवारी दोनों बाहरी प्रत्याशी है. संत कबीर नगर का स्थानीय नेता ही यहां का विकास करा पाएगा.

6fqsrrfs

VIDEO : पीएम मोदी ने संत कबीर की मजार पर चढ़ाई चादर

संत कबीर नगर के पंकज गुप्ता बताते हैं कि यहां त्रिकोणीय मुकाबला है. अगर भालचंद्र यादव ने सवर्ण का ज्यादा वोट काटा तो बीजेपी और अगर यादव और मुसलमान वोट ज्यादा कटे तो गठबंधन के उम्मीदवार कुशल तिवारी की सीट खतरे में पड़ सकती है. लेकिन गठबंधन और बीजेपी को दमदार चुनौती भालचंद्र यादव दे रहे हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com