सात सौ से ज्यादा एकाउंटों और पेजों को हटाकर फेसबुक ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया!

फेसबुक ने राजनीतिक विवाद को हवा दे दी, कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग का आरोप लगा रहीं

सात सौ से ज्यादा एकाउंटों और पेजों को हटाकर फेसबुक ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया!

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • 687 एकाउंटों पर पहचान छुपाकर कांग्रेस का प्रचार करने का आरोप
  • कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने वाले कंपनी 'सिल्वर टच' के 15 एकाउंट बंद
  • विशेषज्ञ ने कहा- अगर फेक न्यूज को टारगेट करना है तो सबको टारगेट करें
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनावों (Loksabha Elections) से ठीक पहले फेसबुक (Facebook) ने 700 से ज्यादा एकाउंटों और पेजों को अपनी साइट से हटाकर एक बड़े राजनीतिक विवाद हवा दे दी है. कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) एक-दूसरे पर सोशल मीडिया (Social Media) के दुरुपयोग का आरोप लगा रही हैं जबकि आईटी विशेषज्ञ मानते हैं कि फेसबुक ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है.

सोशल मीडिया पर यह एक नई पॉलिटिकल लड़ाई का आगाज़ है. फेसबुक (Facebook) ने कांग्रेस से जुड़े करीब 700 एकाउंट और पेज बंद कर दिए हैं. फेसबुक (Facebook) की साइबर सिक्युरिटी पॉलिसी के हेड नाथेनियल ग्लाइचर (Nathaniel Gleicher) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह कांग्रेस (Congress) की आईटी सेल से जुड़े 687 अनाधिकृत एकाउंट थे. इन पर पहचान छुपाकर कांग्रेस का प्रचार करने का आरोप है. इसमें 549 एकाउंट और 138 पेज चलाने पर करीब 27 लाख खर्च बताया जा रहा है. इनके 206,000 फॉलोअर थे.

वैसे फेसबुक (Facebook) ने कुछ और अकाउंट भी बंद किए हैं. इनमें आईटी कंपनी 'सिल्वर टच' से जुड़े 15 एकाउंट हैं. इन एकाउंटों को 26 लाख लोग फॉलो करते थे. इन एकाउंटों के जरिए कांग्रेस (Congress) के खिलाफ प्रचार करने का आरोप था.

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साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल मानते हैं कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग का दायरा काफी बड़ा है और सोशल मीडिया कंपनियों को काफी बड़े स्तर पर हस्तक्षेप करना होगा. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "फेसबुक (Facebook) की कार्रवाई सवालिया निशान खड़े करती है. अगर फेक न्यूज को टारगेट करना है तो वे सारे लोगों को टारगेट करें. आप चुनिंदा कुछ को टारगेट करते हैं. लेकिन और भी पॉलिटिकल पेज हैं...फेसबुक ने सांप के बिल में हाथ तो डाल दिया है लेकिन इसका असर क्या होगा ये आने वाला समय बताएगा?"

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जाहिर है सोशल मीडिया की राजनीतिक जंग में तमाम राजनीतिक दलों की ओर से प्रचार-दुष्प्रचार से लेकर अफवाह तक का खेल जारी है. अब ये बेहद ज़रूरी हो गया है कि सोशल मीडिया कंपनियां अपने मंच का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्ती से और बड़े स्तर पर कार्रवाई करें.