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This Article is From May 05, 2019

मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर'बहूरानी' बनाम 'जमाई' की जंग, पढ़ें- किसका पलड़ा है भारी

खजुराहो में मुख्य मुकाबला राजघराने से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस उम्मीदवार कविता सिंह और भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा के बीच है. 

मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर'बहूरानी' बनाम 'जमाई' की जंग, पढ़ें- किसका पलड़ा है भारी
खजुराहो में कांग्रेस उम्मीदवार कविता सिंह और भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा के बीच मुकाबला है. (प्रतिकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के खजुराहो संसदीय क्षेत्र में इस बार मुकाबला बहूरानी बनाम जमाई के मुद्दे पर आकर ठहर गया है. यहां की समस्याओं से दूर राजनीतिक दल मतदाताओं को भावनात्मक रूप से लुभाने की हर संभव कोशिश में लगे हैं. बुंदेलखंड का खजुराहो संसदीय क्षेत्र संभावनाओं से भरा है, मगर यहां की पहचान गरीबी, भुखमरी, सूखा, पलायन के कारण है। खजुराहो के विश्व प्रसिद्घ मंदिर, हीरा नगरी पन्ना और चूना का क्षेत्र कटनी. इतना कुछ होने के बाद भी इस क्षेत्र को वह हासिल नहीं हो सका है, जिसका यह हकदार है. हर चुनाव में यहां के लोगों को नई आस जागती है. उन्हें लगता है कि चुनाव में ऐसा राजनेता उनके क्षेत्र से चुना जाएगा, जो उनकी जरूरतें पूरी करेगा. ऐसा ही कुछ इस बार भी है. मुख्य मुकाबला राजघराने से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस उम्मीदवार कविता सिंह और भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा के बीच है. इस सीधी टक्कर को समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार वीर सिंह त्रिकोणीय बनाने की जुगत में लगे हैं.

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बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक संतोष गौतम का कहना है, "बुंदेलखंड के लगभग हर हिस्से में एक जैसी समस्या है. जहां के राजनेता थोड़े जागरूक हैं, उन्होंने अपने क्षेत्र की समस्याओं का तोड़ ढूंढ़ लिया, मगर जहां का नेतृत्व कमजोर हुआ वह इलाका अब भी समस्याग्रस्त है. बात खजुराहो की करें तो यहां से विद्यावती चतुर्वेदी, सत्यव्रत चतुर्वेदी और उमा भारती ने प्रतिनिधित्व किया तो इस क्षेत्र को बहुत कुछ मिला. फिर भी वह नहीं मिला, जो यहां की तस्वीर बदल देता उसके बाद जो प्रतिनिधि निर्वाचित हुए, वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए". इस संसदीय क्षेत्र में वर्ष 1977 के बाद 11 आम चुनाव हुए हैं. इनमें भाजपा को सात बार, भारतीय लोकदल को एक बार और कांग्रेस को तीन बार जीत मिली है. इस सीट का कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी, उनके पुत्र सत्यव्रत चतुर्वेदी, भाजपा से उमा भारती, नागेंद्र सिंह व रामकृष्ण कुसमारिया और भारतीय लोकदल से लक्ष्मीनारायण नायक सांसद चुने जा चुके हैं. यहां नए परिसीमन के बाद वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी.

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मौजूदा चुनाव में कांग्रेस की कविता सिंह जहां छतरपुर राजघराने की बहू हैं, वहीं पन्ना उनका मायका है. उनके पति विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा राजनगर से कांग्रेस विधायक हैं. कांग्रेस पूरी तरह कविता सिंह को स्थानीय बताकर वोट मांग रही है, तो भाजपा उम्मीदवार को बाहरी बता रही है. कविता सिंह भी यही कहती हैं कि यह मौका है जब स्थानीय प्रत्याशी को जिताओ और क्षेत्र के विकास को महत्व दो. वहीं, भाजपा के वी. डी. शर्मा मूलरूप से मुरैना के निवासी हैं. लेकिन उनकी पत्नी का ननिहाल छतरपुर में है. भाजपा इसी संबंध को जोड़कर शर्मा को छतरपुर का दामाद बता रही है. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने तो खुले मंच से कहा, "शर्मा बाहरी नहीं, बल्कि हमारे क्षेत्र के दामाद हैं. यह चुनाव शर्मा नहीं, मैं लड़ रही हूं. जिस तरह मैंने झांसी में काम कर वहां की तस्वीर बदली है, ठीक इसी तरह का काम शर्मा करेंगे. यहां के दामाद जो हैं".

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खजुराहो संसदीय क्षेत्र तीन जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बना है. इसमें छतरपुर के दो, पन्ना के तीन और कटनी के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। वर्ष 1976 में हुए परिसीमन में टीकमगढ़ और छतरपुर जिले की चार-चार विधानसभा सीटें आती थीं. खजुराहो संसदीय क्षेत्र में 17 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां पांचवें चरण में छह मई को मतदान होने वाला है. इस बार यहां 18 लाख 42 हजार मतदाता मतदान के पात्र हैं. भाजपा जहां अपने गढ़ को बचाने में लगी है, तो कांग्रेस इसे हर हाल में जीतना चाहती है. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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