वह 91 बरस की दुबली पतली महिला हैं, चेहरे पर शिक्षा और अनुभव का तेज है और पिछले कई दशक से बड़ी खामोशी से शिक्षा के प्रसार और समाज सेवा के कार्यों में लगी हैं. शुक्रवार को देश के सबसे 'ताकतवर' इंसान ने उन्हें श्रद्धा से प्रणाम किया और अखबारों की सुर्खियों में जगह दिला दी. यहां बात हो रही है अन्नपूर्णा शुक्ला की, जो वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उम्मीदवारी के चार प्रस्तावकों में से एक हैं. डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला को मदन मोहन मालवीय की दत्तक पुत्री माना जाता है और वह बीएचयू महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य हैं. वह मालवीय जी से आशीर्वाद लेकर इस प्रतिष्ठित पद को ग्रहण करने वाले लोगों की पीढ़ी की अंतिम कड़ी हैं. उन्होंने बीएचयू से ही मेडिकल की पढ़ाई की है और उन्हें महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक मील के पत्थर की तरह देखा जाता है.
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इस उम्र में भी सामाजिक कार्यों में अपना ज्यादातर समय व्यतीत करने वाली अन्नपूर्णा शुक्ला ने 15 साल के संघर्ष के बाद बीएचयू के महिला कालेज में गृह विज्ञान विभाग की शुरूआत कराई और इस विभाग की पहली प्रमुख भी उन्हें ही बनाया गया. उन्हें कश्मीर के एक स्नातकोत्तर संस्थान में गृह विज्ञान विभाग की शुरूआत का श्रेय भी जाता है. 1991 में काशी अनाथालय में वनिता पॉलिटेक्निक की स्थापना भी उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है. वह लहुराबीर स्थित इस संस्था की मानद निदेशिका भी हैं. प्रधानमंत्री द्वारा झुककर उनके चरण स्पर्श करने से अभिभूत डॉ. अन्नपूर्णा ने ममतामयी मां की तरह उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया. विभिन्न चैनलों के साथ भेंट के दौरान वह कहती हैं कि प्रधानमंत्री का प्रस्तावक होना उनके लिए गर्व की बात है.
प्रसिद्ध लेखक अमीश त्रिपाठी ने अपनी बुआ अन्नपूर्णा शुक्ला के प्रधानमंत्री मोदी का प्रस्तावक बनने पर ट्विटर के जरिए खुशी जाहिर की. शिवा ट्रायोलॉजी के जरिए अपनी कलम के तेवर दिखाने वाले अमीश त्रिपाठी ने उनकी सबसे बड़ी बुआ के पीएम मोदी की प्रस्तावक बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे पूरे परिवार के लिए गर्व की बात बताया. चालीस साल तक महिला महाविद्यालय में प्रोफेसर रहीं और महामना जी की गोदी में खेलीं अन्नपूर्णा शुक्ला को आज भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रस्तावक बनने पर प्रसिद्धि मिली हो, लेकिन इस बात में दो राय नहीं कि महिला शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में जानकर हर भारतवासी इस ‘मां' के सामने नतमस्तक है.
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