बिहार : नीतीश कुमार सभाओं में कह रहे, मुझे 13 साल के काम की मजदूरी दीजिए

लोकसभा चुनाव : जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अपने प्रत्याशियों के लिए अलग अंदाज में वोट मांग रहे

बिहार : नीतीश कुमार सभाओं में कह रहे, मुझे 13 साल के काम की मजदूरी दीजिए

बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) .

खास बातें

  • पीएम नरेंद्र मोदी की अधिक तारीफ नहीं करते नीतीश कुमार
  • लालू और तेजस्वी यादव पर उनका नाम लिए बगैर करते हैं हमला
  • अपनी उपलब्धियां गिनाकर मांगते हैं जनता से वोट
पटना:

'हम काम करते हैं और करते रहेंगे, लेकिन आपको देखना है, हम तेरह साल से आपकी सेवा कर रहे हैं. काम जो किया है उसकी मज़दूरी मांगने आए हैं और हमारे लिए मज़दूरी है, जो वोट होने वाला है, तीर का बटन दबा दीजिएगा. यही हमारे लिए मज़दूरी होगी. मजदूरी दीजिएगा या नहीं तो हाथ उठाके दिखाएं.' कुछ इस अंदाज में आजकल बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपने प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं.

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हर दिन तीन से चार सभाएं करते हैं. हर जगह या तो अपने पार्टी के प्रत्याशी या सहयोगी दलों के प्रत्याशियों के लिए अपने काम पर वोट मांगते हैं. शुक्रवार को बेलागंज में पार्टी के प्रत्याशी विजय मांझी, जो पूर्व सांसद भगवतियां देवी के पुत्र हैं, के समर्थन में नीतीश ने लोगों को याद दिलाया कि कैसे उन्होंने मांझी समाज के आइकॉन दशरथ मांझी के सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ी.

हालांकि गया सीट के प्रत्याशी जीतनराम मांझी का नाम लेकर नीतीश ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया. नीतीश (Nitish Kumar) को मालूम है कि मांझी समाज में जीतनराम को हटाने से नाराजगी है इसलिए वे कहते हैं कि अगर ठीक से रहते तो वे आज भी कुर्सी पर बने रहते.

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नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तारीफ के वाक्य बहुत अधिक नहीं होते. वे लेकिन इतना ज़रूर कहते हैं कि मोदी जी के समय में देश में तरक्की, प्रतिष्ठा और हर क्षेत्र में काम हुआ है. और फिर उन लोगों की भी, अपने साथ आए रामविलास पासवान के भाषण की चर्चा करते हैं कि उन्होंने केन्द्र सरकार के सब कामों को गिनाया है और फिर वे उसे दोहराना नहीं चाहते. इसके बाद वे बिहार में अपने कामों का जिक्र शुरू करते हैं जिसमें सात निश्चय के काम की खासकर, हर घर नलका जल और हर घर बिजली से लोगों को जो लाभ हो रहा है उसकी विस्तार से चर्चा करते हैं. साथ ही साथ अपने विरोधी कासकर आरजेडी पर आक्षेप लगाना नहीं भूलते कि अब बिहार में लालटेन के सहारे राजनीति करने वालों की लाल टीम की जरूरत नहीं रही क्योंकि अब बिहार में हर दिन 5200 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है.

नीतीश (Nitish Kumar) न तो लालू और न ही तेजस्वी का नाम लेते हैं लेकिन भाषण के शुरू में ही अपने बारे में तेजस्वी द्वारा भाषणों और ट्वीट में गलत शब्दों के प्रयोग पर उनकी पीड़ा झलक जाती है. फिर नीतीश लोगों को याद दिलाते हैं कि पहले का जमाना याद कीजिए कि कैसे गड्ढा में सड़क होता था या सड़क में गड्ढा. ये मालूम करना मुश्किल होता था. फिर नीतीश कहते हैं कि काम के आधार पर वोट मांगने आए हैं. इस मुद्दे पर वे किसी के भी साथ बहस के लिए तैयार हैं.

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नीतीश (Nitish Kumar) के भाषण में अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिम समुदाय के प्रति उनकी भावना दिखती है. उनके भाषणों से साफ लगता है कि उन्हें मालूम है कि मुस्लिम समुदाय शायद इस चुनाव में उन्हें सपोर्ट नहीं दे, इसलिए वे बार-बार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए किए गए काम की चर्चा करते हैं. उन्हें याद दिलाते हैं कि पहले मदरसा की क्या स्थिति थी और अब मदरसा की क्या स्थिति हो गई है. नीतीश घोषणा करते हैं कि अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय के निर्माण का काम लोकसभा चुनाव के बाद निश्चित रूप से शुरू हो जाएगा.

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लालू या तेजस्वी का नाम लिए बिना कहते हैं कि कुछ लोग सत्ता में आना चाहते हैं क्योंकि वे मेवा पाना चाहते हैं. अंत में नीतीश एक वाक्य कहना नहीं भूलते कि लोकतंत्र में जनता मालिक है.